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Raja Sekhar CH V

Romance

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Raja Sekhar CH V

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पहली प्रीत

पहली प्रीत

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कवि : श्री राजशेखर स:एच:वी


ओ सजनी! ओ सजनी!


तुझसे हुई जो पहली प्रीत,

तेरी आवाज़ लगे सुगम संगीत,

इन लबों ने गाये सुरीले प्रेमगीत,

तुम ही हो मेरे मन के मीत |१|


ओ सजना... ओ सजना!


मारे ख़ुशी से चहक रही हूँ,

तेरे प्यार से महक रही हूँ,

इस प्रेम अगन से दहक रही हूँ,

लगे जैसे मैं बहक रही हूँ |२|


ओ सजनी! ओ सजनी!


खूबसूरत है तेरी हर अदा,

तेरी मदहोश मुस्कान पे हुआ मैं फ़िदा ,

करो मुझसे यह पहला वादा ,

के हम-तुम कभी न होंगे जुदा |३|


ओ सजना !... ओ सजना!

मेरे हमदम बनके हुए मेरे हमराज़,

तेरे जैसे हमजोली पे है मुझे नाज़,

हमेशा छेड़ो मोहब्बत का साज़,

तुम ही तो मेरे हमनवाज़ |४|


ओ सजनी! ओ सजनी!


तू ही तो है मेरी चंदा,

कभी न होंगे गुमशुदा,

एक दूजे के रहेंगे सदा,

मज़बूत है यह इरादा |५|


ओ सजना !... ओ सजना!


थामा तुमने जो मेरा हाथ,

लगन से बने तुम मेरे नाथ,

जीयेंगे सदा हम साथ साथ,

आशीष दें हमें प्रभु श्री जगन्नाथ |६|


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