पंख
पंख
निज सपनों के तुम पंख धरो, जग में उड़ान तुम भर लोगी
दृढ़ निश्चय कर लो मन में सखि, तुम जीत सदा ही वर लोगी।
जीवन की आपाधापी में, मत त्यागो तुम निज सपनों को
जिम्मेदारी पूरी कर लो, तुम प्रेम करो सब अपनों को।
पर वक्त सदा खुद को भी दो, रस जीवन में तुम भर लोगी
निज सपनों के तुम पंख धरो, जग में उड़ान तुम भर लोगी।
तुम जीत हार की मत सोचो, कर्मों में जीत समाती है
बस हिम्मत से तुम धरो कदम, हर हार यही सिखलाती है।
कर्मठ सी तुम बस बढ़ी चलो, अपनी पहचान बना लोगी
निज सपनों के तुम पंख धरो, जग में उड़ान तुम भर लोगी।
तुम दुर्गा हो, तुम काली हो, तुम मन में ज्वाला भर लाओ
कोई हैवान छुए तुमको, सब चैन अमन तुम हर लाओ।
निर्भय हो कर जब जीओगी, अपनी रक्षा तुम कर लोगी
निज सपनों के तुम पंख धरो, जग में उड़ान तुम भर लोगी।।