मैं सीता नहीं हूँ......
मैं सीता नहीं हूँ......
मैं सीता नहीं हूँ, जो अग्निपरीक्षा दूंगी।
ग़र सत्य है तुम्हारा समर्पण, मेरे प्रति
तो बिना किसी शर्त मुझे अपनाना होगा।।
ग़र अतीत है मेरा कोई,
तो मुमकिन है कुछ किस्सा पुराना ,
तुम्हारा भी होगा।
आज बनाना चाहते हो अगर तुम मुझे अपना,
तो तुम्हें आज में ही जीना होगा।
मैं जब तुमसे मिली थी तो, सब कुछ पीछे छोड़ कर चली थी।
बिना सवाल किये,
सुपुर्द कर दिया था तुम्हें अपना कल और आज।
और आज तुम्ही प्रश्न करते हो मुझसे,
कुरेदते हो मेरा अतीत।
मुझे राम नहीं चाहिए,
क्योंकि मैं सीता नहीं हूँ।
ग़र सत्य है तुम्हारा समर्पण, मेरे प्रति
तो बिना किसी शर्त मुझे अपनाना होगा।
ग़र मुमकिन नहीं यह तुम्हारे लिए तो,
मुक्त करती हूँ इस बंधन से तुम्हें,
इसी पल से सदा के लिए।