वास्तविकता
वास्तविकता
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नहीं डिगो तुम नहीं झुको तुम
नहीं करो तुम जीवन मोह
लहू है जब तक, साथ है तब तक
पथ पर चलते जाना है, मानव रूप में
जन्म लिया कुछ करके तुम्हे दिखाना है।
मौत से डरना छोड़ो तुमजीवन तो आना जाना है
कम होता है जीवन,जब सबकुछ मन का होता है
मझढार में कैसे लड़ोगे तुमये तुमपर निर्भर करता है।
हारो तुम या हो असफलआशा की लौ नहीं बुझना है।
कितनी भी लम्बी हो रातआखिर सूरज को उगना है।
समय को रोक सका है कौन, तुम्हे उससे आगे बढ़ना है।
नहींं पूछता उन्हें कोईजो पीछे ही रह जाते हैं
पदचिन्ह उन्हीं के बनते हैं जो सबसे आगे जाते हैं।