STORYMIRROR

Ruchi Chhabra

Inspirational

4.9  

Ruchi Chhabra

Inspirational

सीधी बात

सीधी बात

1 min
408


मन के अन्तर्द्वन्द को

तू दे विराम तू अंत कर

न मन को यूं तू अशांत कर

न झूठ से आघात कर

अपनों से सीधी बात कर


जो मन में आयें कुविचार

चहुं ओर होगा अंधकार

अवसाद कर जाएगा घर

अपनों से सीधी बात कर


ये मन में जो उलझन बढ़ी

संकट की आएगी घड़ी

संकट का तू विनाश कर

अपनों से सीधी बात कर


माता पिता पत्नी या प्यार

या मित्र जिनसे हो स्नेह अपार

धोखा ना उनके साथ कर

रिश्तों को यूं ना समाप्त कर

अपनों से सीधी बात कर


जो मन से तू निष्पाप हो

और सत्य पुंज प्रकाश हो

फिर विजय श्री का आगाज़ कर

अपनों से सच्ची बात कर

अपनों से सीधी बात कर!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational