मुझको मेरी जंग मुबारक
मुझको मेरी जंग मुबारक


जग वालों को रंग मुबारक़
मुझको मेरी जंग मुबारक ।।
देश धर्म की बलिवेदी पर
मुझको हंस कर चढ़ना है
कंटक कीर्ण कठिन राहों पर
चलना है बस चलना है ।।
रहने दो हमको यूँ तन्हा
तुमको सबका संग मुबारक ।।
अपनी इच्छा,अपनी मंजिल
अबकी अपनी बस राहें हों
चाहे रजनी की गोद मिले
या फैली दिनमान भुजाएं हो
नहीं बदलना स्वरा किसी को
सबको सबका ढंग मुबारक ।।