बालिका दिवस पर
बालिका दिवस पर


वो बागवां बेकार,जहाँ तितलियाँ ना हो
वो कारवाँ हैं ख़ाक,जहाँ मस्कियाँ ना हो
वह घर आँगन सुनसान हैं मसान के जैसे
वो मकाँ क्या मकान, जहाँ बेटियाँ ना हो,
आन बान शान की अभिमान बेटियाँ
घर के काम काज की कमान बेटियाँ
सद्गुणों निपुणता की हैं खान बेटियाँ
ख़ुशी हँसी हृदय की मुस्कान बेटियाँ,
दुर्गा काली लक्ष्मी की हैं रूप बेटियाँ
चाँद की हैं चाँदनी सूरज की धूप बेटियाँ
नाम रोशन कर रहीं क्या खूब बेटियाँ
आने वाले समय की हैं भूप बेटियाँ।