तू आज भी है
तू आज भी है
मेरे कमरे में लगे दर्पण में,
मेरे दिल की हर धड़कन में,
तू आज भी है।
लिखता हूँ मैं प्रेमगीत, जिससे,
तेरे दिए उस कलम में,
तू आज भी है।
बरसों से संजो कर रखे खतों में,
उनमें कैद हमारे एहसासों में,
तू आज भी है।
मेरी किताब में आज भी पड़ा है जो,
गुलाब की उन सूखी पंखुड़ियों में,
तू आज भी है।
हर लम्हा जो, तन्हाई में बीताता हूँ मैं,
उन लम्हो में,
तू आज भी है।
हर लम्हा, दिल में रहती है जो यादें,
मेरी उन यादों में,
तू आज है।
मेरे पास पड़ी हैं जो कुछ,
तेरी उन तस्वीरों में,
तू आज भी है।
मुझसे कभी की थीं, तूने जो,
तेरी उन शिकायतों में,
तू आज भी है।
मेरे अनकहे हर एहसास में,
हर पल के मेरे सांस में,
तू आज भी है।
मेरे दिल की, हर धड़कन में,
तू आज भी है,
हाँ, तू आज भी है।