तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
आज 6 दिसम्बर
मेरे जीवन का अनमोल
व स्वर्णिम दिन
हर किसी के जीवन में
वो पल आता है
जब उसे कुछ निर्णय लेकर
आगे बढ़ना होता है
मैंने भी लिया
व चुना तुम्हारा साथ
साथ तुम्हारे एक अटूट
बंधन में बंधने का
तब से लेकर अब तक
हर दिन
उम्मीदों भरा नहीं
बल्कि उम्मीदे तो कोई रही ही नहीं
हर ख्वाब जो पूरा होते देखती हूँ
तुमसे मिलने से पहले
तो नहीं जानती थी
जीना सही अर्थों में क्या है
ये जिंदादिली
जीवन के हर पल को
जीवन्तता से जीने का हक
शौक, सपने सब तुमसे मिला
हाँ बहुत कुछ बदल गयी मैं
लड़ना भी सीख गई
हर हार को जीत में बदलना भी
मेरे साथी
मैं प्रेम में हुँ तुम्हारे
और हमेशा रहूँगी
इस जन्म तो क्या
जन्मो-जन्मो तक
तुम्हारा साथ और तुम्हे चाहूँगी।
आज का ये दिन
जो तुम्हारा साथ मुझे मिला
उस खुदा को
जिसकी जगह भी तुमने ले ली
उसका शुक्रिया अदा करना चाहूँगी।