समय
समय
समय के न आगे तो कोई टिका है
सिकंदर भी आगे इसी के झुका है।
समय से बड़ा तो न बलवान कोई
नहीं ये किसी के लिए ही रुका है।
समय जो भी चाहे वही होता आया
समय ही मनुज का यहाँ पर खुदा है।
समय को समझना न आसान इतना
समझ ले तो जीवन ये आसाँ हुआ है।
समय जब चलाएगा जो अस्त्र अपने
कोई योद्धा हो वो न फिर बच सका है।