हम थे, वो थे!
हम थे, वो थे!
एक हम थे और एक वो थे
दोनों एकदूजे के क्रश थें
पर समझ में ना ऐसे
कारणवश दोनो विवश थें
भावनाएँ उन के मन में थी
वो हमारे दिल में बस गए
भावनाए हमारे मन में थी
हम उन के दिल में बस गए
दिल में छुपी हुई बातों को
शब्दों में वो बयाँ कर ना सकें
आँखों में छपी हुई बातों का
तरजूमा भी हम कर ना सके
मन डूब जाता है कभी कभी
उन के ही नए नए विचारों में
कभी-कभी उन का ही वर्णन
आ जाता है हमारे सुविचारों में
आज इतने सालों के बाद भी जब
उन के नामनात्र का उल्लेख होता है
उन की यादों का खूबसूरत सा पंछी
ऊड़ने के लिए आतूर हो जाता है
अगर किसी मोड़ पर हम दोनों मिलेंगे
समझ नही पा रहा क्या बातें करेंगे ?
हाथों मे हाथ रख कर कहीं घूमेंगे
या केफे में बैठ कर कुछ बातें करेंगे
कहत कवि अब आप से बस इतना
कि उन्हे ढुँढने के लिए दौड़ना नही
प्रस्तुत Kalpनिक कविता को
आप हक़ीक़त के साथ जोड़ना नहीं।