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Kalpesh Vyas

Romance

3  

Kalpesh Vyas

Romance

हम थे, वो थे!

हम थे, वो थे!

1 min
340


एक हम थे और एक वो थे 

दोनों एकदूजे के क्रश थें 

पर समझ में ना ऐसे 

कारणवश दोनो विवश थें 


भावनाएँ उन के मन में थी 

वो हमारे दिल में बस गए 

भावनाए हमारे मन में थी 

हम उन के दिल में बस गए 


दिल में छुपी हुई बातों को 

शब्दों में वो बयाँ कर ना सकें 

आँखों में छपी हुई बातों का 

तरजूमा भी हम कर ना सके 


मन डूब जाता है कभी कभी 

उन के ही नए नए विचारों में 

कभी-कभी उन का ही वर्णन

आ जाता है हमारे सुविचारों में 


आज इतने सालों के बाद भी जब

उन के नामनात्र का उल्लेख होता है 

उन की यादों का खूबसूरत सा पंछी 

ऊड़ने के लिए आतूर हो जाता है 


अगर किसी मोड़ पर हम दोनों मिलेंगे 

समझ नही पा रहा क्या बातें करेंगे ?

हाथों मे हाथ रख कर कहीं घूमेंगे 

या केफे में बैठ कर कुछ बातें करेंगे


कहत कवि अब आप से बस इतना 

कि उन्हे ढुँढने के लिए दौड़ना नही 

प्रस्तुत Kalpनिक कविता को 

आप हक़ीक़त के साथ जोड़ना नहीं। 


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