Prachi Chachondhiya
Fantasy
अंतर्मुखी
बॉल नाईट
माँ-पापा
ज़िंदगी
ख़्वाब
बेटियाँ
कभी झालर सी लटकती हूँ गलियों और चौबरों पर , कभी झालर सी लटकती हूँ गलियों और चौबरों पर ,
मर-मिटे थे जिस पर हम कभी, वो रानाई किधर गई मर-मिटे थे जिस पर हम कभी, वो रानाई किधर गई
कभी यादों की गलियों का चक्कर कभी यादों की गलियों का चक्कर
अपने वात्सल्य के पालने में झूला देता है। कोई तो है---? अपने वात्सल्य के पालने में झूला देता है। कोई तो है---?
मेरा दिल करता हर बार ख़ुदा' को सलाम है, सलाम है। मेरा दिल करता हर बार ख़ुदा' को सलाम है, सलाम है।
न जाने कितनी तस्वीरें मेरे दिल की, पर वो मुझसे नज़रें मिलाती ही नहीं न जाने कितनी तस्वीरें मेरे दिल की, पर वो मुझसे नज़रें मिलाती ही नहीं
आज के युवा कभी अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार देते हैं। आज के युवा कभी अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार देते हैं।
मेरा होना जिसके लिए मायने रखता हो मेरा होना जिसके लिए मायने रखता हो
घर के आंगन में तारों की छांव तले। क्या सोच रहा? कुछ सोच रहा है कोई।। घर के आंगन में तारों की छांव तले। क्या सोच रहा? कुछ सोच रहा है कोई।।
कभी माथे पे बिंदिया सा उसको मैं सजाती हूँ। कभी माथे पे बिंदिया सा उसको मैं सजाती हूँ।
जल्दी आये मिलन की बेला करती है बस यही फ़रमाइश, तुम आओगे तभी खूबसूरत लगेगी ये बारिश। जल्दी आये मिलन की बेला करती है बस यही फ़रमाइश, तुम आओगे तभी खूबसूरत लगेगी ये ब...
आत्मा में पिरोये नीले धागों में तराशे हुये मोती जीवन के स्वर्णिम क्षणों के आत्मा में पिरोये नीले धागों में तराशे हुये मोती जीवन के स्वर्णिम क्षणों के
दादी नानी से कहानियां सुनते सब के मन को मोह लेते दादी नानी से कहानियां सुनते सब के मन को मोह लेते
बूंदों की छम छम से.. बहक उठे सहमा सा हर मन! बूंदों की छम छम से.. बहक उठे सहमा सा हर मन!
पाँव था फ़िसल गया, पर खुशनसीब था बड़ा मेरा चाँद मुझको मिल गया। पाँव था फ़िसल गया, पर खुशनसीब था बड़ा मेरा चाँद मुझको मिल गया।
देख विरह की रोती बेचैनियाँ, हसरते कुंदन बन के गढ़ गई देख विरह की रोती बेचैनियाँ, हसरते कुंदन बन के गढ़ गई
हमारे रिश्ते के अंधेरे को उम्मीद के दीपक से उजागर करते हैं। हमारे रिश्ते के अंधेरे को उम्मीद के दीपक से उजागर करते हैं।
कहूँ क्या तेज है उसका, रहे रोशन चमन मेरा कहूँ क्या तेज है उसका, रहे रोशन चमन मेरा
क्या नज़ाकत थी छूने में उसकी हाथों पर जैसे मलाई जम गयी क्या नज़ाकत थी छूने में उसकी हाथों पर जैसे मलाई जम गयी
आखिरकार दुनिया में आकर ये सबक ना लिया तो क्या किया आखिरकार दुनिया में आकर ये सबक ना लिया तो क्या किया