नज़ाकत
नज़ाकत
इस नज़ाकत से थामा उन्होने दामन हमारा
सारी अदाएँ तार तार हो गयी
काँटो ने समझ ली गुलों की नज़ाकत
तितलियाँ फूलों के पार हो गयी
क्या नज़ाकत थी छूने में उसकी
हाथों पर जैसे मलाई जम गयी
वक्त की नज़ाकत को पहचाना जिसने
जिन्दगी की शाम हसीन हो गयी
इस तरह से कुछ शिरकत हुई महफिल मे
जश्न-ए- महफिल मे जान आ गयी
यह सादगी, नजाकत, अदा और वफा
या ख़ुदा मरने की तौहिन हो गयी
मौसम की नज़ाकत पर जरा गौर फरमाओ
हसीनों के वादे सी 'नालंदा 'बरसात हो गयी

