मेरे सपने !!
मेरे सपने !!
चंचल-चपल-अल्हड़ से है मेरे सपने,
नादान-नटखट-नकचडे से मेरे सपने !!
बंद पलकों के भीतर कसमसाये से,
पानी के बुलबुल से मेरे सपने !!
कभी व्याकुल-विवश और घबराये से है,
तो कभी होली दीवाली से चहकते मेरे सपने !!
कभी साथ चलते अपनो की टोली में,
बेफिक़्रे मनमौजी से मेरे सपने !!
कभी यादों की गलियों का चक्कर
घुमक्कड़ से जो है मेरे सपने !!
थमी हुईं सी रात भी आयें तो क्या हुआ?
जुगनू से झूमते और जगमगाते मेरे सपने !!
ऐसे ही है बस मेरे सपने !!