नीली रौनकें
नीली रौनकें
नीले आसमां में रंगती नीली ख्वाहिशें
नीले झरनों के आँखों में पसरी नीली रौनकें
गुल बन गई है बर्फ की नीली चादरें
बह गया ख़्वाब का कतरा तैर कर
नीले सागर में, शायद मन्नत माँगी है
नीली जमीं नीलम लूटा दे।
आत्मा में पिरोये नीले धागों में
तराशे हुये मोती जीवन के स्वर्णिम क्षणों के,
उड़ेलती मधुशाला में यादों के गुलजार को
सींचती स्वप्नों की क्यारी को नैनों के नीले सांचों में,
फरमाइशों की जिद्दी सी शख्सियत
बगावत कर बैठी इन्तजार के लम्हों से,
तहकीकात की नज़रों में संदेह का धुआँ
मुँह फेर कर बैठी है मुहब्बत नीली रातों में,
जज़्बात के शीशमहल चकनाचूर हुये
खंजर सी चुभन बेअसर हुई बेसुध से ह्रदय पर
जहर घोलता धोखे का कसेला घूँट छटपटाती देह
दम तोड़ता जीवन जहरीली नीली सांसों में,

