STORYMIRROR

निशा परमार

Abstract Romance Fantasy

3  

निशा परमार

Abstract Romance Fantasy

नीली रौनकें

नीली रौनकें

1 min
56

नीले आसमां में रंगती नीली ख्वाहिशें

नीले झरनों के आँखों में पसरी नीली रौनकें

गुल बन गई है बर्फ की नीली चादरें

बह गया ख़्वाब का कतरा तैर कर

नीले सागर में, शायद मन्नत माँगी है

नीली जमीं नीलम लूटा दे।


आत्मा में पिरोये नीले धागों में

तराशे हुये मोती जीवन के स्वर्णिम क्षणों के,

उड़ेलती मधुशाला में यादों के गुलजार को

सींचती स्वप्नों की क्यारी को नैनों के नीले सांचों में,


फरमाइशों की जिद्दी सी शख्सियत

बगावत कर बैठी इन्तजार के लम्हों से,

तहकीकात की नज़रों में संदेह का धुआँ

मुँह फेर कर बैठी है मुहब्बत नीली रातों में,


जज़्बात के शीशमहल चकनाचूर हुये

खंजर सी चुभन बेअसर हुई बेसुध से ह्रदय पर

जहर घोलता धोखे का कसेला घूँट छटपटाती देह

दम तोड़ता जीवन जहरीली नीली सांसों में,



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract