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बॉल नाईट

बॉल नाईट

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बात है ये उस रात की

जब यूँ ही बैठे बिठाए एक अनजान साथी से मैंने बात की,

और बातों-बातों मैं  मैंने आई.एम.ए जाने की बात की!

था कुछ जादू सा उस रात में

क्योंकि फिर उस साथी ने बॉल नाईट में आने की बात की,

दोस्त बोले तूने यूँही बैठे बिठाए,

एक नई आफत सर पर मोल ली!

फिर हुई सुबह उस रात की

आए दो जवान लिए चाबी उस शाम की,

और जा पहुची मैं मेहमान बनकर उन जवान की!

थी कुछ अलग ही उमंग जोश कुछ नया वहां

ये बात मैंने महसूस की,

दून से वापस जाते-जाते मैंने कुछ और यादें सहेज लीं,

बन गए थे वो जवान अब दोस्त मेरे ये बात मैंने मान ली!


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