रात और उसकी याद
रात और उसकी याद
दूर चन्द्र कोमल देख देख रहा है कोई
घर के आंगन में तारों की छांव तले
क्या सोच रहा है, कुछ सोच रहा है कोई,
मन बड़ा विकल, क्या चीज है उसने खोई।
ये चाँद बड़ा निष्ठर, जो याद किसी की दिलाये,
उस पर शीतल समीर हृदय पे तीर बरसाये।
दूर चन्द्र कोमल देख रहा है कोई।
घर के आंगन में तारों की छांव तले।
क्या सोच रहा? कुछ सोच रहा है कोई।।
नयनों के अविरल धारा,
हाय हिय ने फिर क्यों? आज उसे पुकारा।
जो राह उसकी फिर नैन तके जाये
बेचैन मन फिर राह तकते थका जाये।।
दूर चन्द्र कोमल देख रहा है कोई।
घर के आंगन में तारों के छाव तले।
क्या सोच रहा है, कुछ सोच रहा है कोई।।
रात भर याद में उसकी बिरहन नहीं सोई।