हौसला बनाये रखिये
हौसला बनाये रखिये
जो है खुद पर यकीं
तो हौसला बनाये रखिये
ज़माना कहे कुछ भी
अपने क़दमों को बढ़ाये रखिये
ज़माने का क्या है वो खुद को सही
दूजे को गलत ठहराएगा
आपकी तरक्की से जलकर आप पर ही
इल्ज़ाम हज़ार लगाएगा
अपनी काबिलियत और पाकीज़गी को
अपना अंदाज़ बनाये रखिये
क्या परवाह करना इस ज़माने की !,
उम्मीदों की शमा जलाये रखिये
झूठी तारीफों और खुशफहमियों से
खुद को बचाये रखिये
कीचड़ में कमल - सा खिलिये
अपनी खुशबू से गुलशन को महकाये रखिये
जो है खुद पर यकीं
तो हौसला बनाये रखिये
ज़माना कहे कुछ भी
कदम अपने बढ़ाये रखिये...।