तन्हाई
तन्हाई
क्यूँ बसता है दिल में कोई
तन्हाई बन कर
खोज कर भी चारों तरफ़
खो जाता कहीं पर
वह कौन कैसा है
क्या रिश्ता उससे मेरा है
क्यूँ याद आती हर पल उसकी
थम जाता दिल मेरा है
हर बातों में याद उसकी
सुख दुःख हर संग मेरे
एक आवाज़ सुन दिल धड़कता
जैसे वह पास मेरे....
अमन श्रीवास्तव