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सौंधी सी ख़ुशबू

सौंधी सी ख़ुशबू

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पानी की महक सोंधी सी थी
जब मेरे हाथोंं में शबनम शिथिल हुआ

वो नज़ारा उन पत्तोंं की ख़ुशबू को बयान करता 
जब कभी कही महकता सूरज ठण्ड में निकलता है

और पत्ते अपनी सतत कोशिश में 
की शबनम भी उनकी दोस्त है 
जिन उनपर सरस कोमल रूप 
मन लुभावित है

पानी की महक सोंधी सी थी 
जब मेरे हाथोंं से सिमट कर नीचे गिरी
फिर ख़ुद को पुनः रास्ते का मार्गदर्शन बनाया 
और कहींं खो गया

शायद वो शबनम मेरा सपना था 
की ख़ुशबू उसकी सोंधी है....

अमन श्रीवास्तव


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