आखिरी वक़्त
आखिरी वक़्त
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तुम देखते रहते थे
मेरे खामियों को
अब मेरे करीब कोई
नज़र नहीं आता है
खुद को पा कर भी
अधूरा लगता है
काश कुछ सफर
तुम्हारे साथ और
गुज़ार लेता।
आखिरी सांस में
तुम सोच रहे होंगे
खुद की जिम्मेदारियों को
मेरे हाथ थाम कर
और परेशान हो कर भी
हक़ नहीं जाता पा रहे थे
शांत सब हो गए थे
तुम्हें न देख कर
अधूरा रह गया,
शाम के दरवाज़े पर
रोज़ आना तुम्हारा
बंद हो गए रास्ते अब।
कभी गुज़र जाता हूँ,
अधूरा पाता हूँ
अपनी साँसे तुम बिन।