जीव गुंतला
जीव गुंतला
*जीव गुंतला
जीव लागून
जीव जगला
तिला बघून*
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*कधी नयनी
कधी हृदयी
धाव सतत
तिच्या भोवती*
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*ऊन सावली
असो वादळं
मना आधार
ऊर्जा प्रेमाची*
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*जीव गुंतला
रूप सुंदरी
उणं दिसेना
सारं सुंदर*
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*लता लावूनी
फुलं प्रेमाचं
घडी खुलत
बघतं असें*
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*गंध सुंगध
फुला फुलातं
नावं ठेवून
जीव गुंतला*
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*भाव डोंगरी
भोर चालली
मध घेऊन
प्रीत संसारी*
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*सुख आलिया
व्यग्र कामात
जीव गुंतला
व्यर्थ दुःखात*
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*कशी असेना
साद सखी ती
डोर अमर
दोघं जुळती*
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*कुठं नं कुठं
मिळून चाल
जीव गुंतला
दोघा दोघांचं*
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