Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy Others

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

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यशस्वी (10) ...

यशस्वी (10) ...

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यशस्वी ने मुझे, कॉल कर युवराज के लिए, अपने मन की प्रेम अनुभूति बताई थी।

तब मैंने यशस्वी को बताया कि - यह बात प्रिया, मुझे बता चुकी है।

यशस्वी ने कहा - सर, आप एवं मेम के संबंधों में अत्यंत अनुकरणीय पारदर्शिता है। (फिर आगे कहा) - सर, समाज में दो तरह के पुरुष हैं। एक प्रकार में युवराज है, जो बोलकर प्रेम प्रकट करने में भी सोचता है कि मैं अन्यथा न ले लूँ। यही प्रकार आपका है, जो नारी का आदर, उसे अवसर एवं मार्गदर्शन के लिए सदैव उत्सुक रहते हैं। दूसरा प्रकार, उन सीए के तरह का पुरुषों का है। जो नारी से अपने अवैध मंतव्य पूरे करने को उत्सुक रहते हैं।  

मुझे यशस्वी की बात चुभी थी। उसने मुझे, युवराज के प्रकार का, कहा था। जबकि उसे, युवराज को मेरे प्रकार का, कहना चाहिए था। फिर मैंने सोचा कि एक 21 वर्ष की लड़की, मेरे जितनी वाकपटु नहीं है तो यह अस्वाभाविक नहीं है। जीवन कला सीखने के लिए, एक जीवन छोटा पड़ता है, फिर यशस्वी तो, अभी छोटी है। उत्तर देने के पहले, मैंने यह भी सोचा यशस्वी सीए के अमर्यादित प्रस्ताव को भुला न सकी है।

फिर मैंने कहा - यशस्वी, किसी दिन मैंने आपको बताया था कि मेरी बेटी डॉक्टरेट कर रही। उसका शोध का विषय है, "भारतीय समाज और उसमें नारी-पुरुष के वर्जनीय संबंध।"

कुछ समय पूर्व आपने, सुंदर पत्नी होते हुए, पुरुष के विवाहेत्तर संबंध की अभिलाषी होने पर प्रश्न किया था। उस संबंध में, मेरी बेटी के थीसिस का अंश, एक स्टार अभिनेता (अब दिवंगत) से एक इंटरव्यू मैं, आपको भेज रहा हूँ। आप पढ़ियेगा, इससे आपके मन में उत्पन्न होते, कई प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे।

फिर मैंने उसे बाय कहते हुए कॉल काट दिया था।

यशस्वी ने उस इंटरव्यू को पढ़ा था। अभूतपूर्व रूप से कभी लोकप्रिय हुए अभिनेता के, अंतिम दिनों में एक पत्रकार युवती के द्वारा, उनका इंटरव्यू लिया गया था, जो इस प्रकार था :-

रिपोर्टर - सर, आपकी फिल्में जितनी लोकप्रिय एवं ख्यात रही हैं, उतने ही ख्यात आपके कई तारिकाओं से प्रेम संबंध भी रहे हैं। क्या आप, हमारे समाज में अवैध माने जाने वाले आपके, ऐसे सँस्कृति निषिद्ध शौक की सच्चाई बतायेंगे।

अभिनेता - मैं, कुछ दिनों में मरने वाला हूँ। अतः मै स्पष्ट कहूँगा। मैंने जीवन में लगभग 80 युवतियों से अंतरंग संबंध स्थापित किये हैं। इनसे वाँछित सुख अभिलाषा, मेरी मृग तृष्णा सिध्द हुई है। वस्तुतः अनेक संबंध में सुख, उस सुख से कोई अलग नहीं था जो मुझे मेरी पत्नी की अंतरंगता से प्राप्त होता था।

रिपोर्टर - सर, यह सच आपने कब अनुभव किया।

अभिनेता - यह मैंने, अपनी चरम प्रसिध्दि के समय ही अनुभव कर लिया था।

रिपोर्टर - तब आपने, अवैध अंतरंग संबंध के सिलसिले खत्म किये?

अभिनेता - नहीं, अंतरंग संबंध के सिलसिले, इससे सुख प्राप्ति की चाह में शुरू हुए थे। जो बाद में, मेरे अहं की पूर्ति के साधन हो गए थे। सफलता के शिखर पर मुझमें अहंभाव (ईगोइस्म) बहुत बढ़ गया था। जो युवतियां अपने रूप एवं प्रतिभा से, विभिन्न क्षेत्र में पहचान बना लेती थीं वे, मेरे अंतरंग चाहत की लक्ष्य होती थीं। उनसे स्थापित अंतरंगता, मेरे द्वारा उनका मान मर्दन किया जाना मानकर, मेरे ईगो को तुष्ट करने वाली होती थी

रिपोर्टर ने मजाक करते हुए पूछा - यानि अभी मैं तैयार हो जाऊँ तो आपका ईगो, इसे उपलब्धि मानेगा?

अभिनेता, रोगी होते हुए भी हँसा था पलट प्रश्न किया - आप, मेरे जैसे ईगो से तो पीड़ित नहीं?

रिपोर्टर, अभिनेता की इस हाजिर जवाबी पर मुरीद हुई, हँसकर बात टालते हुए पूछा - आपकी पत्नी ने कभी प्रतिरोध किया?

अभिनेता - किया था, इसका हल मैंने उसे, अन्य से ऐसे संबंध के लिए उकसा कर किया था।

रिपोर्टर - आपने, अपने व्यभिचार का, कभी पछतावा किया?

अभिनेता - बिलकुल किया है। आज बिस्तर से लगकर, मैं स्वयं को धिक्कारा करता हूँ।

रिपोर्टर - पछतावे में, क्या विचार आते हैं ?

अभिनेता - दो मुख्य हैं। एक मैंने परदे पर वे पुरुष चरित्र निभाये, जो सँस्कृति अनुरूप, आदर्श जीते हैं। जबकि पर्दे के पीछे वास्तविक जीवन में मैंने, इससे बिलकुल विपरीत आचरण किये। जिससे मेरे प्रशंसक दिशा भ्रमित हुए। दूसरा, ऐसा करते हुए मैंने, पत्नी एवं अन्य युवतियों के द्वारा अपने पति से, उनकी प्रतिबद्धता के साथ छल करवाया है।

रिपोर्टर - अपने अनुभव से देशवासियों को कोई संदेश देना चाहेंगे?

अभिनेता - हाँ -

संदेश 1, "हमारे समाज में मर्यादा, हमें संस्कारों में मिलती है। नारी मर्यादा निभाने को, अधिक प्रतिबध्द होती हैंजब प्रलोभनों से कोई पुरुष, नारी को अमर्यादित होने को उकसाता है तो वे, उसे छुपाये रखने के मानसिक दबाव में रहती हैं। वे आत्मग्लानि अनुभव करती हैं। बहुसंख्य संबंधों से, कोई अतिरिक्त सुख नहीं मिलता है। अतः अपने दुष्कृत्य से कोई भी पुरुष, नारी को अनावश्यक मानसिक यंत्रणा एवं ग्लानि बोध के लिए विवश न करे।"

संदेश 2, "सफलता के रास्ते में मिलने वाला 'ईगो', एक विषैला तत्व है। जो सफल व्यक्ति को, न्यायच्युत कर देता है। जीवन के अंत समय में, यह ईगो, पश्चाताप का कारण हो जाता है। अतः सफलता के अधीन अहंकारी होने से बचना चाहिए।"

रिपोर्टर - सर, धन्यवाद, अपनी दयनीय हालत में आपने मुझे समय दिया और अपनी खराबियों को स्वीकार करने का साहस दिखाया। यह इंटरव्यू हम प्रकाशित करेंगे एवं आशा करेंगे कि समाज, आपके अनुभवों से सीख ग्रहण करेगा।

यशस्वी ने पढ़ा था। फिर मैसेज में इसे प्रेरक साहित्य, उपमा दी। यह प्रश्न भी किया कि- अभिनेता की पत्नी से इस बारे में चर्चा का, कोई रिकॉर्ड है?

मैंने मैसेज में ही रिप्लाई किया कि- मेरी बेटी ने, अपनी डॉक्टरेट की थिसिस के हवाले से उनसे निवेदन कर अभी, उनसे चर्चा के लिए समय लिया है। वैसे वह गोपनीय चर्चा होगी। तब भी उसमें सार बात आपको अपने शब्द में, बताऊँगा। 

मुझे ख़ुशी हुई कि अपने मिले नवजीवन का प्रयोग यशस्वी अत्यंत सुंदरता से कर रही है। वास्तव में यह सब, यशस्वी की उपलब्धियाँ थी मगर मुझे यह अपनी उपलब्धि सी लग रहीं थीं ...



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