Shashi Aswal

Romance

4  

Shashi Aswal

Romance

ये इश्क नहीं आसान

ये इश्क नहीं आसान

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323


अँखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे

तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए ------2


कॉलेज कैंपस के कैंटीन में बजता हुआ ये रेट्रो संगीत अंशिका के हाल-ऐ-दिल को बखूबी बता रहा था। किताब के कोने से झांकती हुई वो सामने वाले बैंच पर बैठे कल्पित को निहार रही थी जो अपनी दोस्त इरा के साथ बैठा था। सारा कॉलेज जानता था कि दोनों हमेशा एक साथ रहते है। इसके साथ उन दोनों की फैमिली भी बहुत करीब हैं और बिजनेस पार्टनर भी। जहाँ कल्पित और इरा थर्ड ईयर में है वही अंशिका फर्स्ट ईयर में। अंशिका उस समय अपना दिल हार बैठी थी जब उसने कल्पित को फ्रेशर पार्टी में गाना गाते हुए देखा था। मगर उसे कभी अपने दिल की बात नहीं कह पाई। पूरे कॉलेज में ये बात फैली हुई थी कि कल्पित और इरा लव कपल है। इस बात को सुनकर उसे बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की।


वहीं इरा कल्पित के साथ बैठकर सगाई की बातें कर रही है। दोनों की सगाई होने वाली है मार्च में। इरा बचपन से उसे प्यार करती है। हमेशा दोनों साथ रहे क्लास में, स्कूल में और अब कॉलेज में भी। उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसका प्यार भी बढ़ता गया। स्वभाव में जिद्दीपन होने से उसे कोई भी मना नहीं कर पाता।


इधर कल्पित इरा से तो बात कर रहा है मगर उसका ध्यान बार-बार अंशिका की तरफ जा रहा है। उसे अच्छे से पता है कि अंशिका उसे छुप-छुप कर किताबों में से झाँक रही है। उसकी इस हरकत को देखकर वो मन ही मन मुस्कुराने लगता है। वो जानता है कि उसे अंशिका पसंद करती है या उससे भी ज्यादा मगर वो इसके आगे समझना भी नहीं चाहता। वो भी अंशिका को बहुत पसंद करता है मगर बता नहीं सकता। आखिर मजबूरी भी इंसान से क्या कुछ नहीं करवाती है बस यही हाल कल्पित का है। 


कल्पित अपनी उधेड़बुन में भूल जाता है कि इरा उससे कबसे कुछ पूछ रही है। जब इरा उसकी नजरों का पीछा करती है तो उसे सामने से अंशिका झांकती हुई नजर आती है। इरा के एकदम देख लेने से वो हड़बड़ाकर किताब आगे कर लेती है। इरा मुस्कुराते हुए कल्पित की ओर देखती है क्योंकि वो सभी अच्छे दोस्त होते है तो उसे कुछ अलग नहीं लगता। कल्पित किसी का स्पर्श पाकर अपने ख्याल से बाहर निकलता है और इरा की तरफ देखता है। इरा मुस्कुराते हुए उससे कहती है क्यों ना हम पूरे कॉलेज को हमारी सगाई में बुलाए। इससे पहले की वो इरा को रोक पाता इरा अपनी जगह से खड़ी होती है और कहती है 

"अटेंशन एवरीवन, आप सबको जानकार बहुत खुशी होगी कि मेरी और कल्पित की सगाई है अगले महीने तो आप सब आमंत्रित है हमारी इस खुशी में" उसके इतना कहते ही कैंटीन में तालियों का शोर गूंज पड़ता है। सब लोग दोनों को बधाई देने लगते है।


अंशिका जब ये अल्फ़ाज़ सुनती है तो हैरान रह जाती है मगर दोस्त होने के नाते अपनी भावनाओं को काबू में रखकर वो दोनों के पास आती है। पहले वो इरा को गले लगाती है और मुबारकबाद देती है। फिर कल्पित के पास जाकर उसे हाथ मिलाते हुए बधाई देती है। कल्पित उसकी आँखों में एक अनकहे दर्द को देख पा रहा था जिसे वो सबसे छुपा रही थी। वो आगे कुछ समझ पाता उससे पहले ही अंशिका वहाँ से भाग जाती है। कल्पित भी उसके पीछे जाने वाला होता है तो इरा उसे रोक देती है। दोनों दोस्तों से बधाई लेने के बाद घर चले जाते है।


वक्त पंख लगाकर उड़ने लगता है। कुछ दिनों से उसके आगे-पीछे घूमने वाली अंशिका उसे दिखाई नहीं देती। उसकी बेवकूफी भरी हरकतों को याद करके वो मुस्कुराने लगता है। तभी उसे अंशिका की सहेली बताती है कि उसका एक्सीडेंट हो रखा है और वो मैडिकल लीव पर है एक महीने के लिए। वो जल्दी में अपनी कार निकालता है और अस्पताल पहुँच जाता है। वो जैसे ही अंशिका के रूम में पहुँचता है तो वहाँ उसको देखकर हैरान रह जाता है।


"इरा तुम यहाँ?"


"हाँ, जब मुझे पता चला कि अंशिका का एक्सीडेंट हो गया है तो मैं उससे मिलने चली आई। आखिर हमारा भी तो कोई फर्ज़ है दोस्त होने के नाते। मैं सही कह रही हूं ना?"


"हाँ, सही कह रही हो। बस उसने हाल-चाल ही पूछा उससे इरा के सामने।" अंशिका कल्पित की आँखों को पढ़ने की कोशिश कर रही थी जो उससे कहना तो बहुत कुछ चाहती थी मगर कह नहीं पाई। जब इरा की बातें खत्म हो गई तो वो दोनों वहाँ से चले गए।


आखिरकार सगाई का दिन आ ही गया। पूरे होटल को लव थीम पर सजाया गया है। शहर की जानी-मानी हस्तियों के साथ कॉलेज का हुजूम भी आया हुआ है। कल्पित सूट-बूट पहनकर अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है। सभी इरा के आने का इंतजार कर रहे है ताकि सगाई शुरू हो सके। तभी लोगों की खुसूर-फुसुर सुनकर सीढ़ियों की तरफ देखता है। इरा की जगह अंशिका वहाँ से उतर कर उसके पास आ जाती है।


"अंशिका तुम यहाँ? इरा कहाँ है?" कल्पित ने आश्चर्य से पूछा।


"मैं ही इसे यहाँ लाई हूं सगाई के लिए। मैं अच्छे से जानती हूं कि तुम मुझसे नहीं अंशिका से प्यार करते हो।"


"तुम गलत समझ रही हो इरा।"


"मैं गलत नहीं समझ रही। बल्कि तुम समझना नहीं चाहते हो। क्या तुम मेरे लिए वैसा फील करते हो जैसा अंशिका के लिए करते हो? तुम्हें बचपन से जानती हूं मैं। अपनी भावनाओं को छुपाते हो सबसे। मैं जानती हूं कि तुम्हें डर है कहीं हमारा रिश्ता खराब होने से पापा पार्टनरशिप ना तोड़ दे बिजनेस से तो ऐसा कुछ नहीं होगा। अगर हमारी सगाई हो गई तो ना तुम खुश रह पाओगे ना मैं। इसलिए अब जल्दी से अंगूठी पहनाओ अंशिका को।" इससे पहले की मेरा इरादा बदल जाए।


कल्पित और अंशिका जैसे ही एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते है सब लोग ताली बजाने लगते है।

वहाँ से इरा आँखों के कोनों से आँसू पोंछते हुए चली जाती है।


हर किसी को नहीं मिलता

यहाँ प्यार ज़िन्दगी में.....।



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