हम साथ-साथ है
हम साथ-साथ है


"ना जाने ये दोनों कब बड़े होंगे। बच्चों की तरह लड़ते रहते है हमेशा। अक्षिता तुम तो बड़ी हो ना तपू से। फिर क्यों उससे ऐसे बातें करती हो" रेणू जी ने दोनों को लड़ते देखकर कहा।
"माँ, मैंने इसे अपनी फाइल दी थी बनाने को। इसने बनाई नहीं अभी तक। अच्छा होता जब ये छोटा था तो आप इस तर्पण को कहीं अर्पण कर देते" अक्षिता ने हँसते हुए कहा।
"माँ, देखो ना ये मेरे नाम का मजाक बना रही है और कौन सा इसने आज ही जमा करवानी है वो फाइल। परसों देना है कल तक बन जाएगी पागल लड़की" तर्पण ने चिढ़ते हुए कहा।
"तेरी बड़ी बहन है वो। दीदी बोला कर उसे। कितनी बार समझाया है" रेणू जी ने तर्पण के सिर पर चपत लगाते हुए कहा।
"रहने दो ना क्यों डाँट रही हो बच्चों को सुबह-सुबह" रमेश जी ने अखबार पढ़ते हुए कहा।
"आपने ही दोनों को सिर पर चढ़ा कर रखा है अब भुगतो। ये लीजिए चाय पीजिए ठंडी हो जाएगी" कहकर रेणू जी ने कप रख दिया।
वर्मा परिवार का हर दिन इसी तरह बीतता था। हर सुबह लड़ाई-झगड़े से शुरू होती और रात को हम साथ-साथ है पर खत्म होती थी। अक्षिता और तर्पण की नोक-झोक से घर में रौनक बनी रहती। ऐसे ही एक दिन अक्षिता कॉलेज से आकर सीधा अपने कमरे में घुस गई। रेणू जी ने सोचा थक गई होगी इसलिए ध्यान नहीं दिया। रात को खाने के लिए बुलाया मगर उसने मना कर दिया। सुबह भी वो बाहर नहीं निकली। उसे नाश्ता करने के लिए तर्पण ने पुकारा मगर कोई जवाब नहीं आया। तर्पण ने रेणू जी को बताया तो वो कुछ परेशान हुई। दरवाजा अंदर से बंद होने के कारण उसे धक्का मारकर खोलना पड़ा। जैसे ही दरवाजा खुला तो दोनों अंदर गए। वहाँ जाकर उनका तो सिर चक्कराने लगा। अक्षिता बेड पर लेटी हुई थी और उसके मुँह से सफेद झाग निकल रहा था। बेटी की ऐसी हालत देखकर वो गिरने ही वाली थी कि तर्पण ने उन्हें पकड़ लिया। वो तो मानो जैसे शून्य ही हो गई हो। तर्पण ने समझदारी दिखाते हुए पहले एम्बुलेंस को फोन किया फिर पापा को। जब तक एम्बुलेंस आई वो माँ को संभालता रहा। अस्पताल में पहुँचकर भी वो माँ के साथ ही रहा। तब तक रमेश जी भी आ गए। उन्हें देखते ही रेणू जी फूट-फूट कर रोने लगी।
"देखिए ना, ये सब क्या हो गया। आखिर अक्षिता ने ऐसा क्यों किया होगा ? क्या उसे एक बार भी हमारा ख्याल नहीं आया होगा कि हमारे पर क्या बीतेगी? माँ-बाप खुद को भूल कर बच्चों की परवरिश करते है और बच्चे माँ-बाप को ये सिला देते है उनके प्यार का" कहकर रेणू जी रोने लगी।
"तुम रोना बंद करो रेणू। हमारी अक्षिता बहुत समझदार है। जरूर कोई बात रही होगी इन सबके पीछे। सब ठीक हो जाएगा। हम दोनों मिलकर उससे बात करेंगे मगर पहले तुम खुद को संभालो" कहकर रमेश जी चुप हो गए।
माँ तो रो कर अपना दर्द जता सकती है मगर पिता अपने दिल को पत्थर बना देता है और चट्टान की तरह खड़ा हो जाता है तूफान क
े सामने। तर्पण आई.सी.यू. के सामने सोचता है जिस बहन से वो दिन-रात लड़ता था आज वो जिंदगी और मौत से लड़ रही है। अगर उसे कुछ हो गया तो वो किससे लड़ेगा, किसे चिढ़ायेगा, राखी कौन बांधेगा? भाई-बहन का प्यार ऐसा ही होता है हमेशा दोनों लड़ते रहेंगे मगर किसी को खरोंच आए तो बर्दास्त नहीं होता।
डॉक्टर जब आई.सी.यू. से बाहर निकले तो उन्होंने बताया कि अब खतरे से बाहर है। उसने नींद की गोलियाँ खा ली थी मगर कम मात्रा में खाने की वजह से उसकी जान बच पाई। अस्पताल वालों ने पुलिस को इन्फॉर्म कर दिया था क्योंकि आत्महत्या का केस था। जब अक्षिता को होश आया तो सामने सबको खड़ा पाया। बगल में पुलिस इंस्पेक्टर खड़े थे।
हैल्लो अक्षिता, अब तुम्हारी तबीयत कैसी है ? इंस्पेक्टर ने दवाब ना देते हुए पूछा।
ठीक है अक्षिता ने कहा।
तुमने ऐसा कदम क्यों उठाया ? इंस्पेक्टर ने पूछा।
मेरे पास कोई ओर रास्ता नहीं था सर। कल मैं कॉलेज गई थी। क्लास में बैठी थी फोन में मैसेज आने की आवाज आई। जब फ्री हुई तो देखा कि किसी अनजान नंबर से व्हाट्सप्प में कुछ फोटोज आ रखी है। जब उसे खोला तो उसमें मेरी फोटो थी मगर...
घबराओ नहीं खुलकर बताओ इंस्पेक्टर ने आश्वासन दिया।
अश्लील थी फोटो। वो सब देखकर मेरे हाथ-पैर काँपने लगे। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। इसलिए मैं घर जाकर सीधे कमरे में चली गई। रात भर रोती रही। फिर सुबह उसी नंबर से मैसेज आया कि ये तो सिर्फ ट्रेलर था। मेरे पास वीडियो भी है जिसे मैं वायरल कर दूँगा। मुझे कुछ नहीं सुझा तो ये कदम उठाया अक्षिता ने सबको देखकर कहा।
एक-दो दिन बाद अक्षिता को डिस्चार्ज कर दिया गया। सारा दिन बोलने वाली अब चुप सी रहने लगी। छोटा भाई कब बड़ा हो गया उसे पता ही नहीं चला। कभी उसे अकेले नहीं छोड़ता। एक दिन इंस्पेक्टर का आना हुआ।
"जिसने अक्षिता को मैसेज किए थे उसका पता चला गया है। हमने उस पर करवाई करके उसे गिरफ्तार कर लिया है। उसके पास मौजूद सारी फोटोज और वीडियो डिलीट करवा दी गई है और मिस्टर तर्पण, धन्यवाद आपकी मदद के लिए। आपने हमारा काम आसान कर दिया" कहकर इंस्पेक्टर वहाँ से चले गए।
सबकी सवालिया नजरों को देखकर उसने बोलना शुरू किया कि रॉकी ने दीदी से अपने दिल की बात कही थी मगर इन्होंने उसे मना कर दिया तो उसे बर्दास्त नहीं हुआ। उसने दीदी को फोटो को एडिट करके अश्लील बना दिया। मुझे उस पर शक हुआ जब वो मुझे बार-बार फोन करके इनका हाल-चाल पूछता। एक दिन मैं उससे मिलने गया तो मुझे उसका फोन मिल गया। उसमें सब फोटो थी। तब मैंने इंस्पेक्टर को इन्फॉर्म कर दिया। उन्होंने रॉकी को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो उसने सब बता दिया।
अक्षिता जाकर तर्पण के गले लग गई। रमेश जी और रेणू जी खुश थे कि कैसे वो सब तूफान से बच निकले सब साथ-साथ रहकर...