वृक्ष
वृक्ष


चौपाल में बैठे सभी अपने संपत्ति के बारे में बातें कर रहे थे मेरे पिता ने इतने एकड़ जमीन दी ,तो कोई कहता मेरे दादा ने फालना गांव में जमीन ली,कोई कहता हमने हवेली बनाई तो कोई कहता मेरे पिता ने तो दादा की जमीन ही नशे में गवा दी कोई अपने पिता व दादा को कोसते
जिन्होंने हमारे लिए कोई संपत्ति और कुछ ना किया कोई कहता बंटवारे के बाद नशे कि लत के चलते संपत्ति चले गई
रामू सबकी बातें सुन रहा था अचानक रामू को मोहन ने कहा तुम्हारे पास तो बहुत संपत्ति है तो रामू ने कहा मेरे पिता व दादा ने इतने फलों के वृक्ष लगाएं कि मैं उन्हें बेच बेचकर कर ही धनवान बन गया हूं उसके बदौलत ही मैंने कई जमीन जायदाद खरीदे हवेली बनाई
कहते है एक वृक्ष 10 पुत्र समान, सच कहा गया है ,मै वृक्षों के सहारे ही मैं आगे बढ़ा हूं तुम सब भी बहुत बहुत सारे पौधे लगाओ ताकि वह भी तुम्हारी जीविका का आधार बने और खूब मेहनत करो मेहनत के दम पर हम बहुत कुछ जीवन में हासिल कर सकते हैं।