Meena Singh "Meen"

Abstract Romance Inspirational

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Meena Singh "Meen"

Abstract Romance Inspirational

वो तुम हो (पार्ट-20)

वो तुम हो (पार्ट-20)

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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि नाराज मयंक को कैसे मनाती है। मयंक भी मान जाता है और वो अंजलि को अपनी लिखी एक कविता सुनाता है। अंजलि और मयंक आज एक खुशनुमा एहसास से रूबरू होकर बहुत खुश थे। शुभम का फ़ोन आने पर मयंक और अंजलि वापिस जाकर बस में बैठ जाते हैं। लेकिन जल्दी में अंजलि आयुष के पास बैठ जाती हैं और मयंक आगे बस ड्राइवर के साथ बैठ जाता है। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-

अंजलि आयुष के पास बैठी हुई भी एकटक मयंक को ही देख रही थी। आयुष ने थोड़ी देर देखने के बाद अंजलि के कंधे से अपना कन्धा टकराते हुए कहा, बस करो प्रिंसेस सब आपको ही देख रहे हैं। अंजलि ने सुना तो इधर-उधर देखने लगी। लेकिन उसने देखा बस में सभी एक-दूसरे में ही बिजी थे। राघव और रागिनी एक दूसरे से बातें करने में लगे थे। रिया और नितिन एक ही इयरफोन की एक-एक लीड अपने कानों में लगाकर एक-दूसरे के बहुत नज़दीक बैठे अपनी ही दुनिया में गुम थे। नाज़िया भी कानों में लीड लगाये विंडो सीट पर बैठी गाने सुन रही थी। शुभम फ़ोन पर गेम खेलने में बिजी था। तभी उसकी नज़र दिव्या पर पड़ी जो कि अंजलि के जस्ट आगे वाली सीट पर बैठी फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी। आखिरकार जब अंजलि ने वापिस आयुष की तरफ देखा तो वो अपने गालों पर हाथ रखकर मुस्कुरा रहा था। अंजलि ने कहा आयुष लगता है तुम्हें अपने दांत तुड़वाने का शौक चढ़ा है?


आयुष ने कहा मेरा छोड़ो और अपना बताओ प्रिंसेस कैसा लग रहा है ये जो नया शौक आपको चढ़ा है? कौन-सा शौक अंजलि ने हैरान होकर कहा। आयुष ने कहा अरे प्रिंसेस इश्क फरमाने का शौक। अंजलि ने कहा उफ्फ आयुष प्लीज चुप हो जाओ। आयुष ने कहा अच्छा प्रिंसेस जब तुमने उसे किस किया तो उसके चेहरे पर क्या एक्सप्रेशन थे? अंजलि ने कहा..............वो थोड़ा हैरान था लेकिन हाँ उसका गुस्सा गायब हो गया था। शायद खुश था लेकिन मुझे दिखा नहीं रहा था। आयुष बस मुस्कुराये जा रहा था तो अंजलि ने कहा अच्छा बस अब ज्यादा बत्तीसी मत दिखाओ। आयुष ने कहा क्या करूँ प्रिंसेस, मेरी तो हँसी ही नहीं रुक रही कि तुम उस बेचारे पर टूट पड़ी थी। वाह भाई वाह पप्पियाँ-झप्पियाँ हम्म............सही है। अंजलि को ये सुनकर शर्म आ रही थी तो उसने आयुष को टोकते हुए कहा चुप करो यार वो तो बस उसे मनाने के लिए किया था। आयुष ने कहा वैसे प्रिंसेस मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ। अंजलि ने कहा थैंक यू आयुष तुमने मेरी बहुत मदद की, हम दोनों आज तुम्हारी वजह से एक-दूसरे के करीब आ पाए हैं।


आयुष ने कहा ओह्ह मैडम ज्यादा थैंक यू की जरुरत नहीं है। बस तुम खुश रहो मैं तो यही चाहता हूँ। अच्छा सुनो वो देखो तुम्हारा प्रिंस चार्मिंग यहीं देख रहा है और शायद मुझसे जल-भुन रहा है। शटअप कहकर अंजलि मयंक की तरफ देखने लगी। मयंक अंजलि के देखते ही इशारे करने लगा। अंजलि को समझ नहीं आया लेकिन आयुष समझ गया था तो वो वहाँ से उठकर आगे मयंक के पास चला गया। मयंक ने कहा थैंक यू यार, वो मुझे अंजलि से थोड़ी बात करनी थी। आयुष ने धीरे से कहा अब तो तुम्हें रोज ही बात करनी होगी, मुलाकात करनी होगी और हाँ अगर ऐसा नहीं किया तो वो तुम्हारा हाल बुरा कर देगी, समझ गए। मयंक ने कहा हम्म ठीक है, ध्यान रखूँगा। मयंक जाकर अंजलि के पास बैठ गया।


थोड़ी देर चुप बैठने के बाद मयंक ने कहा अंजलि अगर मैं किसी दिन तुमसे बात ना कर पाऊं, या किसी दिन मिल ना पाऊं तो क्या तुम मुझसे गुस्सा हो जाओगी? अंजलि को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने कहा नहीं मयंक ऐसी तो कोई बात नहीं है। मयंक थोड़ा सोच में पड़ गया और पलट कर सामने बैठे आयुष की तरफ देखने लगा।

अंजली ने देखा तो उसने कहा क्या आयुष ने फिर तुमसे कुछ कहा है? मयंक ने सुना तो कहा नहीं वो तो बस ऐसे ही पूछ रहा था। अंजलि ने कहा बहुत अच्छे से जानती हूँ उसे, उसने तुमसे फिर मेरे बारे में कोई फ़िज़ूल बात की है। हाँ बोलो, बोलो.....इस बार क्या कहा उसने? मयंक ने कहा कुछ नहीं बस कह रहा था कि तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ। अच्छा............अंजलि ने थोड़ा हैरान होकर कर कहा। लेकिन अगले ही पल उसने फिर मयंक से सवाल किया, क्या वाकई उसने तुमसे कुछ नहीं कहा? मयंक ने कहा नहीं, अंजलि तुम दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हो न? हम्म........अंजलि ने थोड़ा संजीदा सा जवाब दिया।

मयंक ने कहा एक सवाल पूछना था, अगर तुम्हें बुरा न लगे तो? अंजलि ने कहा हाँ पूछो। मयंक ने कहा नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही। अंजलि ने कहा मयंक मैं जानती हूँ कि आयुष और मेरी दोस्ती को समझना तुम्हारे लिए मुश्किल होगा लेकिन यकीन करो ये दोस्ती ही है और मेरे लिए बहुत अनमोल रिश्ता है। इस रिश्ते को मैं शायद कभी नहीं खोना चाहूँगी।

मयंक मुस्कुराया और कहने लगा अगर कभी मेरी वजह से तुम्हें इस रिश्ते को खोना पड़ा तो उस वक़्त तुम क्या करोगी? अंजलि ने कहा मयंक मैं भगवान से दुआ करती हूँ कि ऐसा दिन मेरी ज़िन्दगी में कभी भी ना आये। तुम दोनों ही मेरे लिए बहुत अनमोल हो। मेरे माँ-पापा के बाद अगर मेरी लाइफ में कोई रिश्ता अहम् है तो वो तुम और आयुष ही हो। मयंक अंजलि और आयुष के रिश्ते की हद जान चुका था लेकिन वो कितना समझ पाया था ये तो वही जानता था। कुछ समय बाद ही सभी वापिस होटल पहुँच चुके थे। एक-दूसरे को गुड नाईट कहकर सभी अपने-अपने कमरों में सोने के लिए जा चुके थे। लेकिन मयंक होटल के बाहर ही लगी एक बेंच पर बैठा खुले आसमां को देख रहा था। उसे अपनी किस्मत पर रश्क भी हो रहा था क्योंकि आज अंजलि उसकी हो चुकी थी लेकिन आयुष और अंजलि की दोस्ती उसके लिए एक पहेली थी क्योंकि उसने कभी एक लड़का और लड़की की इतनी गहरी दोस्ती ना देखी थी और ना ही सुनी थी।


अपने ही विचारों की उधेड़बुन में खोया मयंक अपनी सोच से बाहर तब आया जब आयुष उसके पास आकर बैठ गया। उसके हाथ में दो कॉफ़ी थी, एक कप उसने मयंक की तरफ बढ़ाते हुए कहा मेरे बारे में सोच रहे हो? ये सुनते ही मयंक थोड़ा असहज हो गया, उसने कहा नहीं ऐसा तो कुछ नहीं। आयुष ने कहा ओके तो फिर अंजलि के बारे में सोच रहे होगे, क्यों? मयंक ने इस दफा मुस्करा कर हामी भरी। आयुष ने कहा यार घबराओ मत इतनी भी खतरनाक नहीं है मेरी प्रिंसेस। मयंक ने सुना तो आयुष के चेहरे की तरफ देखते हुए कहने लगा ये तुम अंजलि को प्रिंसेस क्यों कहते हो? आयुष ने सुना तो मुस्कुराते हुए थोड़े शरारती लहजे में कहने लगा आर यू फीलिंग जेलस विथ मी? मयंक ने कहा नहीं यार, बस दिल किया तो पूछ लिया। वो तुम अक्सर उसे प्रिंसेस कहते हो। पहले तो मुझे लगता था कि शायद तुम दोनों के बीच कुछ है इसलिए तुम उसे प्रिंसेस बुलाते हो। लेकिन अब तो मुझे पता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है तो उसे प्रिंसेस बुलाने की कोई खास वजह या फिर बस यूँ ही बुलाते हो?


आयुष ने कहा हम्म......तुमने बहुत अच्छा सवाल किया है। इसका जवाब भी इंट्रेस्टिंग है, सुनकर तुम्हें मजा आएगा। चलो सुनो मैं, अंजलि और मेरी बहन अमृता (जो अब इस दुनिया में नहीं है), कहते हुए आयुष थोड़ा उदास हो गया था। मयंक ने कहा रहने दो मुझे तुम ठीक नहीं लग रहे। आयुष ने कहा नहीं मैं ठीक हूँ और मुझे ठीक मेरी प्रिंसेस ने ही किया है। हम तीनों की तिगड़ी पूरे स्कूल में फेमस थी। मैं लड़कियों का प्रिंस चार्मिंग हुआ करता था। अमृता एक पढ़ाकू लड़की थी, पूरे स्कूल की शान और अंजलि बास्केटबाल चैंपियन थी। क्या?? मयंक ने हैरान होकर कहा क्या कहा तुमने अंजलि बास्केटबाल खेलती थी? आयुष ने कहा खेलती नहीं थी भाई जीतती थी। बास्केटबॉल मैच की विनर हमेशा अंजलि ही होती थी। टीम में चाहे लड़के खेले या फिर लडकियाँ विनर अंजलि ही होती थी।


आयुष ने आगे कहा हम तीनों हमेशा ही अलग थे, अलग सोच, अलग सपने लिए हम एक साथ बड़े हो रहे थे। अंजली और मेरी अक्सर लड़ाई हुआ करती थी और अमृता वो बड़े ही आराम से हमारी फिर से दोस्ती करवा दिया करती थी। एक बार अंजलि के बर्थडे पर हम सब उसके घर गए थे, उस वक़्त हम तीनों ही नौवीं कक्षा में थे। अंजलि के पापा हर बार अंजलि को प्रिंसेस कहकर बुला रहे थे। मैंने सुना तो मैं उसका मजाक उड़ाने लगा। बस फिर क्या था अंजलि तो बचपन से ही गुस्सैल है उसने अपना बर्थडे केक उठाया और मेरे मुँह पर दे मारा। उस पल मुझे एहसास हुआ कि मैंने प्रिंसेस की शान में गुस्ताखी कर दी है। मयंक ने सुना तो बस हँसता ही रहा। आयुष ने कहा बस तब से ही मैं उसे प्रिंसेस ही बुलाता हूँ। मेरी एक सलाह मानो तो तुम भी उसे प्रिंसेस बुलाना शुरू कर दो, ताकि तुमसे उसकी शान में कोई गुस्ताखी ना हो। मयंक ने कहा नहीं मैं तो उसे अंजलि ही कहकर बुलाऊंगा। दोनों थोड़ी देर तक यूँ ही बैठे रहे और फिर सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।


मयंक और आयुष एक ही कमरे में थे लेकिन दोनों ही शायद किसी सोच में गुम थे। कुछ देर बाद दोनों ही सो चुके थे। राघव जो कि काफी देर से रागिनी से फ़ोन पर बात कर रहा था, उसने उसे गुड नाईट कहा और फ़ोन रख दिया। नितिन और शुभम एक-दूसरे को ऐसे पकड़ कर सो रहे थे जैसे दो छोटे बच्चे एक साथ सोये हों। राघव ने अपना फ़ोन उठाया और उनकी ऐसे सोते हुए एक फोटो खींच ली। उसने फ़ोन रखा और फिर खुद भी सो गया था। दूसरी तरफ दिव्या और अंजलि एक-दूसरे से बातें कर रहे थे। दिव्या ने बताया कि आयुष और उसकी थोड़ी लड़ाई हो गयी थी। अंजलि ने जब वजह इसकी वजह जाननी चाही तो दिव्या उसे टालने लगी थी। अंजलि ने अपना दिमाग लड़ाते हुए कहा कहीं तुम दोनों मेरी वजह से तो नहीं लड़ रहे थे? अंजलि के इस सवाल पर दिव्या की चुप्पी अंजलि को उसके सवाल का जवाब दे गयी थी। अंजलि ने कहा देखो दिव्या आयुष खुद भी तुमसे लड़कर खुश नहीं होगा। जहाँ तक मैं उसे जानती हूँ वो तुम पर अपनी जान छिड़कता है। दिव्या ने सुना तो अंजलि को सवालिया निगाहों से देखने लगी थी। अंजलि उसके सवालों को समझ रही थी।


अंजलि ने कुछ देर सोचकर कहा दिव्या मेरी वजह से आयुष से कभी मत लड़ना। हम दोनों सिर्फ अच्छे दोस्त हैं, शायद एक जैसा दुःख हम दोनों ने एक साथ सहा है इसलिए और कोई वजह नहीं है। हाँ अगर हम दोनों के बीच कुछ होता तो तुम्हें क्या लगता है क्या तुम आज आयुष की लाइफ में होती? अंजलि का सवाल एकदम सही था? ये बात दिव्या को समझ आ गयी थी क्योंकि दिव्या और आयुष को मिलवाने वाली अंजलि ही तो थी। अगर आयुष और अंजलि के बीच कुछ होता तो वो भला दिव्या और आयुष को क्यों मिलवाती? दिव्या अपनी बेवकूफी को समझ कर मुस्कुराई और अंजलि के गले लग गयी। अंजलि यार, तुम्हें बुरा लगेगा लेकिन तुम दोनों एक-दूसरे को इतने अच्छे से समझते हो कि कोई भी ग़लतफहमी का शिकार हो सकता है। प्लीज मुझे माफ़ कर दो। अंजलि ने कहा दिव्या कोई भी ऐसी ग़लतफहमी का शिकार हो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन तुम ऐसा कभी मत सोचना क्योंकि उससे मुझे और आयुष दोनों को फर्क पड़ेगा।


दिव्या ने कहा मैं कभी ऐसा नहीं सोचूंगी लेकिन क्या मयंक भी इस रिश्ते को समझ पायेगा? दिव्या की बात सुनकर अंजलि सोच में पड़ गयी थी। लेकिन अगले ही पल अंजलि ने कहा उसे समझना होगा क्योंकि उसकी समझ और विश्वास ही तो हमारे रिश्ते की नींव होगी। क्योंकि अगर विश्वास और समझ ही नहीं होगी रिश्ते में तो ऐसा रिश्ता टिक ही नहीं पायेगा।

दिव्या भी अंजलि की बात समझ रही थी। उसने कहा अंजलि तुम तो सच में बहुत समझदार हो। अब समझी कि आयुष क्यों तुम्हारी इतनी तारीफें करता है? तारीफें.................मेरी तारीफें.......अंजलि ने कहा वो तो डर के मारे करता है। दिव्या और अंजलि इस बात पर दोनों ताली देकर हँसने लगी थी। उनके शोर से रिया ने नींद में ही ऊँघते हुए कहा यार सो जाओ तुम दोनों, कितनी बातें करती हो? अब अंजलि और दिव्या चुपचाप अपनी-अपनी जगह पर लेट गए और थोड़ी ही देर में दोनों ही सो चुकी थी।


अगले दिन सभी स्टूडेंट्स जयपुर की कई जगहों पर घूमें। वो पहले हवामहल गए, फिर अल्बर्ट म्यूजियम और भी कई जगहें देखकर आखिरकार अगले दिन सभी को वापिस लौटना था। तभी स्पोर्ट्स टीचर ने कहा कि स्टूडेंट्स आई होप कि आप सभी को इस ट्रिप पर मजा आया होगा। सभी कहने लगे यस सर बहुत एन्जॉय किया है। तभी स्पोर्ट्स टीचर ने एक और सरप्राइज दिया जिसे सुनकर सभी ख़ुशी से उछल पड़े थे। स्पोर्ट्स टीचर ने बताया कि आज रात सभी स्टूडेंट्स के लिए पार्टी है सो आज सभी एन्जॉय करेंगे और हम कल सुबह दिल्ली के लिए निकलेंगे।


सभी स्टूडेंट्स शाम को होने वाली पार्टी के लिए तैयार होने लगे थे। नाज़िया, रिया, दिव्या, रागिनी सभी तैयार होने के लिए अपनी ड्रेस सिलेक्ट कर चुकी थी। लेकिन बेचारी अंजलि अभी तक भी सिलेक्ट नहीं कर पायी थी कि उसे क्या पहनना है? दूसरी तरफ शुभम, नितिन, आयुष और राघव भी तैयार हो चुके थे। मयंक भी आज बहुत स्मार्ट लग रहा था। आयुष ने मयंक को देखा तो कहने लगा आज तो तुम भी प्रिंस लग रहे हो? इसलिए मैंने कुछ सोचा है। मयंक ने कहा क्या सोचा हैं? यहीं कि अंजलि को मैं प्रिंसेस बुलाता हूँ और अब से तुम्हें प्रिंस बुलाया करुँगा? मयंक ने सुना तो मुस्कुरा दिया। तभी आयुष का फ़ोन बजा। फ़ोन अंजलि का था, और आयुष मयंक के सामने ही बोल पड़ा हाँ प्रिंसेस बोलो। मयंक ने प्रिंसेस शब्द सुना तो उसके कान खड़े हो गए थे। वो सोच रहा था कि आखिर अंजलि आयुष से क्या बात कर रही होगी? उधर फ़ोन पर अंजलि बहुत परेशान होकर कह रही थी कि मैं आज शाम की पार्टी के लिए कुछ स्पेशल पहनना चाहती हूँ क्या तुम मेरी हेल्प करोगे प्लीज? आयुष ने सुना तो हँसकर कहने लगा प्रिंसेस आपके प्रिंस चार्मिंग तो तैयार भी हो चुके हैं और आपका अभी ड्रेस भी सेलेक्ट नहीं हुआ। क्या सच में, अंजलि ने परेशान होकर कहा? हम्म..............आयुष ने पीछे मुड़कर मयंक की तरफ देखते हुए कहा। यार आयुष अब मैं क्या करूँ, मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा। रिलेक्स प्रिंसेस, तुम ऐसा करो मुझे बताओ तुम कौन-कौन से ड्रेस लेकर आई हो? अंजलि ने फटाफट से उसे बताना शुरू किया और आयुष बड़े ही ध्यान से सुन रहा था। आयुष से थोड़ी दूरी पर खड़ा मयंक ये क्या माज़रा है ये समझने की कोशिश कर रहा था।


आयुष ने कहा अंजलि स्टॉप, स्टॉप बस यहीं रुक जाओ। तुम यही वाला ड्रेस पहन लो, ये ड्रेस तुम पर बहुत अच्छा लगता है। आर यू श्योर आयुष? यस प्रिंसेस आई एम् डैम श्योर। प्रिंसेस यू हैव ओनली टेन मिनट्स। चलो जल्दी से तैयार हो जाओ। ओके कहकर अंजलि ने फ़ोन काट दिया और तैयार होने लगी। इधर मयंक के चेहरे पर सवालों की लकीरें देख कर आयुष ने कहा यार परेशान न हो बस उसे ड्रेस सिलेक्ट करने में मदद की है। वैसे तैयार वो तुम्हारे लिए ही हो रही है। मयंक ने सुना तो मुस्कुरा कर दूसरी तरफ देखने लगा। आयुष भी उसे छेड़ते हुए कहने लगा ओह्ह तो हमारा प्रिंस शरमाता भी है। हद है यार तुम इतना शरमाओगे तो मेरी प्रिंसेस क्या करेगी? मयंक ने अब घूरकर आयुष को देखा तो वो कहने लगा अरे यार मजाक कर रहा हूँ। चलो अब जल्दी से प्रिंसेस को इंतजार नहीं करवाना वरना...................कहकर आयुष वहाँ से भाग निकला।


आयुष भागकर होटल के उस एरिया में पहुँचा जहाँ पार्टी अरेंज की गयी थी। आयुष की नज़रें सिर्फ दिव्या को ढूँढ रही थी। तभी उसकी नज़र गर्ल्स टीम पर पड़ी तो वो उधर चल पड़ा। दिव्या कहकर उसने जिस लड़की के कंधे पर हाथ रखा वो रिया थी। उसने पलट कर आयुष की तरफ देखा तो आयुष ने हडबडाते हुए कहा सॉरी मुझे लगा दिव्या है। रिया ने हँसते हुए कहा दिव्या अभी आई नहीं है। दरअसल वो अंजलि को तैयार होने में हेल्प कर रही थी। बस थोड़ी देर में आती ही होगी। रिया अभी ये कह ही रही थी कि तभी उसे सामने से दिव्या आती दिखाई दी। उसने मुस्कुराते हुए कहा लो आ गयी दिव्या। आयुष ने पलट कर देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया। दिव्या ने आयुष के पास आकर कहा क्या हुआ तुम्हें, ऐसे मुँह खोलकर क्यों खड़े हो। आयुष अब भी वैसे ही खड़ा दिव्या को देख रहा था तो दिव्या ने उसके कंधे पर अपना हाथ मारते हुए कहा मुंह बंद करो वरना इसमें मक्खी चली जाएगी। यार तुम क्या गजब ढा रही हो, आयुष ने दिव्या के करीब होते हुए कहा।


अच्छा-अच्छा बस करो ज्यादा मक्खन लगाने की जरूरत नहीं है। मक्खन नहीं लगा रहा यार तुम तो खुद ही मक्खन हो। दिव्या ने कहा वैसे बाकी सब कहाँ हैं? दिव्या ने देखा सभी लड़कियां एक साथ खड़ी थी, वो भी वहीं जाकर खड़ी हो गयी थी। आयुष भी जाकर नितिन, शुभम, राघव के पास खड़ा होकर बातें करने लगा। आयुष ने कहा अरे ये प्रिंस कहाँ रह गया? बाकी सबने सुना तो हैरानी से उसे देखने लगे। आखिरकार शुभम बोल ही पड़ा कि अब ये प्रिंस कौन है? अरे भाई मेरी प्रिंसेस का प्रिंस, आयुष ने अपनी बात समझाते हुए कहा। ओह्ह तो तुम मयंक की बात कर रहे हो, राघव ने आयुष की बात समझकर जवाब दिया। आयुष ने कहा यार लगता है इस ग्रुप में बस एक राघव ही इंटेलिजेंट है? नितिन उसकी बात पर मुस्कुरा दिया लेकिन शुभम ने नाराज होने की एक्टिंग करते हुए कहा ऐसा कुछ नहीं है हम सब इंटेलीजेंट हैं।

उधर अंजलि अपने रूम में आईने के सामने खड़ी खुद से ही बातें कर रही थी। उसने खुद को आईने में देखते हुए कहा कैसी लग रही हूँ मैं? बेहद खूबसूरत! अंजलि ने चौंकते हुए कहा ये खूबसूरत तुमने कहा आईने? फिर उसे जवाब आया तुम वाकई बहुत खूबसूरत हो अंजलि! अंजलि ने ये सुना तो पलट कर देखा। उसे वहाँ कोई नहीं दिखा तो उसने फिर से आईने की तरफ देखा। अंजलि ने थोड़ा डरते हुए कहा लगता है यहाँ कोई भूत-वूत है? अंजलि ने फिर आईने से कहा- सुनो क्या तुम कोई भूत हो? देखो वैसे मैं किसी से नहीं डरती लेकिन भूत से मुझे बहुत डर लगता है। अंजलि ने अपनी आँखें बंद कर ली और मन ही मन कहने लगी "आल तू जलाल तू, आई बला को ताल तू"। तभी उसने एक आवाज सुनी - अपनी आँखें खोलो अंजलि। जैसे ही उसने आँखें खोली तो उसे आईने में अपने पीछे खड़ा मयंक दिखाई दिया। तुम..............मयंक तुम यहाँ क्या कर रहे हो?

मयंक ने अपना हाथ उसके होंठों पर रखते हुए कहा श्ह..........................कितना बोलती हो तुम? अंजलि अब बिलकुल चुपचाप खड़ी हो गयी थी। वो अभी की अपनी हरकत के बारे में सोचकर मन ही मन बड़बड़ा रही थी। ये क्या किया अंजलि, अब ये क्या सोचेगा तेरे बारे में कि अंजलि भूत-वूत को मानती है और उनसे डरती भी है। मयंक ने उसे ऐसे खोया देखा तो कहने लगा मैं ऐसा कुछ नहीं सोचूँगा, सो जस्ट चिल्ल! तुम्हें पता लग गया जो मैं सोच रही हूँ अंजलि ने अपने हाथों की ऊँगलियों को आपस में फँसाते हुए कहा। मयंक ने उसे नोटिस किया कि वो शायद उसके सामने नर्वस हो रही थी। उसने कहा अंजलि तुम शायद भूल रही हो, तुम्हारा दिल मेरे पास है तो उसमें क्या चल रहा है ये तो मुझे पता लग ही जाएगा। अंजलि ने सुना तो नज़र उठाकर मयंक को देखा और मुस्कुरा दी।


मयंक ने कहा वैसे तुम तो बहुत ही टैलेंटेड हो यार, आईने से भी इतनी कॉंफिडेंटली बात कर लेती हो। अंजलि ने बात को बदलते हुए कहा तुम यहाँ क्या कर रहे हो? मयंक ने कहा बस तुम्हें बाहर नहीं देखा तो बेचैन हो गया और तुम्हें ढूँढता हुआ यहाँ आ गया। अंजलि ने कहा ओह्ह तो तुम्हें बेचैनी हो रही थी? मयंक ने उस पर अपनी नज़रें टिकाये हुए ही कहा हाँ हो रही थी। तुम्हें अगर थोड़ी देर भी नहीं देखूँ तो मुझे बेचैनी हो जाती है।

अंजलि ने कहा अच्छा तो क्या अब तुम्हारी बेचैनी दूर हो गई? मयंक ने कहा ह्म्म्म..............नहीं मुझे तो लग रहा है जैसे बढ़ गई है।


अंजलि ने कहा चुपचाप यहाँ से बाहर जाओ, वरना बहुत पिटोगे। मयंक ने कहा मेरा तो बिलकुल मन नहीं है तुम्हें यूँ छोड़ कर जाने का। अंजलि ने मयंक की तरफ देखा जो लगातार बस अंजलि को ही देख रहा था। उसकी आँखों में देखते ही वो मन ही मन खुद से कहने लगी नहीं अंजलि उसकी आँखों में मत देखो। क्यूँ, तुम मेरी आँखों में देख लोगी तो क्या हो जाएगा, मयंक ने इस बार शरारती लहजे में कहा तो अंजलि ने कहा क्या तुमने सब सुन लिया? लेकिन मैंने तो जोर से नहीं कहा था। मयंक मुस्कुराया और कहने लगा लेकिन मैं चाहता हूँ कि आज जो कुछ कहूँ वो सब सुन लें। क्या मतलब अंजलि ने सवालिया लहजे में पूछा? चलो जल्दी से पार्टी में आ जाओ, वहीं बताता हूँ। मयंक जाने लगा, फिर मुड़ा और अंजलि के करीब आया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहने लगा अंजलि तुम बहुत खूबसूरत हो! अंजलि जो शायद कभी नहीं शरमाई थी लेकिन आज शर्मा गयी थी। उसने अपनी पलकें झुका ली थी। मयंक ने उसके माथे पर एक किस करते हुए कहा जल्दी आना वरना मैं फिर से बेचैन हो जाऊँगा।


मयंक वहाँ से जा चुका था और अंजलि फिर से खुद को आईने में निहार रही थी। तुम बहुत खूबसूरत हो अंजलि, कहकर वो खुद ही मुस्कुरा उठी थी। उधर पार्टी में मयंक ने देखा कि सभी लड़के एक साथ खड़े थे और सभी लड़कियां एक साथ खड़ी थी। मयंक को देखते ही आयुष ने कहा वो देखो प्रिंस तो आ गया लेकिन अकेला ही आया है। हमारी प्रिंसेस कहाँ है, आयुष ने मयंक को छेड़ते हुए कहा। मयंक ने सुना तो अनजान बनते हुए कहा मुझे क्या पता? आयुष ने कहा अच्छा तो तुम्हें नहीं पता? मयंक ने जवाब में फिर कहा हम्म........मुझे नहीं पता। आयुष ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसे थोड़ा साइड में ले जाकर कहा माय डिअर प्रिंस अभी तो तुम उसी के साथ थे, फिर तुम्हें कैसे नहीं पता। मयंक ने सुना तो चौंकते हुए कहा तुम्हें कैसे पता? आयुष ने मुस्कुराते हुए कहा हम्म.....मुझे सब पता है और तुमने वहाँ क्या किया ये भी पता है, कहो तो बता दूँ सबको? मयंक ने कहा आयुष से गलत बात है तुम वहाँ क्या कर रहे थे? तुमने छुपकर हमारी बातें सुनी?


आयुष ने देखा मयंक उसे गुस्से में घूर रहा था। आयुष ने कहा अरे यार ऐसे तो मत घूरो, मैं तो बस मजाक कर रहा हूँ। कैसा मजाक, मयंक ने अब भी गुस्से में कहा? आयुष ने कहा मुझे सच में नहीं पता था कि तुम और अंजलि एक साथ थे। असलियत ये है कि मेरी फ़िज़ूल बकवास में तुमने सच खुद ही मुझे बता दिया कि ये प्रिंस चार्मिंग अपनी प्रिंसेस के साथ था। मयंक ने सुना तो अपनी बेवकूफी पर उसे खुद ही गुस्सा आ गया था। आयुष ने कहा अच्छा रिलेक्स वो देखो प्रिंसेस भी आ गयी। मयंक ने देखा अंजलि पार्टी में आ चुकी थी। अंजलि को देखते ही उसका सारा गुस्सा छू हो चुका था। आयुष ने कहा कितनी प्यारी लग रही है? मयंक ने उसे फिर घूरा और कहा उसकी तारीफ मैं करूँगा तुम अपना मुंह बंद रखो। आयुष ने सुना तो अपने मुंह पर ऊँगली रखते हुए हाँ में अपनी गर्दन हिला दी। मयंक ने देखा अंजलि उसके पास ना आकर अपनी फ्रेंड्स के पास चली गयी थी। मयंक ने आयुष के कान में कुछ कहा और आयुष ने जाकर माइक अपने हाथों में लेते हुए एक अनाउंसमेंट की - दोस्तों आज हम सब इस पार्टी में एन्जॉय करने के लिए इकठ्ठा हुए हैं, और हमारा दोस्त मयंक हम सबके बीच एक कविता सुनाना चाहता है। ज़ाहिर है ये कविता किसी स्पेशल वन के लिए है। उम्मीद है कि मेरे दोस्त के शब्दों में छुपे एहसास उसके स्पेशल वन तक पहुँच जाएँ। सभी दोस्त समझ चुके थे कि मयंक की कविता तो उसकी "वो तुम हो" के लिए होगी। साथ ही साथ अंजलि के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ चुकी थी।


मयंक स्टेज की तरफ गया तो आयुष ने माइक उसके हाथों में थमाते हुए कहा यार तुम रियल में प्रिंस ही हो, मेरी प्रिंसेस के ख्वाबों की ताबीर हो तुम। मयंक मुस्कुरा दिया और उसने एक नज़र अंजलि की तरफ देखा, तो उसने अपनी नज़रें झुका ली थी...................


उसकी ये झुकी नज़र मुझे बेचैन कर रही है,

इक खुशनुमा मंजर इन आँखों में भर रही हैं।

दिल उसके आने से फिर देखो धड़क उठा है,

भरने को उन्हें इन बाँहों में देखो मचल उठा है।

शबनमी सी ये ख्वाहिशें, हैं कुछ मासूम हसरतें,

हर इक साँस के साथ बढ़ती जाती हैं ये चाहतें।

इश्क़ कभी चाहत हुआ, अब इबादत बन चुका है,

दिल जो मेरा था, अब मुरीद उसका बन चुका है।

इश्क की पाकीज़गी दिखती है उसके हंसी चेहरे पर,

मोहब्बत की रूहानियत जँचती है उसके चेहरे पर।

वो आसमां की है परी या चाँद की धवल-सी चाँदनी,

दिल ने दिए कई नाम उसको, वो दिलनशी, वो नाज़नी।

मोहब्बत का इक चेहरा, इश्क का इक नाम तुम हो,

बसती है मेरी रूह में जो कोई और नहीं वो तुम हो।


मयंक की कविता अंजलि के दिल को इक सुकून दे रही थी। उसके दिल के जज्बातों को इक खुशनुमा एहसास दे रही थी। मयंक ने जैसे ही अपनी कविता को विराम दिया, सभी उसके लिए तालियाँ बजाने लगे थे। शुभम सीटी बजाकर कहने लगा था वाह भाई वाह मजा आ गया। अंजलि और मयंक की नज़रें एक-दूजे पर टिकी थी। कविता सुनकर राघव और रागिनी के एक-दूजे का हाथ थामे आँखों ही आँखों में कह रहे थे "वो तुम हो"। दिव्या आयुष की बाँहें थामे कह रही थी यार ये कितना प्यार करता है अंजलि से? आयुष ने कहा उससे ज्यादा प्यार मैं करता हूँ तुमसे। दिव्या ने मुँह बनाते हुए कहा मुझे तो नहीं लगता।

आयुष ने कहा मेरे प्यार पर तू शक न कर, मैं अपनी जान भी दे दूँ तेरी इक हँसी की खातिर। दिव्या ने सुना तो हँसते हुए कहने लगी बस-बस ऐसी शायरी मत सुनाओ मुझे पता है कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो। रिया और नितिन एक-दूसरे को अपलक निहार रहे थे। नाज़िया अपने फ़ोन में इस हसीन शाम को रिकॉर्ड करने में व्यस्त थी और अपना शुभम एक कोने में खड़ा अपने दोस्तों को खुश देखकर खुश हो रहा था। वो मन ही मन सोच रहा था ये दोस्ती और प्यार के रिश्ते अगर सच्चे हों तो कितने अनमोल होते हैं। भगवान मेरे दोस्तों को हमेशा ऐसे ही खुश रखना और हम सब ऐसे ही हमेशा एक साथ रहें।


अंजलि अब मयंक के सामने आकर खड़ी हो गयी थी। मयंक ने कहा कैसी लगी मेरी कविता? अंजलि ने कहा बहुत खूबसूरत थी। मयंक ने कहा तुम्हें पसंद आयी? बहुत पसंद आई, कहकर अंजलि ने कहा मयंक मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी, क्या हम थोड़ी देर बाहर चलें। मयंक ने कहा ओके, चलते हैं।


क्रमशः



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