STORYMIRROR

Meena Singh "Meen"

Romance Inspirational

4  

Meena Singh "Meen"

Romance Inspirational

वो तुम हो (भाग - 23)

वो तुम हो (भाग - 23)

19 mins
348

प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि की ज़िन्दगी का एक और सच है जिसे अमिताभ जी और नैना जी ने उससे छुपा रखा है, ताकि अंजलि को कोई दुःख न हो। दूसरी तरफ अंजलि आयुष के बदले व्यवहार से परेशान होकर उससे मिलने उसके घर पहुँच जाती हैं। आयुष के व्यवहार से दुखी अंजलि रोती हुई उसके घर से बाहर चली जाती है। आयुष की माँ उसे जाकर अंजलि को मनाने के लिए कहती है। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-


आयुष के घर से निकल कर अंजलि बाहर पहुँची तो मयंक ने कहा क्या हुआ है अंजलि तुम रो क्यों रही हो? अंजलि ने कहा बाइक स्टार्ट करो और चलो यहाँ से। लेकिन अंजलि तुम्हें हुआ क्या है? मयंक के फिर से सवाल पर अंजलि गुस्से में चिल्ला पड़ी थी। मयंक ने मौके की नजाकत को समझते हुए कहा ओके मैं चलता हूँ, तुम परेशान मत हो। मयंक ने बाइक स्टार्ट की और थोड़ी देर बाद दोनों एक पार्क में बैठे थे। काफी देर चुप रहने के बाद मयंक ने अंजलि का हाथ अपने हाथ में थामते हुए कहा अंजलि मुझे बताओगी नहीं क्या हुआ है? वो मुझसे दोस्ती ख़त्म कर चुका है, और मुझे उसकी वजह भी नहीं बता रहा........अंजलि ने अपनी आँखों से गिरते हुए आँसुओं को साफ़ करते हुए कहा। मयंक थोड़ा हैरान हुआ लेकिन कहीं ना कहीं वो इसकी वजह समझ चुका था। उसने कहा अंजलि दोस्ती कभी ख़त्म नहीं होती, जैसे प्यार कभी ख़त्म नहीं होता। उसे थोड़ा टाइम दो, वो खुद तुमसे बात करने आएगा। लेकिन मुझे उससे कोई बात नहीं करनी, अंजलि ने तुनक कर जवाब दिया। मयंक चुप हो गया और अंजलि उसके कंधे पर अपना सिर रखकर अब भी रोती जा रही थी।


मयंक के कंधे पर अपना सिर टिकाए अंजलि काफी देर तक रोती रही। थोड़ी देर बाद अंजलि ने कहा मयंक आई एम् सॉरी मैंने तुम्हारा सारा दिन ख़राब कर दिया। मयंक अब भी चुपचाप बैठा था। कोई जवाब न मिलने पर अंजलि ने मयंक के चेहरे की तरफ देखा। वो काफी शांत था, जैसे किसी गहरी सोच के सागर में डूब चुका हो। अंजलि ने कहा मयंक तुम क्या सोच रहे हो? कुछ नहीं, मयंक ने धीमे-से स्वर में कहा और अंजलि को अपने सीने से लगा लिया। अंजलि तुम मुझे कभी छोड़ कर मत जाना, तुम्हारे बिना मैं जी नहीं सकूँगा। अंजलि ने उसी तरह उसके सीने से लगे हुए ही कहा, तुम्हें छोड़कर तो मैं खुद ही मर जाऊँगी। आई लव यू मयंक..............लव यू टू अंजलि कहकर मयंक ने अंजलि के माथे को चूम लिया और कहने लगा तुम मेरे जीने की वजह बन चुकी हो अंजलि, ये हमेशा याद रखना। अंजलि ने अपनी पलकें झपकाते हुए कहा जानती हूँ।


लेकिन सच ये था कि अंजलि मयंक के दिल का डर समझ ही नहीं पायी थी। अंजलि को आयुष के लिए रोता देखकर मयंक के दिल में कई सवालों ने जन्म लिया था, जैसे आखिर आयुष के इगनोर करने से अंजलि को इतना फर्क क्यूँ पड़ रहा है? वो इस कदर क्यूँ रो पड़ी थी, क्या कोई लड़का-लड़की सच में दोस्त हो सकते हैं? कहीं मैं उन दोनों के बीच तो नहीं आ गया? या फिर कहीं अंजलि आयुष को प्यार तो नहीं करती? ऐसा होता है जब कोई हमारे लिए बहुत अनमोल हो तो हम उसको किसी और की परवाह करते या फिर किसी और से घुलते-मिलते नहीं देख पाते। आम भाषा में इसे जलन भी कहते हैं। अंग्रेजी में हम बड़े ही आराम से कह देते हैं, कि वो इस रिश्ते में बहुत ज्यादा पजेसिव है। लेकिन सच में क्या होता है?


असल में होता ये है कि रिश्ते में एक इंसान अंजलि की तरह बिलकुल क्लियर होता है। उसका रिश्ता, प्यार और दोस्ती, और हर रिश्ते के मायने उसके लिए अलग होते हैं लेकिन कभी-कभी उनमें से एक मयंक की तरह उलझ जाता है। उसके हिसाब से होना ये चाहिए कि अगर मैं उसके लिए सीरियस हूँ तो वो भी मेरे लिए ही सीरियस हो। अगर मेरी ज़िन्दगी में वो सबसे इम्पोर्टेन्ट है तो उसकी लाइफ में भी सिर्फ और सिर्फ मुझे ही इम्पोर्टेन्ट होना चाहिए। यहीं से लव स्टोरी कभी कमज़ोर होकर उलझ जाती है और कभी मजबूत होकर हमेशा के लिए एक सुलझा हुआ प्यारा रिश्ता बन जाती है। आइये पढ़ते हैं कि आखिर अंजलि मयंक की उलझन को कभी समझ भी पाएगी? क्या मयंक अंजलि के जरूरी रिश्तों में खुद की जगह कभी समझ पाएगा?


मयंक से कोई जवाब ना पाकर अंजलि ने कहा मयंक तुम से कुछ कहना है। हाँ कहो मैं सुन रहा हूँ। अंजलि ने जो कहा वो कुछ इस तरह से था:-


सुना था इश्क दरिया है मोहब्बत का,

कभी शांत, कभी उथल-पुथल सा है,

शीतल शांत लहरें कभी भिगा जाती हैं,

कभी मन में कोई तूफ़ान उठा जाती हैं।


कभी समंदर संग झूम उठता है मन मेरा,

कभी सवालों में उलझा रहता है मन मेरा,

रिश्तों का वजूद समझ मुस्कुरा जाती हूँ,

खोना पड़े गर एक भी रिश्ता घबरा जाती हूँ।


मेरा इश्क मेरे ख्वाब की ताबीर हो बस तुम,

फिर भी न जाने कौन से सवालों में हो गुम,

मेरे और भी रिश्तें हैं जिनकी ताबीर हूँ मैं,

सच ये है कि अपने इस राँझे की हीर हूँ मैं।


ज़िन्दगी तुम संग सुनहरा ख्वाब बन चुकी है,

दिल को राहत देने वाला अंदाज़ बन चुकी है,

तुम्हारे काँधे पर रख सिर ख्वाब नए सजा लूँ,

तुम्हारे लबों की हँसी देख कहो तो मुस्कुरा लूँ।


सच ये था कि अंजलि मयंक का चेहरा पढ़ चुकी थी। वो समझ चुकी थी कि उसके इस तरह आयुष के लिए रोने से मयंक शायद परेशान है। उसने मयंक को समझाया कि आयुष की दोस्ती और मयंक के प्यार में से मयंक का प्यार ही उसके लिए ज्यादा जरूरी है। कहीं न कहीं मयंक अब खुश था लेकिन वो किस हद तक अंजलि को समझ पाया था ये तो अंजलि नहीं जानती थी। काफी टाइम हो चुका था तो मयंक ने अंजलि से घर चलने को कहा। अंजलि ने भी कहा हाँ चलते हैं और थोड़ी देर में मयंक ने अंजलि को उसके घर छोड़ दिया। अंजलि ने उसे अंदर आने को कहा तो मयंक ने मना करते हुए कहा कल कॉलेज में मिलते हैं। मयंक वहाँ से बाइक लेकर जा चुका था। अंजलि जैसे ही घर के अंदर पहुँची तो वहाँ आयुष बैठा था। अंजलि ने उसे देखा और बिना कुछ कहे ही अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। आयुष ने नैना जी से कहा मैं अंजलि से मिल कर आता हूँ आंटी, वो मुझसे बहुत नाराज है। नैना जी ने कहा ठीक है बेटा मगर जरा ध्यान से तुम्हें पता तो है कि वो कितनी गुस्सैल है? जी आंटी कहकर आयुष मुस्कुराते हुए अंजलि के कमरे के बाहर पहुँचा।


वो मन ही मन कहने लगा हे भोले बाबा अपने इस भक्त की रक्षा करना। जैसे ही उसने गेट खटखटाया अंदर से आवाज आई, यहाँ से दफा हो जाओ। आयुष ने सुना तो बाहर से ही कहने लगा, बड़ी बदतमीज हो गयी हो प्रिंसेस। आये हुए मेहमान से कोई ऐसे बात करता है क्या? अंजलि ने कहा अच्छा रुको आती हूँ, उसने गेट खोला और आयुष को घूरते हुए कहा मेहमान जी यहाँ से दफा हो जाओ। ये कहकर अंजलि ने तुरंत गेट बंद कर लिया। आयुष ने कहा अरे यार प्रिंसेस मेरी सगाई है, तुम्हें खुद इनवाईट करने आया हूँ। अंजलि ने कमरे से ही जवाब दिया मैं नहीं आऊँगी। आयुष ने सुना तो कहा बाय द वे प्रिंसेस तुम इतना भाव क्यों खा रही हो? मैं देख रहा हूँ जबसे तुम्हें तुम्हारा बंदर मिला है तब से तुम नकचढ़ी बिल्ली हो गयी हो? इतना सुनते ही अंजलि ने गेट खोला और आयुष के मुँह पर एक तकिया आकर पड़ा। आयुष अंजलि के रवैये से अच्छी तरह वाकिफ था तो उसने तकिये को उठाया और कमरे में घुसते हुए कहने लगा। हाँ अब तो तुम मुझे ऐसे ही ट्रीट करोगी, आखिर अब तो तुम्हें तुम्हारा प्यार मिल चुका है तो अब मेरी दोस्ती की तो जरूरत ही नहीं है।


अंजलि ने सुना तो दूसरा तकिया भी मयंक के मुँह पर दे मारा। आयुष बेचारा जो इस हमले से अनजान था तकिये के साथ फर्श पर गिरा पड़ा था। अंजलि अब भी गुस्से में थी, तभी नैना जी कमरे में आ गई। अंजलि ने कहा मॉम इसे कह दो यहाँ से चला जाये, मुझे इससे कोई बात नहीं करनी। अंजलि बस करो इतना गुस्सा करना अच्छी बात नहीं है। वो दोस्त है तुम्हारा, नैना जी ने अंजलि को आँखें दिखाते हुए कहा। लेकिन अंजलि ने भी आयुष की तरफ घूरते हुए कहा कोई दोस्त-वोस्त नहीं है ये अब। आयुष ने मासूम बनते हुए कहा देखो आंटी ये हर बार ऐसे ही लड़ती है और फिर कहती है कि अब हम दोस्त नहीं हैं। अंजलि ने सुना तो उसे और तेज गुस्सा आ गया। नैना जी ने आयुष से कहा तू सही कह रहा है बेटा ये गुस्से में कुछ भी बोलती है। इसे खुद ही नहीं पता होता कि ये क्या बोल रही है? अपनी मॉम को आयुष की हिमायत करते देख एक बार फिर अंजलि ने गुस्से में उसे वहाँ से जाने को कहा। लेकिन आयुष ने कहा आंटी जी आप जाइये दो कप अच्छी सी चाय भिजवा दीजिये। मैं अंजलि को अपने तरीके से मना लूँगा। नैना जी ठीक है बेटा कहकर कमरे से जाने को हुई, लेकिन फिर मुड़कर अंजलि को हिदायत देती हुई कहने लगी अंजलि अब आराम से उसकी बात सुनकर ये झगड़ा ख़तम कर दो। अंजलि ने एक बार आयुष को घूरा और फिर अपनी मॉम से ओके मॉम कहकर चुपचाप अपने बिस्तर पर बैठ गई।


नैना जी के कमरे से बाहर जाते ही आयुष अंजलि के पास बैठते हुए कहने लगा अंजलि आई एम् सॉरी यार। अंजलि ने कुछ नहीं कहा तो आयुष ने फिर से उसे कहा हे ब्यूटीफुल प्रिंसेस प्लीज माफ़ कर दो ना, गलती हो गयी यार। अंजलि ने अब उसकी तरफ देखा और फिर किसी छोटे बच्चे की तरह मुँह फुलाकर दूसरी तरफ घूमकर बैठ गई। आयुष ने देखा तो कहने लगा अंजलि यार प्लीज माफ़ कर दो, और मेरी शॉपिंग करवा दो। अंजलि ने सुना तो उसके कंधे पर मारते हुए कहा मतलब तुम इसलिए सॉरी कहने आए हो ताकि मैं तुम्हारी शॉपिंग करवा दूँ, मतलब हद है! अंजलि के इतना कहते ही आयुष अपना पेट पकड़ कर हँसने लगा। अंजलि ने उसे ऐसे हँसते देखा तो खुद भी हँस पड़ी। तभी नैना जी चाय लेकर आई और उन दोनों को ऐसे हँसता-मुस्कुराता देख खुश हो गई। अंजलि ने अपनी चाय पीते हुए कहा वैसे क्या शॉपिंग करनी है तुम्हें? आयुष ने कहा चल पहले तैयार हो वहाँ जाकर देखते हैं कि क्या सूट करेगा मुझ जैसे हैण्डसम बॉय पर? अंजलि ने कहा ओह रियली हैण्डसम और तू, चल पहले जाकर आईना देख।


आयुष तुरंत आईने के सामने खड़ा हो गया और खुद को देखते हुए कहने लगा वाओ बेटा आयुष क्या पर्सनालिटी है तेरी? बोले तो एकदम हीरो माफिक। अंजलि उसकी बातें और उसके हाव-भाव देख कर हँसती ही जा रही थी। आयुष ने कहा वैसे प्रिंसेस मैं तुम्हारे बंदर से भी ज्यादा स्मार्ट हूँ, तुमने कभी ध्यान से देखा ही नहीं मुझे। अंजलि ने सुना तो उसकी हँसी गायब हो गई थी। वो उठकर आयुष के सामने खड़ी हो गई। आयुष अब भी खुद को आईने में देखे जा रहा था। आयुष तुमने मुझसे बात करनी क्यों बंद की थी, अंजलि ने सवाल किया? आयुष एकदम चौंक गया और अंजलि की तरफ देखने लगा। अंजलि ने अपना सवाल दोहराते हुए कहा आखिर जयपुर से वापिस आने के बाद ऐसा क्या हुआ जो तुमने मेरा फ़ोन तक नहीं उठाया था? क्या मयंक ने तुमसे कुछ कहा..........................नहीं ऐसा कुछ नहीं है प्रिंसेस, आयुष अंजलि की बात बीच में काटते हुए कहने लगा। अंजलि इस बारे में बात करने की जरुरत नहीं है। वैसे भी कोई खास वजह नहीं थी, बस मैं थोड़ा बिजी हो गया था, फिर ये सगाई का प्रोग्राम फिक्स हो गया तो उसकी तैयारी में लग गया था।


अंजलि ने कहा आयुष कोई और बात है जो तुम मुझे बताना नहीं चाहते? अगर तुमने मुझे सच नहीं बताया तो मैं समझूंगी कि हमारी दोस्ती अब पहले जैसी नहीं रह गयी है। आयुष ने फिर कहा अंजलि ऐसा कुछ भी नहीं है बस मुझे लगा तुम और मयंक मेरी वजह से कहीं...........................कहते हुए आयुष रुक गया और अंजलि की तरफ देखने लगा। अंजलि मुस्कुरा दी और कहने लगी आयुष जो तुम कहना चाहते हो और नहीं कह पा रहे वो मुझे तुम्हारी आँखों में तभी दिखाई दे गया था जब मैं तुमसे मिलने तुम्हारे घर आई थी। आयुष ने सुना तो चौंककर अंजलि की तरफ देखने लगा।


अंजलि ने कहा आयुष हमारी दोस्ती को ये दुनिया समझे या फिर ना समझे मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आयुष ने कहा लेकिन दिव्या और मयंक दुनिया नहीं हैं अंजलि। वो हमारी दुनिया हैं, और उनके गलत सोचने से बहुत फर्क पड़ेगा। अंजलि ने तुरंत कहा इसका मतलब मयंक ने जरुर तुमसे कुछ कहा है? आयुष ने कहा उसने कुछ नहीं कहा लेकिन वो मेरे होने से परेशान हो जाता है। जब उसे ये अहसास होता है कि हम दोनों एक-दूसरे के लिए बहुत स्पेशल हैं तब शायद वो घबरा जाता है। अंजलि ने कहा ऐसा कुछ उसने मुझसे तो नहीं कहा। आयुष ने अंजलि के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा वो कभी नहीं कहेगा अंजलि, लेकिन तुम्हें खोने का डर मैंने उसकी आँखों में देखा है। वो मुझसे या तुमसे शायद कभी कुछ नहीं कहेगा लेकिन वो हमारी इतनी गहरी दोस्ती को शायद समझ नहीं पाता और इसलिए हमारे एक साथ होने से वो हमेशा ही असहज हो जाता है।


अंजलि बड़े ही ध्यान से आयुष की बातों को सुन और समझ रही थी। आयुष ने कहा हमे अपने रिश्ते को पहले खुद ही समझना होगा तभी हम दूसरों को समझा सकेंगे। क्या तुम्हें लगता है कि हमारा रिश्ता सिर्फ दोस्ती है? अंजलि काफी हैरान थी ये सुनकर, उसने कहा तुम क्या कहना चाहते हो आयुष? आयुष ने मुस्कुराते हुए कहा देखो तुम खुद ही कंफ्यूज हो गयी मेरे सवाल पर, तो सोचो जब लोग हमें एक-दूसरे के साथ इस कदर घुलते-मिलते देखते होंगे तो क्या वो हमें सिर्फ दोस्त समझ पायेंगे? अंजलि ने कहा लेकिन सच तो यही है कि हम दोनों सिर्फ दोस्त हैं, बहुत अच्छे दोस्त। आयुष ने कहा हाँ तुम बिलकुल ठीक कह रही हो प्रिंसेस लेकिन ये हम जानते हैं। अंजलि ने कुछ सोचते हुए कहा तो क्या दिव्या और मयंक हमारे रिश्ते को गलत समझते हैं? आयुष ने मुस्कुराते हुए कहा – ऐसा नहीं है प्रिंसेस लेकिन अगर वो ऐसा समझने लगे तो हम क्या करेंगे? मुझे लगा कि हम पहले ही अपने रिश्ते को थोड़ा संभाल लें तो शायद ऐसी नौबत ही ना आये, और बस इसीलिए तुम्हें इगनोर कर रहा था। मुझे लगा ऐसा करने से तुम मयंक के और नज़दीक हो जाओगी, और मयंक को पूरी तरह से ये विश्वास हो जाएगा कि तुम सिर्फ उसे ही चाहती हो।


अंजलि ने सुना तो कहने लगी आयुष कहीं दिव्या.........................आयुष ने उसका सवाल पहले ही समझ लिया और कहने लगा वो भी तो एक आम इंसान है अंजलि...................वो कहाँ समझती है रूहानी प्यार और रूहानी दोस्ती को। उसकी नज़र में दोस्ती एक नार्मल सी फ्रेंडशिप है और प्यार लव यू बाबू, शोना वाला प्यार। ये कहते हुए आयुष की आँखों में थोड़ी नमी आ चुकी थी। अंजलि ने कहा आयुष क्या तुम दिव्या के साथ खुश नहीं हो? आयुष ने कहा अपना प्यार पाकर कौन खुश नहीं होता अंजलि? मैं भी बहुत खुश हूँ कि दिव्या मेरी ज़िन्दगी में हमेशा के लिए आने वाली है मेरा प्यार, मेरी हमसफ़र बनकर।


अंजलि ने कहा हम्म................सब ठीक हो रहा है। आयुष ने कहा बस तुम मयंक पर ध्यान दो और हाँ उसे हर्ट मत करना वो तुमसे बहुत प्यार करता है। अंजलि ने कहा वो तो ठीक है लेकिन क्या हमारी दोस्ती हमें ख़त्म करनी पड़ेगी? आयुष मुस्कुराया और अंजलि को बिस्तर पर बिठाते हुए कहने लगा ऐसा कुछ नहीं करना प्रिंसेस। बस हम दोनों को अपने रिश्ते को थोड़ा लिमिट में रखना होगा जब तक मयंक और दिव्या हमारे रिश्ते की गहराई को नहीं समझ जाते। क्या मतलब, कैसे लिमिट में, अंजलि ने उदास सा चेहरा बनाते हुए कहा। आयुष ने कहा बहुत आसान है। हमें कुछ नार्मल से काम करने होंगे जैसे कि हम एक-दूसरे को ज्यादा कॉल नहीं करेंगे। अपनी कोई भी बात अपने पार्टनर्स से शेयर करेंगे और जब मिलेंगे तब थोड़ा डिस्टेंस मेन्टेन करेगे। आयुष ये सब कहते हुए कमरे में घूम रहा था और अंजलि किसी सोच में गुम थी। आयुष ने कहा बस इतना ही और जब दिव्या और मयंक हमें अच्छे से समझ जायेंगे तो फिर सब खुद ही ठीक हो जायेगा।


आयुष ने जब अंजलि को खोया हुआ देखा तो उसके पास आकर बैठ गया। अंजलि के चेहरे की मासूमियत बता रही थी कि आयुष की बातें उसे समझ नहीं आ रही थी। तभी अंजलि बोल पड़ी की क्या ये सब करना जरूरी है? अगर हमने ऐसा नहीं किया तो क्या मयंक और दिव्या हमसे दूर हो जायेंगे? आयुष ने कहा ऐसा कुछ नहीं है प्रिंसेस, लेकिन हमारे रिश्ते शायद ख़राब होने से बच जायेंगे। अंजलि असमझ की स्थिति में आयुष की तरफ देखे जा रही थी। आयुष जो अब तक बहुत समझदार बनकर उसे समझा रहा था वो अब खुद ही उदास सा अंजलि के सामने बैठा था। काफी देर खामोश रहने के बाद अंजलि ने कहा आयुष मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली, किसी को हमारा रिश्ता समझना है तो समझे और नहीं समझना है तो ना समझे। मयंक और दिव्या हमसे प्यार करते हैं और प्यार में अगर विश्वास और समझ ही नहीं तो फिर वो प्यार नहीं होता। आयुष ने अंजलि से कहा लेकिन प्रिंसेस???? कोई लेकिन-वेकिन नहीं, हम कुछ नहीं करने वाले जो भी तुम कह रहे हो, अंजलि ने दृढ़ स्वर में कहा।


आयुष ने कहा ओके प्रिंसेस जैसी तुम्हारी मर्जी। अच्छा अब चलो मेरी शॉपिंग तो करवा दो। अंजलि ने थोड़ा मुँह बनाते हुए कहा नहीं............ दिव्या से पूछ ले पहले कहीं उसे बुरा लग गया तो???? अंजलि की ये तानाकसी समझते हुए आयुष उठा और अंजलि के गले में बाँहें डालते हुए कहने लगा दिव्या को जो भी समझना है समझती रहे "ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे।" अंजलि ने गाना सुना तो खिलखिलाकर हँस पड़ी थी। उसने कहा वीरू और जय की दोस्ती मरते दम तक रहेगी फिर चाहे कोई बसंती आये या फिर गब्बर। आयुष और अंजलि दोनों ही इस वक़्त खुश थे, शायद इतने दिनों से जो परेशानी दोनों के दिमाग में अपना डेरा जमाए बैठी थी, उसका हल निकल चुका था। दोनों साथ में शॉपिंग के लिए गए और आयुष ने शेरवानी लेने की फरमाइश की। अंजलि ने कहा नहीं तुम पर अच्छी नहीं लगेगी। आयुष ने कहा लेकिन दिव्या ने पहले ही कह दिया है कि शेरवानी ही पहननी है। अंजलि ने कहा अच्छा चल देखते हैं। काफी शेरवानी देखने के बाद आखिरकार एक शेरवानी के लिए अंजलि ने अपनी हामी भर दी। आयुष ने कहा यार कितनी देर लग गयी, मैं अकेला आता तो कोई भी लाल-पीली शेरवानी लेकर अब तक अपने घर में बैठा होता। अंजलि ने कहा पता है मुझे एक शर्ट तक तो खरीदनी आती नहीं है, आया बड़ा शेरवानी खरीदने।


आयुष ने कहा हाँ प्रिंसेस मेरा तो जन्म ही आपके मुँह से अपनी बेइज्जती करवाने के लिए हुआ है। अंजलि ने कहा कल देखियो जब तू ये शेरवानी पहन कर आएगा, तो दिव्या तुझ पर से अपनी नज़रें नहीं हटा पाएगी। आयुष ने अंजलि को छेड़ते हुए कहा और प्रिंसेस आपकी नज़रें कहाँ होंगी? अंजलि ने उसे शॉपिंग बैग से ही मारते हुए कहा, क्यों बताऊँ? आयुष ने कहा ओहो अभी से सीक्रेट्स रखने शुरू कर दिए। कैसे सीक्रेट्स? अंजलि ने चलते-चलते कहा। आयुष ने कहा वैसे मयंक बंदा बड़ा ही प्यारा है, बेचारा गुस्से में भी क्यूट ही दिखाई देता है। अंजलि ये सुनकर मुस्कुराने लगी थी। आयुष ने उसे यूँ मुस्कुराते देखा तो कहने लगा भाई अब तो मुझे ही जलन होने लगी है तुम तो उसका नाम ही सुनकर मुस्कुराने लगी हो। अंजलि ने एक मुक्का आयुष की पीठ पर जमाते हुए कहा ज्यादा जलने की जरुरत नहीं है, चलो मुझे घर छोड़ दो और जाकर कल की तैयारी करो। कल मिलते हैं तुम्हारी सगाई में।

आयुष ने अंजलि को उसके घर के बाहर छोड़ा और उसे हिदायत देते हुए कहा टाइम से पहले ही आ जाना। अंजलि ने कहा ओके...............अच्छा आयुष तुमने मयंक को भी बुलाया है क्या? अंजलि की बात सुनकर आयुष ने अपने बालों में उँगलियाँ फिराते हुए कहा वाह री मोहब्बत.........................मेरे दोस्त का क्या हाल कर दिया है। अंजलि ने आयुष को घूरा तो उसने हँसते हुए कहा, तुम्हारे सभी दोस्तों को बुलाया है।


अंजलि ने सुना तो खुश हो गयी और बाय कहकर जाने के लिए मुड़ी, फिर अचानक रूककर कहने लगी आयुष मैं क्या पहनूँगी? आयुष ने कहा मेरा काम तो हो गया, तुम जाकर अपने बंदर से पूछो, ये कहकर वो जल्दी से बाइक स्टार्ट करके चला गया। अंजलि उसे गुस्से में घूर रही थी, और अगले ही पल उसकी कही बात को समझ कर मुस्कुरा उठी थी। अंजलि अपने कमरे में गयी और नैना जी को पुकारने लगी। नैना जी उसके कमरे में आई तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गई। उन्होंने देखा अंजलि पूरे बिस्तर पर अपने कपड़े फैलाकर बैठी हुई थी। नैना जी ने गुस्से में कहा ये सब क्या है अंजलि, ये सारे कपड़े क्यों बिखरा कर बैठी हो?


अंजलि ने अपना एक क्रॉप टॉप उठाया और उसे घूरते हुए कहने लगी, मॉम कल आयुष और दिव्या की सगाई में जाना है। मैं अपने लिए कपड़े देख रही थी लेकिन मेरे पास तो कल पहनने के लिए कुछ है ही नहीं। अंजलि उदास सी शक्ल बनाकर बिस्तर के कोने पर बैठ गयी। नैना जी ने कहा अरे बेटा ये कपड़े पहनकर जायेगी क्या अपने बेस्ट फ्रेंड की सगाई में? अंजलि ने भौंहे ऊपर चढ़ाते हुए कहा मतलब अब मुझे अपने लिए शॉपिंग करने जाना पड़ेगा?


नैना जी ने कहा उसकी जरुरत नहीं है, मैंने सोच लिया है कि कल तू क्या पहनेगी? अंजलि खुश होती हुई वाओ मॉम, आप कितनी अच्छी हैं। आप पहले ही मेरे लिए शॉपिंग कर लायी हैं। उसने नैना जी के गले में बाँहें डालते हुए कहा मॉम यू आर टू गुड! लव यू मॉम। अंजलि ने कहा अच्छा मॉम मुझे भी तो दिखाएँ ताकि मैं ट्राई करके देख लूँ उसकी फिटिंग वगेरह। नैना जी ने कुछ सोचा और फिर कहा नहीं उसमें फिटिंग की जरुरत नहीं है और वो ड्रेस मैं तुझे कल ही दिखाऊँगी। अंजलि ने चौंकते हुए कहा मॉम ये सस्पेंस किसलिए हैं? नैना जी ने कहा बस ऐसे ही, सरप्राइज है मेरी तरफ से। नैना जी ये कहती हुई अंजलि के कमरे से बाहर जाने लगी, और उन्होंने पलट कर कहा बेटा जी ये सारे कपड़े फोल्ड कर के अलमारी में रख देना।


अंजलि बेचारी सस्पेंस में ही नैना जी को देखती रह गयी। तभी उसका फ़ोन बजा, स्क्रीन पर मयंक का नाम शो हो रहा था जिसे देखते ही अंजलि के चेहरे पर एक स्वीट सी स्माइल आ चुकी थी। उसने फ़ोन उठाया और कहा हेलो, दूसरी तरफ से मयंक ने कहा हेलो प्रिंसेस! अंजलि ने सुना तो कहा प्रिंसेस ह्म्म्म................क्या बात है आज प्रिंसेस क्यूँ कहा? मयंक ने कहा बस यूँ ही सुना है कि तुम्हें प्रिंसेस ना बुलाने पर तुम केक उठाकर मुँह पर मार देती हो। मयंक के इतना कहते ही अंजलि चुप हो गयी। मयंक ने कहा अंजलि तुम सुन रही हो ना? अंजलि ने कहा मयंक तुम मुझे अंजलि ही बुलाया करो, मुझे अच्छा लगता है। मयंक ने कहा अच्छा ऐसी बात है तो मैं तुम्हें अंजलि ही बुलाऊँगा। वैसे एक बात कहूँ मुझे भी तुम्हें अंजलि पुकारना ही अच्छा लगता है। अंजलि ने कहा तो कल आयुष की सगाई में आ रहे हो ना तुम? हाँ बिलकुल आऊँगा, मयंक ने तुरंत ही जवाब दिया। अंजलि ने कहा और बाकी सबसे बात हुई क्या? कौन-कौन आ रहा है सगाई में? मयंक ने कहा सभी आयेंगे, बस शुभम नहीं आ पायेगा वो अपने डैड के साथ मलेशिया गया है। अंजलि ने कहा बेचारा शुभम अभी से बिज़नेस के दांव-पेंच सीखने लगा है। मयंक ने कहा नहीं उसके डैड उसे किसी लड़की से मिलवाने के लिए ले गए हैं। अंजलि ने सुना तो कहा क्या मतलब? मयंक ने कहा उसके डैड के किसी दोस्त की बेटी से मिलने गया है। उसके डैड चाहते हैं वो दोनों बिज़नेस पार्टनर्स रिश्तेदार भी बन जाये। अंजलि ने कहा ओह्ह तो ये बात है। हाँ बिलकुल यही बात है कहकर अंजलि और मयंक दोनों साथ ही हँस पड़े थे।


काफी देर तक इधर-उधर की बातें करने के बाद मयंक ने कहा अंजलि तुमसे कुछ कहना था। हाँ बोलो अंजलि ने बड़े आराम से कहा। तुम्हारा दोस्त आयुष बहुत अच्छा है, और समझदार भी है। ये सुनकर अंजलि मुस्कुरा उठी थी। उसने कहा जानती हूँ, वो बहुत समझदार है और तुम भी बहुत समझदार हो मयंक। मयंक आई लव यू...................अंजलि ने कहा तो मयंक मुस्कुराते हुए कह पड़ा लव यू टू स्वीटहार्ट! कल मिलते हैं कहकर दोनों ने फ़ोन रख दिया। अंजलि काफी देर तक बैठी मयंक की बातों के बारे में सोचती रही और फिर उसकी नज़र बिस्तर पर फैले कपड़ों पर गयी। ओह्ह नो कहकर वो जल्दी-जल्दी सारे कपड़े समेटने लगी और उनकी तह बनाकर उन्हें अलमारी में रखने लगी थी।


क्रमश:



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance