दो बाँहें, एक गंध और ख़ालिस रोमांस दो बाँहें, एक गंध और ख़ालिस रोमांस
मैं अकेला आता तो कोई भी लाल-पीली शेरवानी लेकर अब तक अपने घर में बैठा होता मैं अकेला आता तो कोई भी लाल-पीली शेरवानी लेकर अब तक अपने घर में बैठा होता
“नहीं, नहीं मैडम जी, हम मांसाहार ना तो खाते हैं ना ही बनाते हैं, हम ब्राह्मण हैं”। “नहीं, नहीं मैडम जी, हम मांसाहार ना तो खाते हैं ना ही बनाते हैं, हम ब्राह्मण हैं...