वो तुम हो (पार्ट-26)
वो तुम हो (पार्ट-26)
प्यारे रीडर्स,
अभी तक आपने पढ़ा कि आयुष और दिव्या की सगाई हो चुकी है| सगाई में मयंक ने अंजलि को मज़े-मज़े में काफी तंग किया, जिसकी वजह से अंजलि बहुत ज्यादा नाराज़ हो जाती है| नितिन रिया का फ़ोन देने उसके घर जाता है और रिया को रोते हुए देख उदास हो जाता है| राघव अचानक ही रागिनी के भाई से मिलता है और काफी घबरा जाता है| आइये अब आगे पढ़ते हैं:-
राघव बस स्टैंड पर खड़ा नितिन का इंतजार कर रहा था| नितिन जैसे ही वहाँ पहुँचा तो राघव ने उसे बताया कि वो आज रागिनी के भाई से मिला था| नितिन का कोई जवाब न पाकर उसने पूछा नितिन तुम ठीक हो? कुछ हुआ है क्या? कहीं रिया के घरवालों ने..................वो बहुत बुरे हैं राघव, उसके घरवाले बहुत बुरे हैं, ये कहते हुए नितिन की आँखों में आँसू आ गए| राघव ने उसे सँभालते हुए कहा चलो बस में बैठो और फिर बात करते हैं| नितिन और राघव आकर बस में बैठ गये और राघव के पूछने पर नितिन ने उसे सारी बात बताई| ये सब सुनकर राघव को भी बहुत बुरा लगा| उसने कहा यार वो लड़की तो कितनी सादा और शांत है| उसके घरवाले उसके साथ ऐसा बर्ताव कैसे कर सकते हैं? राघव ने कहा चल तू परेशान मत हो और कल कॉलेज में मिलकर उससे बात कर लियो| नितिन ने कहा तुम ठीक कह रहे हो, मैं कल कोशिश करूँगा कि उससे बात करके अपने दिल की बात कह दूँ| मैं उसे हमेशा खुश देखना चाहता हूँ| राघव ने उसके कंधे पर थपकी मारते हुए कहा बेटा आखिरकार तुझे भी इश्क की हवा लग ही गयी| नितिन मुस्कुराया और आँखें बंद कर अपना सिर बस की सीट से टिकाते हुए रिया को याद करने लगा|
राघव भी अपने फ़ोन में बिजी हो गया| उसने रागिनी को मेसेज किया क्या कर रही हो? उधर से तुरंत रिप्लाई आया तुम्हारे मेसेज का इंतजार| राघव मुस्कुराया और कहने लगा आज मैं तुम्हारे भैया से मिला था? दूसरी तरफ से रागिनी ने हैरानी वाली इमोजी भेज दी| राघव ने कहा मैं सच कह रहा हूँ| क्या उन्होंने हमें साथ देख लिया था, रागिनी ने फिर मेसेज किया? राघव ने उसे कहा कल बताऊंगा| रागिनी ने कहा राघव प्लीज बताओ ना? राघव ने लिखा हम्म देख लिया था और मुझसे पूछ भी रहे थे| रागिनी ने मेसेज किया तुमने क्या कहा? राघव ने टाइप किया वही जो सच था| रागिनी ने गुस्से वाली इमोजी भेजी तो राघव ने कहा रिलेक्स सब ठीक है| मैंने बस उनसे ये कहा कि तुम्हें और रिया को घर तक छोड़ने आया था| रागिनी ने मेसेज पढ़ा और राहत की साँस ली| उसने मेसेज टाइप किया कि कल मिलते हैं गुड नाईट| राघव ने लिखा ओके गुड नाईट, स्वीट ड्रीम्स| राघव ने देखा नितिन खिड़की वाली सीट पर बैठा हुआ सो गया था| करीब एक घंटे बाद वो बस से उतरे और कल मिलते हैं कहकर अपने-अपने घर के लिए निकल गए|
रिया अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई अपने माँ-पापा की तस्वीर को देखकर लगातार रोती जा रही थी| घरवालों की कड़वी बातें अब भी उसके कानों में गूँज रही थी| रिया रोते-रोते थोड़ी देर बाद सो गई| उसने सपने में अपनी मॉम को देखा और मुस्कुरा उठी थी| आई मिस यू मॉम, आप क्यों मुझे यहाँ अकेला छोड़ कर चली गयी? रिया की मॉम ने उसे गले लगा कर कहा रिया यू आर वेरी स्ट्रांग गर्ल, तुम्हें रोना नहीं है ओके| रिया ने कहा आप आ गयी हैं मॉम अब मैं बिलकुल भी नहीं रोने वाली| रिया की मॉम ने उसे खुद से दूर करते हुए कहा बेटा तुम्हें अपना ख्याल खुद रखना होगा| ये कहकर वो वहाँ से जाने लगी तो रिया ने उनका हाथ पकड़ लिया और चीखने लगी मॉम मुझे भी अपने साथ ले चलो प्लीज, मुझे यहाँ नहीं रहना| लेकिन उसकी मॉम उसे अकेला छोड़कर चली गयी| रिया सपना देखते हुए चीख रही थी और तभी किसी ने आकर उस पर पानी उड़ेल दिया|
पानी गिरते ही रिया हडबडाकर उठी और अपने चारों तरफ घबराई हुई देखने लगी| उसने देखा उसकी चाची उसके सामने पानी का जग लेकर खड़ी थी और उसे गुस्से में घूर रही थी| रिया ने कहा सॉरी चाची, वो मैंने मॉम को देखा था सपने में..............कहते-कहते रिया फफ़क कर रो पड़ी थी| तो तू भी चली जाती अपनी माँ के साथ, रिया की चाची ने गुस्से में कहा| खुद तो वो दोनों चले गए, और तुम्हें हमारी रातों की नींद ख़राब करने के लिए छोड़ गए हैं| कितना अच्छा होता अगर उस एक्सीडेंट में तू भी उनके ही साथ चली जाती| सच कहती हूँ हमारे घर में कितना सुकून होता| रिया ने सुना लेकिन ये तो अक्सर होता था तो उसने कुछ नहीं कहा| बचपन से ही रिया की छोटी-छोटी गलतियों पर भी उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया जाता था| रिया बेचारी इतनी सीधी थी कि उसने कभी किसी का भी विरोध नहीं किया| उसे बहुत बुरा लगता था जब उसकी गलतियों के लिए उसके माँ-बाप को कोसा जाता था लेकिन वो सब कुछ चुपचाप सह लेती थी| रिया की चाची बडबडाती हुई वहाँ से चली गयी और रिया ने उठाकर अपना बिस्तर और अपने गीले कपड़े बदले| वो अपने माँ-पापा की तस्वीर को सीने से लगाकर सुबक रही थी|
मेरा फ़ोन कहाँ है, ये दिमाग में आते ही रिया अपना फ़ोन ढूँढने लगी| उसने बैग में देखा, और टेबल पर लेकिन फ़ोन नहीं मिला| दरअसल घर आते ही थोड़ी देरी की वजह से रिया के साथ जो हुआ उसकी वजह से उसे अपना फ़ोन भी याद नहीं रहा| रिया फ़ोन ढूँढती हुई बैठक में गयी और सब जगह देखने लगी लेकिन वहाँ भी फ़ोन नहीं था| तभी उसे ध्यान आया कि फ़ोन तो उसने नितिन को दिया था| वो अनमने मन से अपने कमरे में लौटने लगी थी तभी मेसेज आने की आवाज से उसका ध्यान बैठक के साथ वाले बरामदे में गया| रिया उस तरफ बढ़ गयी| उसने वहाँ देखा तो एक कोने में रखी टेबल पर उसका फ़ोन पड़ा था जिसकी स्क्रीन पर एक मेसेज आया हुआ था| रिया ने फ़ोन उठाया और चुपचाप अपने कमरे में चली गई| अपने कमरे का दरवाजा बंद कर उसने फ़ोन में आया मेसेज चेक किया| रिया तुम ठीक हो, प्लीज मेसेज का जवाब दो? रिया ने देखा तो उसके बुझे हुए चेहरे पर मुस्कुराहट आ चुकी थी| ये मेसेज नितिन का था| रिया ने नितिन को मेसेज किया हम बिलकुल ठीक हैं, कल कॉलेज में मिलते हैं| रिया ने बहुत देर तक रिप्लाई आने की राह देखी लेकिन कोई जवाब नहीं आया| रिया ने फ़ोन को एक साइड रखा और नितिन के बारे में सोचती हुई थोड़ी देर बाद ही सो गयी थी|
अगले दिन सुबह नितिन जैसे ही उठा उसने अपना फोन देखा| रिया ने उसके मेसेज का जवाब दिया था जिसे पढ़ते ही नितिन फटाफट से उठा और कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा| आज नितिन समय से पहले ही कॉलेज पहुँच चुका था| नितिन कॉलेज के गेट पर ही खड़ा होकर बड़ी बेसब्री से रिया का इंतजार करने लगा था| थोड़ी देर बाद ही मयंक भी वहाँ पहुँच गया| उसने नितिन से कहा क्या बात है आज तो तू बड़ी जल्दी पहुँच गया? नितिन ने कहा हम्म कुछ काम था| मयंक ने कहा अच्छा क्या तूने अंजलि को देखा? नितिन जो कि गेट पर ही नज़रे गड़ाए हुए था उसने एकदम से कहा हाँ वो आ रही है| मयंक ने पलट कर देखा तो सामने से अंजलि फ़ोन पर बातें करती हुई चली आ रही थी| मयंक उसकी तरफ बढ़ा और कहने लगा हेलो अंजलि, लेकिन अंजलि उसे इगनोर करती हुई नितिन के पास आ गयी| उसने नितिन से कहा हे नितिन क्या रिया और रागिनी आ चुके हैं? नितिन ने कहा नहीं उन्हीं का वेट कर रहा हूँ, पता नहीं आज कहाँ रह गयी दोनों? अंजलि ने कहा ओके तो चलो मैं भी तुम्हारे साथ वेट करती हूँ, क्लास में जाकर क्या करुँगी| नितिन और अंजलि दोनों ही गेट की तरफ देखने लगे|
मयंक अंजलि को ही देख रहा था और उसे गुस्से में देख कर भी उस पर से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रहा था| अंजलि जानती थी कि मयंक लगातार उसे ही देख रहा है लेकिन वो नितिन से ही बातें करती रही| थोड़ी देर बाद नितिन ने कहा अंजलि यार रिया की फैमिली में कौन-कौन हैं? ये सवाल सुनकर अंजलि थोड़ा चौंकी और फिर कहने लगी तू कल छोड़ने गया था कुछ हुआ तो नहीं वहाँ? ये सुनते ही नितिन का चेहरा उतर गया| अंजलि ने कहा यार तुझे बाहर ही छोड़कर लौट आना था तू उसके घर तक क्यों गया? उसके घरवाले बिलकुल भी अच्छे नहीं है, बेचारी लड़की का जीना हराम कर रखा है| नितिन ने कहा क्यों उसके मॉम-डैड कहाँ है वो कुछ कहते क्यों नहीं? अंजलि ने ये सुना तो शांत हो गयी और उसने नितिन से कहा रिया बहुत छोटी थी जब उसके मॉम-डैड एक कार एक्सीडेंट में..................ये सुनकर नितिन अवाक रह गया| उसने कहा तभी वो लोग इतना कुछ कह रहे थे उसे| अंजलि ने पूछा क्या हुआ था नितिन, कोई बड़ी बात हो गयी क्या? शायद तुम्हें उसके साथ देख उसके घरवाले उस पर नाराज़ हुए होंगे? नितिन ने कहा नहीं वजह मुझे नहीं पता लेकिन........................नितिन ने अब अंजलि को सारी बातें बताई और कहने लगा मुझे ये सब देख बहुत बुरा लगा|
अंजलि गुस्से में दांत पीसते हुए कहने लगी क्या करूँ मैं इस लड़की का? कितनी बार कहा है अपने लिए लड़ना सीखो लेकिन वो कहती है कि मेरे अपने है उनसे लड़ नहीं सकती| अंजलि ने कहा मैं तो चाहती हूँ कोई अच्छा सा लड़का आ जाये उसकी लाइफ में तो मैं तो उसे भगा दूँगी उसके साथ क्योंकि शादी के लिए तो वो लोग मानेंगे नहीं| नितिन ने सुना तो उसके उदास चेहरे पर हलकी सी मुस्कुराहट आ गयी| अंजली ने उसे ऐसे देखा तो अपनी भौंहें मटकाती हुई कहने लगी क्या चक्कर है? कहीं तू रिया में...................इंटरेस्टेड तो नहीं है? इतना कहना था कि नितिन के चेहरे के भाव ही बदल गए| उसने कहा अंजलि क्या मैं उसके लिए सही लड़का हूँ? क्या वो मुझे पसंद करेगी? अंजलि की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा उसने कहा नितिन आर यू सीरियस? यस अंजलि एक्चुली आई लव हर! अंजलि ने सुना तो उसने कहा जियों मेरे दोस्त, बस तो मामला सेट है| नितिन ने कहा क्या मतलब क्या वो भी मुझे लाइक करती है? अंजलि ने कहा ये तो मैं पता लगा लूँगी...............वैसे तुझे क्या लगता है? नितिन ने शरमाते हुए कहा मुझे लगता है वो भी मुझे पसंद करती है|
अंजलि और नितिन अपनी बातों में मगन थे और अंजलि के पीछे खड़ा मयंक उनकी बातें सुनकर कुछ सोच रहा था| वो आ गयी, मयंक ने कहा तो अंजलि ने मुड़कर उधर देखा| मयंक ने उसे स्माइल दी तो अंजलि उसे फिर से इगनोर करती हुई रिया और रागिनी की तरफ बढ़ गयी| मयंक मन ही मन कह रहा था हे महादेव मेरी मदद करें! वो भी उन सभी के पास जा पहुँचा|
अंजलि:- रिया तू ठीक है?
रिया- फीकी-सी मुस्कुराहट के साथ, हम्म मैं बिलकुल ठीक हूँ|
नितिन- चुपचाप रिया की आँखों में छुपी उदासी को पढ़ने की कोशिश कर रहा था|
रिया :- ने एक बार नितिन की तरफ देखा, जैसे वो जानना चाहती हो कि क्या तुम मेरे घर आये थे मेरा फ़ोन देने|
रागिनी:- उनकी बातें सुनकर रिया से कहती है कल कुछ हुआ था क्या रिया? ये सब ऐसे क्यों पूछ रहे हैं और आज तू अच्छे से बात भी नहीं कर रही, थोड़ी उदास भी दिख रही है| कहीं फिर से तेरी उस चुड़ैल चाची ने तुझे परेशान तो नहीं किया है?
रिया:- रागिनी से और बाकी सब से भी कहती है मैं बिलकुल ठीक हूँ चलो क्लास में चलते हैं| सभी उसकी बात मान कर क्लास की तरफ चल देते हैं|
मयंक:- हे अंजलि रुको जरा, मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है|
अंजलि:- मयंक की तरफ देख कर कहती है, सॉरी मेरी क्लास का टाइम हो चुका है| अंजलि वहाँ से सभी के साथ चली गयी|
मयंक बेचारा वहीं खड़ा ये सोच रहा था कि अब क्या होगा ये तो मुझसे बात भी करने को तैयार नहीं है| तभी राघव वहाँ आया और उसने मयंक को ऐसे सोचते हुए देखा तो कहा क्या हुआ अंजलि नाराज है क्या? मयंक ने कहा तुझे कैसे पता चला? राघव ने कहा अपनी शक्ल देख कैसे देवदास जैसी हो गयी है, बस उसी से अंदाज़ा लगा लिया| मयंक ने कहा क्या सच में? राघव ने कहा अच्छा चल छोड़ ये बता क्या किया तूने हमारे जाने के बाद?
मयंक- ने उसे बताया जो भी कल हुआ था तो राघव उसे गुस्से में घूरने लगा| मयंक ने उसे ऐसे घूरते हुए देखा तो कहा अब तुझे क्या हुआ ऐसे गुस्से में क्यों घूर रहा है?
राघव- दिल तो कर रहा है कि मैं भी तुझसे गुस्सा होकर ही बैठ जाऊँ क्योंकि तेरे काण्ड ही ऐसे होते हैं| मतलब तूने फालतू में ही अंजलि को गुस्सा दिला दिया| अच्छा कौन है वो खूबसूरत लड़की जिसे आंटी ने पसंद किया है?
मयंक- ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा अंजलि|
राघव- यार तू सच में पागल है इसे कहते हैं खुद के ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना| अंजलि बिलकुल सही गुस्सा हुई है तुझसे, मैं तो कहता हूँ अब वो तुझसे बात ही ना करे|
मयंक- यार तू दोस्त है या दुश्मन| मैं वैसे ही परेशान हूँ और तू बकवास किये जा रहा है| ठीक है मैं मानता हूँ कि मुझे ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए था लेकिन अब तो जो होना था हो गया है| तुझे मैंने अपनी प्रॉब्लम बताई और तू मुझे तबसे सुनाये जा रहा है बजाय इसके कि मेरी मदद करे|
राघव- अब भी उसे अपने दोनों हाथ बाँधे घूरने में ही लगा हुआ था| मयंक ने मासूम सी शक्ल बनाते हुए कहा अच्छा अब हेल्प कर दे ना| उसे किसी तरह मुझसे बात करने के लिए मना दे बाकी मैं संभाल लूँगा| हम्म.......देखता हूँ रागिनी से बात करके, राघव ने कहा।
मयंक- राघव के गले लगते हुए थैंक यू यार दोस्त हो तो तेरे जैसा| मैं कॉलेज के बाहर जाकर वेट करता हूँ, प्लीज जल्दी करना|
राघव- रागिनी को कॉल करता है और उसे अंजलि और मयंक की लड़ाई के बारे में बताता है|
रागिनी - ने बात करते हुए अंजलि की तरफ देखा जो आज हमेशा की तरह बिंदास नहीं थी, कुछ परेशान दिख रही थी| उसने राघव से कहा ये ठीक नहीं किया मयंक ने और तुम चाहते हो कि हम उसकी मदद करें|
राघव- रागिनी हो गया यार उसने कहा है वो नेक्स्ट टाइम से ऐसा मजाक कभी नहीं करेगा|
रागिनी- हम्म...देखती हूँ ऐसा करते हैं कि कहीं बाहर चलते हैं क्योंकि हमारी नेक्स्ट दो क्लासेज के टीचर आज नहीं हैं|
राघव- ओके डन! मैं मयंक को बताता हूँ|
रागिनी ने रिया से बात की और कहा कि वो अंजलि से कहे कि मेरा मन ठीक नहीं है थोड़ी देर के लिए कहीं चलते हैं|
रिया- ने अंजलि से ऐसा ही कहा और अंजलि मान गयी लेकिन उसने कहा कि मेरे घर चलते हैं|
रिया, रागिनी और अंजलि क्लास के बाद कॉलेज से बाहर निकल गए और रागिनी ने झट से राघव को मेसेज कर दिया कि हम अंजलि के घर जा रहे हैं|
राघव- ने रागिनी को फ़ोन किया कि घर क्यों जा रहे हो? हम लोग कैसे मिलेंगे फिर? हम वहाँ तो नहीं आ सकते न?
रागिनी- ओके मैं देखती हूँ कुछ? रागिनी ने रास्ते में अंजलि से कहा यार घर नहीं तेरे घर के पास वाले पार्क में चलते हैं| कुछ देर वहाँ बैठ कर बातें करेंगे फिर अपने-अपने घर के लिए निकल जायेंगे|
अंजलि- लेकिन हम घर में भी आराम से बैठ कर बातें कर सकते हैं, इस वक़्त मेरे घर पर मॉम के अलावा और कोई नहीं होगा| रागिनी ने अब ना चाहते हुए भी हम्म ठीक कहकर राघव को अब मेसेज किया कि अब कुछ नहीं हो सकता हम अंजलि के घर ही जा रहे हैं|
राघव- ने जाकर सब कुछ मयंक को बताया और मयंक कुछ देर सोचने के बाद किसी को फ़ोन मिलाने लगा| हेलो मॉम आप प्लीज अंजलि की मॉम को फ़ोन करें और उन्हें अपने पास बुला लें या फिर उनके साथ कहीं शॉपिंग पर चले जाएँ|
अनुराधा जी:- क्या बात है बेटा? सब ठीक है? एक मिनट...............कहीं तूने अपनी "वो तुम हो" को नाराज तो नहीं कर दिया?
मयंक- मॉम प्लीज अभी आप ऐसा ही करें जितनी जल्दी हो सके उन्हें उनके घर से बाहर बुला लीजिये क्योंकि अंजलि अपनी फ्रेंड्स के साथ कभी भी अपने घर पहुँचने वाली होगी| बाकी मैं आपको रात में सब बताऊँगा, मॉम प्लीज हेल्प मी|
अनुराधा जी:- ओके माय बॉय, डोंट वरी! मैं करती हूँ कुछ| उन्होंने तुरंत नैना जी को फ़ोन किया| हेलो, नैना जी की आवाज सुन कर अनुराधा जी ने कहा हेलो नैना क्या कर रही हो?
नैना जी- कुछ खास नहीं, तुम कैसी हो?
अनुराधा जी- फटाफट से तैयार होकर घर के बाहर मिलो मैं बस 10 मिनट में उधर ही आ रही हूँ| मुझे कुछ शॉपिंग करनी है और तुम मेरे साथ चल रही हो|
नैना जी- अच्छा ठीक है मैं भी घर पर अकेले बोर हो रही थी| मैं तैयार हूँ तुम आ जाओ|
अनुराधा जी- सुपर्ब, समझो मैं बस पहुँच गयी| अपना पर्स और गाड़ी की चाभी लेकर अनुराधा जी तुरंत घर से निकल गयी और जल्दी ही नैना जी के घर के बाहर पहुँच गयी| तभी वहाँ अंजलि भी अपनी स्कूटी पर अपनी फ्रेंड्स के साथ पहुँच गयी| अनुराधा जी को वहाँ देखकर उसने उन्हें नमस्ते किया और घर चलने को कहा| तभी नैना जी घर से बाहर आते हुए अरे अंजलि तुम आज कॉलेज से जल्दी आ गयी, बेटा तुम्हारी तबियत तो ठीक है?
अंजलि- यस मॉम मैं ठीक हूँ| आप कहीं जा रही हैं?
नैना जी- हाँ बेटा, मैं बोर हो रही थी तभी अनु का फ़ोन आया कि कुछ शॉपिंग करने चलते हैं|
अंजलि:- ओके मॉम आप दोनों जाइये| हम लोग घर पर ही हैं|
अनुराधा जी- अंजलि बेटा अगर कोई प्रॉब्लम हो तो मैं अकेली ही चली जाती हूँ|
अंजलि- अरे नहीं आंटी आप दोनों साथ में जाइये, वैसे भी मॉम अकेले कहीं जाती नहीं हैं| ये भी आपके साथ थोड़ा घूम लेंगी|
अनुराधा जी- अंजलि का माथा चूमते हुए कितनी प्यारी बच्ची है| चलो नैना जल्दी चलते हैं| हम्म....... कहकर नैना जी अनुराधा जी की गाड़ी में बैठी और दोनों शॉपिंग के लिए निकल गए| अनुराधा जी ने मयंक को फ़ोन किया और कहा बेटा मैं और नैना जी मार्किट जा रहे हैं तो थोड़ा टाइम लग जायेगा|
मयंक:- थैंक यू सो मच मॉम, लव् यू!
अनुराधा जी- लव यू टू बेटा, लेकिन ध्यान रहे कोई गड़बड़ नहीं करना|
मयंक- डोंट वरी मॉम, लव यू, एन्जॉय योर शॉपिंग| बाय मॉम| मयंक ने राघव से कहा चल-चल भाई काम हो गया| तभी नितिन भी आ गया, तुम दोनों कहाँ जा रहे हो? मयंक ने कहा तू भी चल और तीनों मयंक की बाइक से कुछ ही देर में अंजलि के घर के सामने पहुँच चुके थे| अब प्रॉब्लम ये थी कि उन्हें वहाँ देखकर कहीं अंजलि ज्यादा गुस्सा तो नहीं हो जाएगी| मयंक ने राघव से कहा पहले तू जा और कह कि तुझे रागिनी से कुछ जरुरी बात करनी है|
राघव- मैं नहीं जाऊँगा, तू चाहता है मैं उन शेरनियों का शिकार बनूँ| तेरी हेल्प करने की वजह से रागिनी तो वैसे ही गुस्से में है| ना भाई ना मैं बिलकुल नहीं जाऊँगा|
मयंक- ने अब बड़ी उम्मीद से नितिन की तरफ देखा तो उसने कहा मैं क्या कहूँगा जाकर? मयंक ने एक बार अंजलि को फ़ोन किया, लेकिन अंजली ने फ़ोन नहीं उठाया| अब मयंक ने फटाफट से एक मेसेज टाइप किया और अंजलि के नंबर पर सेंड कर दिया|
उधर अंजलि के घर में अंजलि, रिया और रागिनी के साथ बैठी थी| चूँकि नैना जी घर पर नहीं थी तो अंजलि ने खुद ही चाय बनायीं और तीनों बैठकर चाय पीने लगे| अंजलि ने देखा तीनों ही शांत बैठे थे तो खुद ही बात करने लगी| रिया क्या हुआ था कल? अगर तुम्हें प्रॉब्लम न हो तो हमसे शेयर कर सकती हो| शायद हम कुछ हेल्प कर सकें|
रिया- नहीं कुछ नहीं बस मैं देर से घर पहुँची तो सभी नाराज हो गए थे और थोड़ी से डांट पड़ गई थी|
रागिनी- थोड़ी सी डांट सब पता है मुझे तेरी चाची और बाकी घरवालों की भी, मेरा बस चले तो एक-एक को गोली मार दूँ|
अंजलि- ने कहा अरे बस-बस मेरी गदाधारी भीम, गोली मत मार कुछ और सोचते हैं| थोड़ी देर बाद अंजलि ने कहा रिया वो नितिन...............
रिया- मुझे लगता है शायद वो मेरा फ़ोन वापिस करने मेरे घर आया था और शायद उसने सब सुन लिया होगा?
अंजलि- ने कहा हम्म........तू बिलकुल सही सोच रही है, ऐसा ही हुआ था|
रिया- हैरान होकर क्या नितिन ने तुझे कुछ बताया?
अंजलि- हम्म.......सुबह हमारी बात हुई थी तो उसने कल जो भी देखा और सुना सब बताया|
रिया- मुझे तो शर्म आ रही है, वो क्या सोच रहा होगा मेरे घर और मेरे बारे में| मेरी तो उससे नज़रें मिलाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी|
अंजलि- रिया..............नितिन.................रिया वो चाहता है तुझे| क्या तुम भी???????
रिया- ने कुछ सोचते हुए- मैं जानती हूँ लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सकता| मेरे घरवाले ऐसा कभी नहीं होने देंगे|
अंजलि-मैं ये जानना चाहती हूँ कि तेरे दिल में नितिन के लिए क्या फीलिंग्स है?
रिया- कुछ भी नहीं...................मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से उस पर कोई प्रॉब्लम आये|
तभी घर की डोरबेल बजी और अंजलि उठकर दरवाजा खोलने गयी| गेट खोलते ही सामने राघव और नितिन खड़े थे| अंजलि ने कहा तुम दोनों यहाँ, क्या हुआ सब ठीक है? अंजलि गेट के बाहर देखने लगी|
राघव- यार अंजलि रागिनी ने बताया था कि तुम लोग यहाँ हो और ये नितिन रिया के लिए परेशान था तो बस हम यहाँ आ गए ताकि ये रिया से बात करके तसल्ली कर ले कि वो ठीक है| आई होप कि हमने कुछ गलत नहीं किया?
अंजलि- नहीं कोई बात नहीं अंदर आ जाओ| राघव और नितिन घर के अंदर आ गये और अंजलि अब भी गेट के बाहर देख रही थी| कुछ देर बाद उसने गेट बंद किया और उन लोगों को बैठक में बिठाकर खुद उनके खाने-पीने का इंतजाम करने लगी| रागिनी भी वहाँ से उठकर आई और अंजली की मदद करने लगी|
नितिन लगातार रिया को ही देख रहा था और रिया उसके इस तरह से देखने से काफी असहज महसूस कर रही थी| राघव को लगा उन दोनों को अकेला छोड़ देना चाहिए ताकि उनकी बात हो जाए इसलिए वो भी उठकर वाशरूम चला गया| उधर घर के बाहर खड़ा मयंक सोच रहा था कि घर के अंदर कैसे जाए? उसने राघव को मेसेज करके कहा अरे यार मुझे भी घर के अंदर आना है, कुछ कर|
राघव- फटाफट से गया और उसने गेट खोला और मयंक घर के अंदर आ गया और चुपचाप अंजलि के कमरे की तरफ बढ़ गया| राघव वापिस आया और रसोई में आकर कहने लगा गर्ल्स कुछ मदद चाहिए तो मैं भी हूँ यहाँ?
अंजलि- क्या उन दोनों की बात हो रही है?
राघव-पता नहीं, मैंने तो उन्हें अकेला छोड़ दिया ताकि उनकी बात हो जाये|
अंजलि- हम्म...........ठीक है कहकर कुछ सोचने लगी|
उधर बैठक में कुछ देर चुप रहने के बाद नितिन ने कहा रिया मैं कल फोन देने तुम्हारे घर आया था?
रिया- जानती हूँ, माफ़ी चाहती हूँ, जानती हूँ तुम कल से ही डिस्टर्ब हो| जो भी वहाँ देखा-सुना सब भूल जाओ, मुझे आदत है इस सबकी|
नितिन- लेकिन रिया, वो सब इतना कुछ गलत बोल रहे थे तुमने उन्हें कुछ जवाब क्यों नहीं दिया? तुमने जब कुछ गलत नहीं किया तो किस बात का डर है तुम्हें, मेरे ख्याल से तुम्हें यूँ डरकर अपनी ज़िन्दगी नहीं जीनी चाहिए|
रिया- मुस्कुराकर डरती नहीं हूँ, उन लोगों ने ही मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया है? मेरे मॉम-डैड तो.....................
नितिन- आज ही पता लगा अंजलि ने बताया, सुनकर बहुत बुरा लगा लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि तुम उन लोगों की गुलाम है|
रिया- अब चुपचाप बैठी थी, उसने आगे कुछ नहीं कहा| लेकिन उसकी आँखें अब उसके दुःख को नहीं थाम सकी और उसकी आँखों से उसका दुःख अपने आप ही बरस पड़ा| वो अपने आँसू पोछती हुई कहने लगी, तुम्हें मेरे लिए परेशान होने की जरुरत नहीं है और मुझसे दूर रहो| मैं नहीं चाहती...............
नितिन- उसकी बात बीच में काटते हुए नहीं रह सकता मैं तुमसे दूर, चाहकर भी नहीं| मुझे नहीं पता लेकिन................
रिया- वहाँ से उठकर जाने लगी तो नितिन ने उसका हाथ पकड़ उसे रोक लिया|
नितिन- कुर्सी पर से उठते हुए रिया रुको प्लीज मैं तुम्हें ऐसे नहीं देख सकता| रिया ने पलट कर नितिन की तरफ देखा| उसकी आँखें आँसुओ से भरी हुई थी| नितिन ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया और उसके गले से लगी वो फूट-फूट कर रो पड़ी| नितिन उसे गले से लगाये हुए उसके सिर को सहला रहा था| रिया काफी देर तक सुबकती रही| अंजलि, राघव और रागिनी दूर से उन्हें ही देख रहे थे|
रिया- अब नितिन से अलग हुई और कहने लगी आई एम् सॉरी नितिन मैंने तुम्हें बेकार में परेशान कर दिया| मैं अब घर जाना चाहती हूँ|
क्रमश:

