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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

3  

Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

वो तुम हो (पार्ट-18)

वो तुम हो (पार्ट-18)

22 mins
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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि आयुष और दिव्या की मदद से मयंक ये जान चुका था कि अंजलि भी उसे चाहती है। ये सोचकर ही मयंक बहुत खुश था। वो सभी जयपुर पहुँच चुके थे। अंजलि बस से उतरकर खड़ी मयंक को देख रही होती है। रागिनी आकर अंजलि से कहती है तुम्हें मयंक से प्यार हो गया है। रागिनी के जाने के बाद अंजलि मन ही मन मुस्कुरा उठती है क्योंकि उसे रागिनी की बातों से ये पता लगता है कि ये बात सभी नोटिस कर रहे हैं कि अंजलि और मयंक प्यार में हैं। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-


अंजलि अभी वहाँ खड़ी कुछ सोच ही रही थी कि तभी उसे रिया ने आवाज दी। अंजलि अपनी सोच से बाहर आई और रिया के पास जा पहुँची। रिया ने उसे बताया कि एक कमरे में 4 लोग ही रुक सकते हैं और उसने चारों का नाम लिखवा दिया है। अंजलि ने कहा ओके, अंजलि ने अपना फ़ोन निकाला और अपने घर पर फ़ोन किया। अमिताभ जी ने कहा बेटा अच्छे से घूमना और अपना ध्यान भी रखना। अंजलि ने हाँ कहकर फ़ोन रख दिया। तभी उसने देखा मयंक भी एक तरफ खड़ा किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था। अंजलि उसकी तरफ गई तो उसने सुना मयंक फ़ोन पर कह रहा था, आई मिस यू, लव यू प्रिंसेस! अंजलि ने सुना तो सोच में पड़ गयी या यूँ कहें कि उसे मयंक का किसी को आई लव यू कहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था। वो वहाँ से वापिस आते हुए सोचने लगी कि शायद मयंक की कोई गर्लफ्रेंड होगी? लेकिन ऐसे कैसे उसकी गर्लफ्रेंड होगी? नहीं-नहीं जरुर किसी और से बात कर रहा होगा? लेकिन किस से करेगा वो ऐसे बात ??? अंजलि के दिमाग में सवालों की झड़ी लग चुकी थी।


मयंक ने दूर से अंजलि को देखा तो उसने उसे आवाज देनी चाही लेकिन अगले ही पल उसने खुद को रोक लिया। अंजलि होटल के अपने कमरे में पहुँची जहाँ रिया-रागिनी, नाज़िया सभी फ्रेश हो चुके थे। अंजलि ने भी अपने कपड़े लिए और फ्रेश होने चली गयी। इस वक़्त भी उसके दिमाग में बस मयंक ही था। फ्रेश होकर वो चारों बाहर घूमने के लिए निकले तो बाहर ही उन्हें राघव, शुभम, नितिन और मयंक भी मिल गए। अंजलि ने कहा ये आयुष और दिव्या कहाँ हैं? वो तो कब के घूमने निकल गये, मयंक ने जवाब दिया। अंजलि गुस्से में क्या मतलब वो दोनों अकेले ही चले गए घूमने? शुभम ने कहा मैंने कहा था उन्हें हम भी साथ चलते हैं तो आयुष ने कहा मुझे दिव्या के साथ अकेले ही घूमना है। अब मैं जबरदस्ती कबाब में हड्डी तो नहीं बन सकता था।


अंजलि ने अपना फ़ोन लिया और आयुष को फ़ोन मिला दिया। आयुष ने अंजलि का फ़ोन देखा तो उसने फ़ोन उठा लिया।अंजलि ने गुस्से में कहा हेलो कहाँ हो तुम? आयुष ने कहा प्रिंसेस दरअसल दिव्या के साथ घूमने निकला था। अंजलि ने बिना कुछ कहे ही फ़ोन काट दिया। आयुष समझ गया कि अंजलि को उसका यूँ अकेले घूमने जाना अच्छा नहीं लगा। आयुष को परेशान देख दिव्या ने कहा क्या हुआ आयुष? क्या कहा अंजलि ने? आयुष ने कहा गुस्से में है यार, शायद उसे हमारा अकेले आना अच्छा नहीं लगा। दिव्या ने कहा हाँ तो अच्छा लगने वाली बात है क्या? अब क्या करें दिव्या ने भी परेशान होकर कहा। दोनों इस वक़्त होटल से थोड़ी दूर एक मार्किट में थे। आयुष के चेहरे पर एक स्माइल आ चुकी थी। उसने मयंक को फ़ोन मिलाया। मयंक ने उसका फ़ोन उठाकर कहा यार कहाँ हो तुम दोनों अंजलि बहुत गुस्से में है? आयुष ने कहा मयंक स्पोर्ट्स टीचर ने कहा है कि हम लोग अकेले घूम सकते हैं क्योंकि उनकी तबियत ख़राब हो गयी है और वो आराम करना चाहते हैं। तुम लोग अगर सब तैयार हो गए हो तो हम सब घूमने चलते हैं। मयंक ने कहा जाना कहाँ है? आयुष ने कहा चोखी ढानी, चलो जल्दी से आ जाओ और हाँ हमें रास्ते से ही पिक कर लेना।


मयंक ने कहा ठीक है हम आते हैं। मयंक ने स्पोर्ट्स टीचर से इज़ाज़त ली और अपने कॉलेज की बस में ही सारे चोखी ढानी घूमने निकल गए। रास्ते से उन्होंने आयुष और दिव्या को भी ले लिया। बस में बैठे सभी काफी उत्साहित हो रहे थे। शुभम ने कहा वैसे आयुष ये चोखी ढानी जाने का प्लान कैसे बनाया तुमने? मेरा कहने का मतलब है जयपुर में इतनी सारी देखने और घूमने की जगह है। जैसे आमेर, जयगढ़, हवामहल और अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, लेकिन तुमने ये क्या नाम है अजीबो-गरीब सा...... चोखी ढानी! वहाँ क्या खास है? आयुष मुस्कुराया और कहने लगा, बहुत अच्छी जगह है चोखी ढानी! मैं एक बार अपने दोस्तों के साथ घूम चुका हूँ, तुम सब देखोगे तो खुश हो जाओगे। रिया ने कहा मैंने नेट पर पढ़ा था कि चोखी ढानी............जयपुर शहर के बीच में बनाया गया एक गाँव का मॉडल है जो कि करीब दस एकड़ जमीन पर बना हुआ है। रिया की बात सुनकर नितिन बोल पड़ा, अच्छा मुझे तो गाँव घूमना बहुत पसंद है। रिया ने मुस्कुराकर कहा मुझे भी। शुभम, नितिन, नाज़िया, रिया चोखी ढानी के बारे में बाते करने में व्यस्त थे। राघव और रागिनी एक-दूजे के साथ बैठे अपनी ही दुनिया में मगन थे। मयंक बस के ड्राईवर के साथ बातें करने में लगा हुआ था। बस का ड्राईवर जयपुर का ही रहने वाला था, तो मयंक को रास्ते में आने वाली जगहों और मार्किट के बारे में बताता जा रहा था। लेकिन अंजलि बस की खिड़की के पास बैठी लगातार बस से बाहर देखे जा रही थी।


आयुष ने दिव्या को इशारा किया और वो जान बूझकर आयुष से लड़ने लगी थी। उनकी नोक-झोंक से अंजलि का ध्यान उन पर गया। तब तक दिव्या आयुष के पास से उठकर जाकर अंजलि के पास बैठ गयी थी। अंजलि ने दिव्या से पूछना चाहा कि आखिर वो दोनों अचानक से क्यों लड़ रहे थे? लेकिन दिव्या चुपचाप अपने फ़ोन में कुछ मेसेज टाइप करने लगी। मयंक के फ़ोन पर मेसेज आया तो उसने देखा मेसेज दिव्या का था। तुम आकर अंजलि के पास क्यों नहीं बैठते? यार वो गुस्से में है और मुझे भी गुस्सा जल्दी आता है कहीं ऐसा न हो कि साथ बैठकर लड़ पड़े? मैं इसीलिए यहाँ आकर बैठ गया था। दिव्या ने फ़ोन पर मेसेज आया तो अंजलि का ध्यान भी उधर चला गया। दिव्या ने कहा अंजलि यार मुझे आगे बैठना है जहाँ मयंक बैठा है। चलो ना वहाँ चलते हैं। देखो वहाँ दो सीट खाली भी हैं। अंजलि ने मना किया तो दिव्या अकेली ही मयंक के पास जाने लगी। आयुष ने कहा ठीक है मैं तो अपनी प्रिंसेस के पास बैठूँगा। लेकिन अंजलि को आयुष पर इतना गुस्सा आ रहा था कि वो उसके बैठते ही वहाँ से उठकर आगे चली गयी जहाँ दिव्या बैठी हुई थी। अब मयंक दिव्या और अंजलि तीनों आगे बैठे हुए थे। आयुष और दिव्या अपने प्लान को अंजाम देकर खुश हो रहे थे। मयंक अंजलि के साथ बैठकर खुश था। मयंक ने अंजलि से कुछ कहना चाहा लेकिन तभी उसने देखा कि अंजलि तो इयरफ़ोन लगाकर बैठी है।


मयंक ने देखा अंजलि इस वक़्त बहुत ही प्यारी लग रही थी। अंजलि ने आज सूट पहना था। नीले रंग के चूड़ीदार सलवार सूट में वो कमाल लग रही थी। अंजलि ने अपने बालों में हल्का सा क्लिप लगाकर उन्हें खुला ही छोड़ दिया था। मयंक ने देखा अंजलि अब भी बस के बाहर ही देख रही थी। बस की खिड़की से आती ठंडी-ठंडी हवा के झोंके ना जाने कब अंजलि को नींद की आगोश में ले गए थे। मयंक का ध्यान गया तो वो अंजलि के थोड़े करीब होकर बैठ गया। ताकि अंजलि कहीं नींद में सीट से गिर ना पड़े। तभी मयंक ने देखा दिव्या और आयुष एक साथ बैठे बातें करने में लगे थे। मयंक समझ गया था कि दिव्या और आयुष ने अंजलि को मयंक के पास बैठाने के लिए वो लड़ाई का ड्रामा किया था।


मयंक अब चुपचाप अंजलि के साथ बैठा उसे एकटक निहार रहा था। बस की खिड़की से आती हवा अंजलि के बालों को उसके चेहरे पर बिखेर रही थी। जिन्हें मयंक बिना समय गंवाए हर बार उसके चेहरे पर से उसके कान के पीछे कर देता था। अंजलि शायद बहुत थके होने की वजह से गहरी नींद में थी। तभी अंजलि ने नींद में मयंक का बाजु पकड़ लिया और उसके कंधे पर सिर टिकाये सुकून से सोने लगी थी। अंजलि को खुद के इतना करीब देख मयंक एक पल को घबराया लेकिन अगले ही पल वो उसे देख मुस्कुराया और कहा अंजलि आई रियली लव यू................वो तुम ही हो। सच में “वो तुम हो”।


जिसका हाथ अपने हाथ में लेकर मैं,

ज़िन्दगी का सफ़र तय करना चाहता हूँ।

जिसकी आँखों में हर लम्हा मौजूद मैं रहूँ,

जिसके होंठों पर बन नज़्म सजना चाहता हूँ,

जिसके पास होने से वक़्त भी ये ठहरता है,

देखो मेरा यकीन कर लो...”वो तुम हो”


जिसकी मुस्कुराहटें मेरा वज़ूद बन चुकी हैं,

जिसकी आहटें मेरे दिल में उतर चुकी हैं,

जिसके आने का धड़कनों को इंतजार रहता है,

तुझे उससे ही है प्यार मेरा दिल बार-बार कहता है,

जिसके रूठने से फिर ना साँसों का साज बजता है,

देखो मेरा यकीन कर लो..... “वो तुम हो”


जिसकी जुल्फों के ये साए देखे हैं अक्सर ख्वाबों में,

जिसके चेहरे की झलक है मेरे ख्यालों की किताबों में,

जिसका ख्याल हो जाए गुम तो बेख्याल हो जाता हूँ,

जिसको खो देने के उस ख्याल से भी मैं घबराता हूँ,

जिसे अक्सर अपने ख्यालों में इन बाँहों में भरता हूँ,

देखो मेरा यकीन कर लो......”वो तुम हो ”


अंजलि मयंक के इन ख्यालों से बेखबर सो रही थी। उसने देखा मयंक उसके साथ है और वो उसके कंधे पर अपना सिर टिकाए बड़े ही सुकून से सो रही थी। उसने देखा मयंक उसके चेहरे पर आती हुई उसकी जुल्फों को बार-बार संवार रहा है। अंजलि बहुत खुश थी, इतनी खुश कि उसके सपने में खुश होने की ख़ुशी को मयंक जागती आँखों से उसके होंठों पर देख पा रहा था। मयंक समझ गया कि अंजलि सोते हुए यूँ मुस्कुरा रही है तो जरूर कोई अच्छा सपना देख रही होगी। अचानक बस में ब्रेक लगा और बस चौकी ढानी के सामने खड़ी थी। कमाल की बात ये थी कि अंजलि की नींद इतनी गहरी थी कि बस के ब्रेक लगने के बाद भी वो नहीं उठी बल्कि वो और भी मजबूती से मयंक के बाजू को पकड़ कर सो रही थी। सभी बस से उतर कर नीचे जाने लगे थे।


अंजलि अब भी मयंक के कंधे पर आराम से सो रही थी। आयुष ने मयंक के कंधे पर हाथ रखा तो मयंक मुस्कुरा दिया। आयुष ने कहा क्या बॉस तेरा तो बिलकुल भी नीचे घूमने का मन नहीं होगा। तुझे तो बस में ही जन्नत मिल गयी है। मयंक आयुष की बातों से थोड़ा झेंपते हुए कहने लगा क्या यार, तुम चलो मैं इसे जगा कर लेकर आता हूँ। आयुष ने कहा अगर तुम अंजलि से मार नहीं खाना चाहते तो उसे सोने देना क्योंकि अगर तुमने उसे जगाया तो तुम्हारी खैर नहीं है। मयंक हैरान होकर क्या मतलब भाई अब घूमने आये हैं तो क्या ये सोती रहेगी? आयुष ने कहा मैं अंजलि को बहुत अच्छे से जानता हूँ उसे कोई नींद से जगा दे तो वो बहुत गुस्सा होती है। बेहतर होगा तुम उसे सोने दो, थोड़ी देर में अपने आप ही उठ जायेगी।


मयंक ने कहा मतलब तब तक मुझे ऐसे ही बैठना होगा। आयुष ने कहा तुम यहाँ से हिलना भी मत वरना.........गुस्से में पता नहीं अंजलि क्या करेगी? मयंक ने हाँ में अपना सिर हिलाया और अंजलि की तरफ देखने लगा। आयुष ने कहा ठीक है यार तुम आ जाना बाद में, दिव्या नीचे मेरा इंतजार कर रही है मैं चलता हूँ। मयंक ने कहा ओके। आयुष बस से नीचे उतरा और मयंक को बाय कहकर दिव्या का हाथ पकड़ कर वहाँ से थोड़ी दूर गया और उसके बाद बहुत जोर-जोर से हँसने लगा। दिव्या ने कहा आयुष मुझे बताओ क्या कांड कर के आये हो? आयुष ने कहा यार कुछ भी तो नहीं? दिव्या ने कहा अच्छा बच्चू तो तुम मुझे भी नहीं बताओगे, रुको जरा अभी बताती हूँ। आयुष दिव्या को गुस्से में देख वहाँ से भागने लगा था। दिव्या भी आयुष के पीछे-पीछे भागने लगी। आयुष जब रुका तो दिव्या उसके करीब पहुँच गयी थी। उसने दिव्या को रोकते हुए कहा अच्छा रुको.....रुको...मैं बताता हूँ। दिव्या ने हाँफते हुए कहा हाँ तो जल्दी बताओ।


आयुष ने कहा यार उन दोनों को साथ में टाइम देने के लिए मैंने बस एक छोटा सा झूठ बोला है। दिव्या अपनी आँखें बड़ी करती हुई कहती है साफ़-साफ़ बताओ तुमने किया क्या है? आयुष ने अब सारी बात दिव्या को बताई तो वो भी हँसने लगी। उसने कहा आयुष तुम बहुत अच्छे हो, तुमने बहुत अच्छा किया। वैसे भी वो दोनों एक-दूसरे को चाहते हैं वो तो दिखता है उनकी आँखों में। शायद एक-दूसरे के साथ होने पर वो एक-दूसरे से अपने प्यार का इज़हार भी कर दें। हम्म................कहकर आयुष ने दिव्या को अपने गले लगा लिया। दिव्या ने कहा और तुमने आज अभी तक अपने प्यार का इज़हार नहीं किया है। दिव्या ने आयुष को प्यार से देखा तो आयुष ने कहा यार तुम इतनी रोमांटिक हो, मुझे तो कभी पता ही नहीं चला। मुझे हमेशा यही लगता था कि एक नंबर की लड़ाकू हो। अच्छा तो मैं लड़ाकू हूँ???? दिव्या ने अपनी कमर पर हाथ रखते हुए गुस्से में आयुष को देखा। आयुष ने कहा हम्म..........वो तो तुम हो लेकिन.........कहते हुए आयुष रुक गया। दिव्या ने कहा लेकिन क्या आयुष???? आयुष ने कहा लेकिन........ तुम्हारी इसी अदा पर ही तो मैं फ़िदा हूँ। दिव्या ने सुना तो शरमा गयी और कहने लगी हद है यार आयुष, तुम भी न कुछ भी बोलते हो। आयुष ने दिव्या को आँख मारी तो दिव्या ने कहा ये क्या हरकत है। चलो अब यहाँ से और घुमाओ मुझे ये चौकी ढानी.........जी बिलकुल चलिए मेमसाब, बंदा आपकी सेवा में हाज़िर है।


नितिन और रिया भी एक साथ घूम रहे थे। रिया बहुत खुश थी, और वो कुछ गुनगुना भी रही थी। नितिन ने कहा रिया.................हम्म.........बोलो नितिन, रिया ने दूसरी तरफ ही देखते हुए कहा। बहुत सुंदर जगह है ना, नितिन ने रिया को अपलक देखते हुए कहा??? रिया ने कहा हाँ सच में बहुत सुंदर है। नितिन ने कहा तुम भी बहुत सुंदर हो रिया। ये सुनकर रिया नितिन की तरफ देखने लगी। नितिन ने कहा सच कह रहा हूँ और तुम्हारी आवाज का तो मैं फैन हो चुका हूँ। रिया नितिन की बात सुन मुस्कुरा रही थी। रिया ने कहा मेरे पापा बहुत अच्छा गाते थे। नितिन ने कहा गाते थे मतलब? रिया ने कहा मेरे मॉम-डैड नहीं हैं। वो एक एक्सीडेंट में मुझे छोड़कर चले गए थे तब मैं केवल 8 साल की थी। नितिन ने सुना तो उसने कहा मतलब तुम्हारे मम्मी-पापा दोनों ही नहीं है? रिया ने अपनी गर्दन हाँ में हिलाई और इस बार उसकी आँखों में आँसू थे। नितिन ने झट से उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा आई एम् सॉरी रिया मुझे पता नहीं था। रिया उस समय ज्यादा ही भावुक हो चुकी थी और वो लगातार रोती जा रही थी। नितिन ने देखा आस-पास कोई नहीं था। ज्यादातर स्टूडेंट्स आगे जा चुके थे। नितिन ने रिया से कहा रिया संभालो खुद को, चलो हम वहाँ बैठते हैं। रिया ने खुद को सँभालते हुए कहा नितिन सॉरी मुझे शायद ऐसा नहीं करना चाहिए। क्या मैं बस में जाकर बैठ जाऊँ। नितिन ने कहा नहीं यार चलो जरा देखते हैं आयुष यहाँ घुमाने क्यों लाया है, आखिर यहाँ पर ऐसा क्या है? नितिन और रिया अब आगे चल पड़े थे। नितिन ने रिया का हाथ पकड़ा हुआ था। नितिन ने कहा रिया एक बात कहूँ? क्या तुम्हें भी लगता है कि हमारे बीच कुछ ऐसा है जिसे लफ्जों में कहने की जरूरत नहीं है। रिया ने नितिन की आँखों में आज पहली बार देखा था और उसने कहा हाँ कुछ तो है। दोनों मुस्कुरा दिए थे तभी सामने से शुभम भागता हुआ आया और कहा यार तुम सब ऐसे अलग-अलग घूम रहे हो। मुझे अकेला छोड़कर, हद है यार।


तभी आयुष और दिव्या भी वहाँ पहुँच गये। उन्हें देख शुभम ने कहा यार तुम दोनों भी अभी यहाँ हो और मयंक और अंजलि कहाँ है? दिव्या ने सुना तो आयुष का कारनामा याद कर उसकी हँसी छूट गयी थी। आयुष ने कहा यार अंजलि सो रही है और मयंक को हम उसकी रखवाली के लिए छोड़ कर आ गए हैं। शुभम ने सुना तो कहा मतलब हम सब घूमने आये हैं और वो सो रही है। अभी उठाकर लाता हूँ उसे? आयुष ने शुभम को रोकते हुए कहा भाई तू सब बिगाड़ने की तैयारी में है, इतनी मुश्किल से सब सेट किया है? क्या सेट किया है, नितिन और रिया एक साथ ही बोल पड़े हैं? आयुष ने कहा यार मयंक और अंजलि को एक साथ टाइम स्पेंड करने की बहुत जरूरत है। उन्हें रहने दो हम सब चलते हैं। शुभम ने कहा वाह तो मयंक और अंजलि की सेटिंग करवाने के लिए तुम भी मेहनत कर रहे हो। शुभम ने कहा थैंक यू यार, आयुष मुस्कुरा दिया।


उधर बस में अंजलि की आँख खुली तो उसने देखा मयंक उसके साइड में बैठा सो गया था। उसने गर्दन घुमा कर देखा तो पूरी बस खाली थी। अंजलि ने कहा मयंक उठो। अंजलि की आवाज से मयंक की आँख खुली। अंजलि तुम उठ गयी, तुम्हारी नींद पूरी हो गयी है ना?? अंजलि को लगा शायद मयंक उसे ताने मार रहा है। उसने कहा शायद तुम भूल रहे हो कि तुम भी सो रहे थे। मयंक ने कहा नहीं मैं नहीं सोया था बस अभी शायद आँख लग गयी थी। मैं तो कब से तुम्हारे उठने का इंतजार कर रहा हूँ। अंजलि ने कहा तुम क्या पागल हो जब हम यहाँ पहुँच गए थे तो तुम मुझे उठा नहीं सकते थे? मयंक कुछ कहने को हुआ तो अंजलि फिर कहने लगी बाकी सब लोग कहाँ हैं? मयंक ने कहा वो सब तो................उसकी बात अभी खतम भी नहीं हुई थी अंजलि फिर कहने लगी आयुष और दिव्या कहाँ हैं? नितिन, शुभम, राघव, रिया, नाज़िया किसी ने मुझे नहीं उठाया और सब मुझे यहाँ बस में सोता छोड़कर चले गए। बहुत अच्छे दोस्त हैं मेरे तो वाह.............भाई वाह.........., अंजलि चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। मयंक ने कहा अंजलि सुनो तो सही। क्या सुनाना चाहते हो, तुम भी चले जाते मुझे बस में सोता छोड़कर, हाँ तुम क्यों नहीं गये?


अंजलि के इस व्यवहार से परेशान मयंक को कुछ सूझ नहीं रहा था। उसने इधर-उधर देखा और एक गहरी साँस लेकर अंजलि के होठों पर अपनी ऊँगली रखते हुए कहा, अंजलि प्लीज शांत हो जाओ। मयंक की इस हरकत से अंजलि चुप हो गई। मयंक ने कहा उफ़ यार कितना बोलती हो तुम? मयंक ने अभी ऊँगली हटाई ही थी कि अंजलि ने कहा तो और क्या करूँ मुझे गुस्सा आ रहा है जैसे मेरे सारे दोस्त मुझे यहाँ सोता छोड़कर चले गए थे वैसे तुम भी चले जाते। हाँ तुम क्यूँ नहीं गये? मयंक को भी अब गुस्सा आ चुका था उसने अंजलि पर लगभग चीखते हुए कहा मैं तुम्हें कभी अकेला छोड़कर नहीं जा सकता, समझी तुम। अंजलि ने भी गुस्से में क्यों, क्यों नहीं जा सकते थे? मयंक ने कहा प्यार करता हूँ तुमसे, नहीं छोड़ सकता तुम्हें कभी अकेला, समझी तुम .........................ये सुनते ही अंजलि के चेहरे के भाव बदल गए और वो चुपचाप सीट पर बैठ गयी थी। अंजलि की आँखों में आँसू आ चुके थे। मयंक ने जब देखा अंजलि उसकी बात सुनकर रोने लगी है तो उसे खुद पर ही बहुत तेज गुस्सा आ गया था। उसने अपना हाथ बस में ही बहुत तेज दे मारा और कहने लगा अंजलि आई एम् सॉरी, मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।


लेकिन मैं सच में तुम्हें चाहता हूँ, बहुत चाहता हूँ। तुम्हें किसी और के साथ देखता हूँ तो जैसे टूट जाता हूँ। तुम्हें खोने के ख्याल से भी काँप जाता हूँ। तुम्हें पता है मुझे लगता था कि आयुष और तुम्हारे बीच कुछ है शायद, और तुम शायद आयुष से प्यार करती हो। अभी कल ही पता लगा कि आयुष और दिव्या एक साथ हैं। अंजलि सीट से खड़ी हुई और मयंक की तरफ देखने लगी। मयंक ने कहा अंजलि अगर तुम मुझे पसंद नहीं करती तो कोई बात नहीं। लेकिन सच यही है कि तुम्हें मिलने से भी पहले से मेरे ख्यालों में मेरी मोहब्बत का एक अक्स था। जब तुमसे मिला तो लगा वो अक्स और कोई नहीं अंजलि “वो तुम हो”...............जैसे-जैसे मैं तुम्हें मिलता रहा तुम्हें समझता रहा, तुम्हारे लिए मेरी चाहत बढ़ती ही चली गयी।


मयंक ने कहा अंजलि तुम्हें मेरी फीलिंग्स जानकर परेशान होने की जरूरत बिलकुल नहीं है। अगर तुम मुझसे प्यार नहीं करती तो..............अंजलि ने मयंक को चुप करवाने के लिए या फिर कह सकते हैं कि मयंक के इज़हार-ए-इश्क को मुकम्मल करने के लिए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए थे। मयंक को इसकी उम्मीद नहीं थी क्योंकि शायद अंजलि के दिल में क्या चल रहा होता है ये पता लगाना इतना आसान भी नहीं था। अंजलि मयंक के सीने से लगी कहती है तुम बहुत बोलते हो बंदर कहीं के। मयंक मुस्कुराया और कहने लगा मेरी नकचढ़ी बिल्ली अगर तुम ऐसे ही मुझे चुप करवाओगी तो मैं तो सारी ज़िन्दगी ऐसे ही बोलने के लिए तैयार हूँ। ये सुनकर अंजलि ने कहा अगली बार तुमने ऐसा करने की कोशिश भी की तो मैं तुम्हारी पिटाई कर दूँगी समझ गए बंदर। हाँ बिलकुल मेरी नकचढ़ी बिल्ली, मैं तो आज तुमसे बहुत डर गया हूँ, मयंक ने डरने की थोड़ी एक्टिंग करते हुए कहा तो अंजलि हँसने लगी। अच्छा चलो हम यहाँ घूमने आये थे।


अंजलि और मयंक दोनों बहुत खुश थे। दोनों एक साथ ही चल रहे थे। मयंक ने कहा अंजलि एक बात पूछूँ सच-सच बताओगी? हाँ पूछो अंजलि ने तुरंत कहा। अंजलि मुझे तो तुम्हें पहली बार देखते ही प्यार हो गया था। क्या तुम बताना चाहोगी कि तुम्हें मुझसे कब प्यार हुआ? अंजलि ने कहा आर यू सीरियस? क्या तुम सच में ये जानना चाहते हो? मयंक ने कहा हाँ मैं सच में जानना चाहता हूँ। अंजलि ने कहा तुम्हें याद है जब वो लड़का मदन पहले ही दिन मुझसे क्लास में लड़ने आया था? मयंक ने थोड़ा सोचते हुए कहा हाँ याद है मुझे, वही ना जिसे तुमने कॉलेज के बाहर पकड़ कर पीटा था। अंजलि ने कहा हाँ वही मदन जो नाज़िया को परेशान कर रहा था। मयंक ने कहा हाँ बिलकुल याद आ चुका है। अंजलि ने कहा तो जब वो क्लास में लड़ने आया था और तुमने आकर मेरी हेल्प की थी, उस दिन मैंने तुम्हें पहली बार ध्यान से देखा था। तुम्हारी आँखों में कुछ अजीब सी कशिश थी और उस दिन मैं बस तुम्हारे बारे में ही सोचती रही थी। ओह्ह..... शायद उसी दिन तुम्हें मुझसे प्यार हो गया होगा, मयंक ने खुश होते हुए कहा। लेकिन अंजलि ने कहा नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है। मुझे तो ये पता ही नहीं लगा कि मुझे कब तुमसे प्यार हो गया। मयंक ने कहा बहुत टेढ़ी खीर हो, तुम आसानी से तो कुछ नहीं बताओगी? अंजलि ने कहा तुम तो मुझे बहुत अच्छे से समझते हो।


मयंक ने कहा अच्छा ये बताओ ये क्या दिक्कत है तुम्हारे साथ कि कोई तुम्हें सोता हुआ जगा दे तो तुम उस पर गुस्सा होती हो और मार-पीट करने लग जाती हो? अंजलि ने सुना तो चलते-चलते रुक गई और कहने लगी ये तुमसे किसने कहा? आयुष ने बताया मुझे वरना आज तो तुम मुझे पीट-पीट कर मेरा हुलिया बिगाड़ देती। अंजलि ने सुना तो उसने गुस्से में कहा आयुष तुम्हें तो मैं देख लूँगी। अच्छा और क्या कहा आयुष ने तुमसे, मेरा मतलब की मुझे पूरी बात बताओगे कि उसने और क्या-क्या कहा मेरे बारे में? मयंक ने चलते-चलते उसे पूरी बात बताई कि कैसे वो बस में सो गयी थी और फिर जब वो चौकी ढानी पहुँचे तो आयुष ने उससे कहा कि अंजलि को उसकी नींद पूरी करने दो वरना वो गुस्सा हो जाएगी। मयंक को अंजलि के पास ही बैठने को कहकर वो सब चौकी ढानी घूमने निकल गए। मयंक ने कहा अंजलि वैसे अच्छा ही हुआ नहीं तो शायद मुझे आज भी पता ही नहीं चलता कि तुम भी मेरे लिए वही फील करती हो, जो मैं तुम्हारे लिए फील करता हूँ।


अंजलि ने कहा लेकिन मयंक मैं उसे छोड़ूँगी नहीं। क्या मतलब किसे नहीं छोड़ोगी? अंजलि ने कहा आयुष को और किसे, कितनी फ़िज़ूल बकवास की है उसने मेरे बारे में। मयंक ने कहा क्या मतलब क्या उसने वो सोने वाली बात जान-बूझकर कही है, मतलब ऐसा कुछ भी नहीं है। बिलकुल सही समझा तुमने लेकिन समझ नहीं आ रहा उसने ये फ़िज़ूल सी बात की क्यों? मयंक को अब हँसी आने लगी थी और अंजलि ने उसे घूरते हुए कहा अब तुम्हें क्या हुआ? कुछ नहीं अंजलि मैं बस सोच रहा हूँ कि आयुष ने हम दोनों को एक साथ करने के लिए कितना अच्छा झूठ बोला है, मुझे तो ये दिन हमेशा ही याद रहेगा। आयुष के इस झूठ ने हमें एक साथ कर दिया। तुम्हें पता हैं अंजलि मैं तो ये सोच रहा था कि जब हमारी शादी हो जाएगी तो मुझे तुम्हें नींद से नहीं जगाना वरना तुम तो मेरा बैंड ही बजा दोगी। अंजलि सुनकर बहुत जोर से हँसी और अगले ही पल उसने अपना हाथ अपनी कमर पर रखते हुए कहा लेकिन वो सच में पिटेगा मुझसे। चलो यहाँ से अब जल्दी ढूँढते है उस गधे को। हाँ ठीक है पर अंजलि जाने दो उसने कुछ गलत तो नहीं किया। अंजलि ने कहा हाँ बहुत सही काम किया है उसने मेरे बारे में तुमसे बकवास बातें कर के। तभी अंजलि को आवाज आई अंजलि यहाँ आओ, वो रागिनी थी। अंजलि अब रागिनी के पास पहुँची तो उसने देखा रागिनी का पैर मुड़ गया था।


राघव ने कहा यार अंजलि इसका पैर मुड़ गया अब क्या करें, इसे बहुत दर्द हो रहा है। तभी मयंक ने कहा दिखाओ जरा मुझे। मयंक ने रागिनी का पैर देखा और राघव को इशारे से उसे बातों में लगाने को कहा। राघव ने कहा रागिनी तुम यार देखकर नहीं चल सकती थी। अब क्या करेंगे, हम कैसे घूमेंगे? रागिनी ने ये सुना तो उसे बहुत गुस्सा आ गया। वो गुस्से में राघव पर चिल्लाने लगी। हद है यार एक तो मुझे चोट लग गयी है और तुम मुझसे ये सब कह रहे हो? उन दोनों की बहस का फायदा मयंक ने उठाया और रागिनी का पैर ट्विस्ट कर दिया। रागिनी चिल्लाई और साथ में राघव भी चिल्ला पड़ा। मयंक ने कहा अरे बस सब ठीक है तुम चलकर देखो रागिनी। रागिनी ने कहा अच्छा देखती हूँ मगर दर्द हुआ तो। नहीं अब दर्द नहीं होगा मयंक ने कहा। रागिनी खड़ी हुई और चलने लगी तो उसे दर्द नहीं हुआ। वो चिल्लाई मेरा पैर ठीक हो गया है। उसके साथ राघव भी चिल्लाया। रागिनी ने कहा तुम क्यों चिल्ला रहे हो राघव? राघव ने कहा क्योंकि तुम चिल्ला रही हो रागिनी। मुझे तो दर्द हो रहा था लेकिन तुम्हें क्या हुआ? राघव ने मुस्कुराते हुए कहा मुझे भी दर्द हुआ। राघव और रागिनी दोनों एक-दूसरे की तरफ प्यार से देख रहे थे। मयंक ने खाँसने की एक्टिंग की तो उन दोनों ने मयंक की तरफ देखा और एक साथ ही बोल पड़े थैंक यू! अंजलि ने कहा हो गया तुम दोनों का तो चलो चलते हैं।


मयंक, अंजलि, राघव और रागिनी चारों अब चौकी ढानी घूमने के लिए एक साथ चल पड़े थे। उधर आयुष ने मयंक को ये जानने के लिए फ़ोन किया कि अंजलि सोकर उठ गयी है या नहीं? मयंक ने फ़ोन उठाया और थोड़ा साइड में जाकर कहा तुम्हें ही ढूँढ रही है वो बच कर रहना जरा। आयुष हँसने लगा और कहने लगा तो हमारी प्रिंसेस झाँसी की रानी बन चुकी हैं। मयंक ने कहा हाँ बिलकुल सही समझे और तलवार लेकर तुम्हें ही ढूँढ रही है। आयुष ने कहा मयंक बचा लेना भाई मुझे। मयंक ने कहा मैं कैसे बचाऊँगा? अच्छा ये बताओ तुमने उसे अपने दिल की बात बताई? मयंक ने कहा हाँ बताई। आयुष ख़ुशी से अच्छा फिर क्या कहा प्रिंसेस ने? मयंक मुस्कुराया और कहने लगा यार उसने कुछ नहीं कहा। क्या मतलब कुछ नहीं कहा उसने? मयंक ने कहा नहीं कुछ नहीं कहा उसने बल्कि...................किससे बात कर रहे हो तुम? मयंक ने देखा अंजलि उसके सामने खड़ी थी। किससे बात कर रहे हो तुम? मयंक ने कहा वो आयुष है फ़ोन पर, तुम्हारा ही पूछ रहा है। अंजलि ने मयंक के हाथों से फ़ोन लिया और कहने लगी आयुष के बच्चे कहाँ हो तुम? क्या कहा तुमने मयंक से? आयुष ने अंजलि की आवाज सुनी तो कहा लव यू प्रिंसेस, आई होप तुम्हें तुम्हारा प्रिंस चार्मिंग आज मिल गया होगा और तुमने उसे आई लव यू बोल दिया होगा। अंजलि ने सुना तो उसने कहा आयुष आई विल किल यू! तुम मिलो जरा मुझे फिर बताती हूँ।

क्रमशः



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