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Meena Singh "Meen"

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Meena Singh "Meen"

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वो तुम हो (पार्ट -22)

वो तुम हो (पार्ट -22)

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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि राघव और रागिनी दोनों बहुत खुश है। मयंक अंजलि के घर जाता है, जहाँ अंजलि बहुत गुस्से में होती है और मयंक की बहुत अच्छे से धुनाई होती है। अंजलि की माँ नैना जी मयंक की माँ अनुराधा जी से फ़ोन पर बात करके सन्डे को मिलने का प्लान बनाते हैं और उन्हें वहाँ लाने की जिम्मेदारी नैना जी मयंक के सुपुर्द करती हैं। अंजलि मजाक करती हुई नैना जी से कहती है कि कभी-कभी तो मुझे लगता है मैं आपकी बेटी ही नहीं हूँ।ये सुनकर नैना जी परेशान हो जाती हैं। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-

नैना जी चाय लेकर अमिताभ जी के पास आती हैं, जहाँ अंजलि पहले से ही बैठी होती है।

अंजलि:- डैड आपको पता है अभी मयंक आया था और उसने बताया कि राघव ने रागिनी को अपनी माँ से मिलवा दिया है।

अमिताभ जी:- अरे वाह ! मतलब लव स्टोरी का दी एंड होने वाला है।

अंजली:- क्या मतलब डैड?

अमिताभ जी:- नैना जी की तरफ देखकर कहते हैं अरे शादी होगी तो लव का दी एंड हो जायेगा। ये कहकर अमिताभ जी हँस पड़े थे। नैना जी भी फीकी तरह से मुस्कुरा दी थी।

अंजलि:- क्या डैड आप भी ना, आपने तो मुझे डरा ही दिया। प्यार भी ख़तम होने वाली चीज़ है, ये तो वो एहसास है जो बस बढ़ता ही जाता है। अंजलि ये कहते हुए कहीं खो गयी थी, उसकी आँखों के आगे बस मयंक का मुस्कुराता चेहरा घूम रहा था।

अमिताभ जी:- अंजली की बात सुनकर कभी नैना जी की तरफ देख रहे थे तो कभी अंजली की तरफ, जो कि अब भी कहीं खोयी हुई बैठी थी। अंजलि बेटा हमें कुछ समझ नहीं आया। अमिताभ जी की बात सुनकर अंजलि अपनी दुनिया से जैसे बाहर आई।

अंजलि:- क्या डैड, आपको क्या समझ नहीं आया?

अमिताभ जी:- यही जो अभी तुमने प्यार के बारे में कहा, वो क्या कहा नैना जी अभी अंजलि ने? अमिताभ जी नैना जी से बड़े प्यार से पूछा, लेकिन नैना जी ने कहा आप दोनों बाप-बेटी की अलग ही खिचड़ी पकती रहती है। मुझे बहुत काम है, कहकर नैना जी रसोई में चली गयी। अंजलि भी उठकर अपने कमरे में जाने को हुई तो अमिताभ जी ने कहा अंजलि बेटा आप ठीक तो हैं ना? कहीं आपको अपनी फिलोसफी वाला प्यार मिल तो नहीं गया?

अंजलि:- डैड आप भी ना, डोंट वरी। सबसे पहले आपसे ही मिलवाऊँगी। ओके डैड गुड नाईट, कल कॉलेज है मेरा और मुझे नींद भी आ रही है।

अमिताभ जी:- ओके बेटा, गुड नाईट, स्लीप टाइट और अपना प्रॉमिस मत भूलना।

अंजलि:- कौन सा प्रॉमिस डैड, अंजली ने अजीब सी शक्ल बनाते हुए कहा?

अमिताभ जी:- बेटा जी जो प्रॉमिस अभी आपने मुझसे किया है। जो भी मिलेगा आपको उसे सबसे पहले मुझसे ही मिलवाना है।

अंजलि:- ओह्ह नो प्रॉब्लम डैड, सबसे पहले आपसे ही मिलवाऊँगी। लव यू डैड, गुड नाईट।

अंजलि अपने कमरे में जा चुकी थी। अमिताभ जी भी उठकर अपने कमरे की तरफ जाने को हुए, तभी उन्होंने नोटिस किया कि आज नैना जी थोड़ी बुझी-बुझी सी हैं। वो रसोईघर की तरफ चले गए। देखा तो नैना जी वहाँ खड़ी किसी सोच में गुम थी। अमिताभ जी ने कहा नैना जी क्या सोच रही हैं? उनका ये पूछना था कि नैना जी की आँखों से आँसुओं की धारा बह चली थी। अमिताभ जी उन्हें ऐसे देख घबरा गए। उन्होंने कहा क्या हुआ है नैना जी, इतनी परेशान क्यों है? कोई बात हुई है तो मुझे बताएँ? नैना जी ने कहा वो अंजलि?????क्या अंजलि? वो तो बिलकुल ठीक लग रही थी, अभी तो अपने कमरे में गयी है। नैना जी ने कहा अगर उसे पता लग गया कि वो हमारी बेटी नहीं है तो???? ये कहकर नैना जी फूट-फूटकर रो पड़ी थी। अमिताभ जी नैना जी को चुप करवाते हुए कहा ये क्या फ़िज़ूल बात कर रही हो? ऐसा कुछ नहीं होगा, तुम इतनी देर से इसलिए परेशान घूम रही हो? आखिर तुम्हारे दिमाग में ये बात आई कहाँ से? नैना जी ने अंजलि की बात को जस का तस अमिताभ जी को बता दिया। अमिताभ जी ने सुना तो नैना जी को डांटते हुए कहा आप भी ना, वो तो मजाक कर रही थी और आपने इतना सीरियस ले लिया।


नैना जी अब थोड़ा शांत हो चुकी थी। अमिताभ जी ने उन्हें कमरे में चलने को कहा और खुद कॉफ़ी बनाने लगे। कॉफ़ी बनाते हुए वो अपने अतीत के पन्नों को पलटने लगे थे जब उन्होंने अंजलि को पहली बार देखा था। उस वक़्त अंजलि मात्र 2 साल की थी। अमिताभ जी अपनी एक बिज़नेस मीटिंग के लिए जयपुर गए हुए थे। जहाँ उनकी मुलाकात अपने एक क्लाइंट से हुई जिनका नाम रमेश मेहरा था। जब अमिताभ जी उनसे मिले तो उनके साथ एक छोटी-सी बच्ची थी। ये हमारी अंजलि थी, जो उस वक़्त दो साल की थी। थोड़ी-बहुत बातचीत के बाद अमिताभ जी ने रमेश जी से उस बच्ची की माँ के बारे में पूछा तो उन्हें पता लगा कि उस बच्ची की माँ उसे जन्म देते ही स्वर्ग सिधार गयी थी। ये सुनकर अमिताभ जी को बहुत दुःख हुआ। उस बच्ची के बारे में सोचते हुए वो अपने आप ही उस बच्ची से जुड़ गए थे। उसके साथ खेलते-खेलते उस दिन उन्हें काफी वक़्त हो गया। रमेश ने जब वापिस जाने की बात की तो अमिताभ जी थोड़ा दुखी हो गए थे क्योंकि उस बच्ची से बिछड़ना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था। रमेश जी ने उन्हें रेलवे स्टेशन छोड़ने के लिए कहा तो वो मना नहीं कर पाए। शायद इसी बहाने उन्हें अंजलि के साथ कुछ और वक़्त बिताने का मौका मिलने वाला था। लेकिन कुदरत तो कुछ और ही चाह रही थी। रेलवे स्टेशन जाते वक़्त रास्ते में रमेश जी की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था और उस एक्सीडेंट में वो बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। अमिताभ जी को भी कुछ चोटें आई थी लेकिन भगवान की दया से अंजलि बिलकुल ठीक थी।


अमिताभ जी ने नैना जी को फ़ोन किया और उन्हें सब कुछ बताया और कहा कि उन्हें वापिस आने में अभी थोड़ा वक़्त लग जाएगा क्योंकि वो नहीं जानते थे कि अंजलि या रमेश जी का कोई और रिश्तेदार है या नहीं? नैना जी ने कुछ सोचा और उन्होने अमिताभ जी से कहा कि वो खुद उनके पास ही आ रही हैं। कुछ घंटों बाद नैना जी अमिताभ जी और अंजलि के सामने खड़ी थी। नैना जी ने जब पहली बार अंजलि को देखा तो उसकी मासूमियत देख भगवान से शिकायत कर बैठी थी। हे भगवान इतनी नन्हीं सी बच्ची से उसकी माँ छीनते हुए आपको जरा भी दया नहीं आई? ये कैसी निष्ठुरता है प्रभु? अंजलि अमिताभ जी की गोद में ऐसे चिपकी हुई थी जैसे वो उन्हें हमेशा से जानती है। नैना जी ने कई बार उसे अपनी गोद में लेना चाहा लेकिन अंजलि उनकी गोद में नहीं आई। कुछ वक़्त बाद अंजलि अमिताभ जी के कंधे से लगकर सो चुकी थी।


लेकिन अगली सुबह जब अंजलि सोई हुई थी तभी रमेश जी की हालत बिगड़ने लगी थी। रमेश जी ने होश में आते ही अपनी बेटी अंजलि के बारे में पूछा। अगले ही पल अमिताभ जी अंजलि को अपनी गोद में लिए रमेश जी के सामने खड़े थे। रमेश जी के दिल को सुकून आया जब उन्होंने अंजलि को सही सलामत देखा। अमिताभ जी ने उनसे बातचीत की ताकि उनके कोई करीबी या फिर रिश्तेदार को उनके एक्सीडेंट की सूचना दी जा सके। लेकिन रमेश जी ने कहा कि वो एक अनाथ थे और अंजलि की माँ के सिवा उनका और कोई रिश्ता या रिश्तेदार नहीं था। अमिताभ जी को सुनकर थोड़ा दुःख हुआ लेकिन उन्होंने रमेश को आश्वासन देते हुए कहा कि आज से वो अकेले नहीं हैं और अमिताभ जी उनके दोस्त हैं। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। अचानक ही उनकी हालत बिगड़ने लगी और उन्होंने अमिताभ जी से हाथ जोड़ते हुए कहा मेरी बेटी का ध्यान रखना, उसे कभी अनाथ मत होने देना। मैं नहीं चाहता कि वो मेरी जैसी ज़िन्दगी जिए। अमिताभ जी ने कहा आप घबराएँ मत आप ठीक हो जायेंगे। लेकिन रमेश ने अपनी आखिरी साँस लेते हुए भी अमिताभ जी के हाथ जोड़े हुए थे और आँखों ही आँखों में अपनी बेटी को अनाथ आश्रम में नहीं डालने की विनती की और अंत में स्वर्ग सिधार गए। अमिताभ जी अंजलि के पास आये जो इस वक़्त बड़े सुकून से नैना जी की गोद में सो रही थी। उसे देख अमिताभ जी की आँखों से आँसू छलक पड़े थे और नैना जी ने अंजलि के सिर को सहलाते हुए मन ही मन कहा था भगवान तू कभी-कभी सच में निष्ठुर हो जाता है। रमेश जी का दाह-संस्कार करके अमिताभ जी अंजलि और नैना को साथ लेकर वापिस अपने शहर दिल्ली आ गए थे।


तभी घर का लैंडलाइन फ़ोन बज उठा जिससे अमिताभ जी अपनी सोच से बाहर आये। उन्होंने फ़ोन उठाया तो फ़ोन आयुष के पिता का था। उन्होंने बताया कि 2 दिन बाद आयुष और दिव्या की सगाई फिक्स हो गई है और उसके एक हफ्ते बाद उनकी शादी की डेट भी निकली है। अमिताभ जी ने उन्हें बधाई दी और कहा हम जरुर आयेंगे। फ़ोन रखकर उन्होंने कॉफ़ी ली और नैना जी के पास जा बैठे। नैना जी बिस्तर पर तकिये से सिर टिकाये कुछ सोच में तल्लीन थी। अमिताभ जी ने उन्हें कहा नैना जी अंजलि हमारी ही बेटी है और ये हम दोनों अच्छी तरह से जानते हैं कि उसका कोई भी नहीं है जो उसे हमसे छीन कर ले जा पायेगा। लेकिन हाँ एक दिन तो कोई न कोई उसे हमसे छीन कर ले ही जाएगा, पूछो कैसे? नैना जी घबराकर ये आप क्या कह रहे हैं? अमिताभ जी मुस्कुराकर अरे भाई, कल जिससे भी अंजलि की शादी होगी वो उसे हमसे दूर ले जायेगा, फिर क्या करेंगे हम?


अमिताभ जी को उदास देख कर नैना जी ने कहा अरे बेटी का घर तो बसाना ही होता है। ये रीत तो बड़े-बड़े राजा-महाराजा भी नहीं बदल पाए, तो फिर हम क्या चीज़ हैं? वैसे भी एक न एक दिन तो अंजलि भी शादी करके अपने घर जाना चाहेगी। दोनों कुछ उदास थे और कुछ हद तक खुश भी थे क्योंकि अंजलि ने ही उन्हें माँ-बाप होने का सुख दिया था। शादी के कुछ समय बाद ही नैना जी को डॉक्टर ने बताया था कि वो कभी माँ नहीं बन सकती थी। लेकिन कुछ समय बाद ही सौभाग्यवश अंजलि उनकी ज़िन्दगी में आ गयी थी और तब से अंजलि ही उन दोनों की दुनिया बन चुकी थी।


अगली सुबह अंजलि जैसे ही नाश्ते की टेबल पर आई। अमिताभ जी ने उसे आयुष और दिव्या की सगाई का बताया तो अंजलि ख़ुशी से उछल पड़ी। उसने आयुष को फ़ोन किया लेकिन आयुष ने उसका फ़ोन नहीं उठाया। जब आयुष ने उसका फ़ोन कई बार रिंग करने पर भी नहीं उठाया तो उसने नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गई। उधर मयंक जब सोकर उठा तो बहुत खुश था क्योंकि उसने एक सपना देखा था जिसमें अंजलि और मयंक दोनों किसी जंगल में खो गए थे और अंजलि उससे कह रही थी कि मुझे भूख लगी है और मुझे पिज़्ज़ा खाना है। मयंक उससे कह रहा था कि मैडम जी हम जंगल में हैं और आपकी ये ख्वाहिश यहाँ पूरी नहीं हो सकती। अंजलि बहुत गुस्सा होती है और कहती है मुझे पिज़्ज़ा चाहिए वरना मैं तुम्हें खा जाऊँगी। मयंक ने कहा अच्छा ऐसी बात है। मयंक ने अपना हाथ अंजलि की तरफ बढाते हुए कहा ये लो मुझे ही खा लो क्योंकि पिज़्ज़ा तो यहाँ नहीं मिलेगा। अंजलि ने गुस्से में उसका हाथ पकड़ कर काट लिया और मयंक चिल्लाकर नींद से उठ बैठा था। खुद को बिस्तर पर देख उसे समझ आया कि वो तो सपना देख रहा था। इस सपने पर वो खुद ही मुस्कुराने लगा और तभी अनुराधा जी उसकी मॉर्निंग कॉफ़ी लेकर वहाँ पहुँच गयी। मयंक को ऐसे मुस्कुराते देख उन्होंने कहा लगता है आपकी वो तुम से सपने में ही मुलाकात हो गयी है।


मयंक ने कहा मॉम गुड मॉर्निंग! गुड मॉर्निंग बेटा तुमने बताया नहीं सुबह-सुबह ये मुस्कराहट की कोई ख़ास वजह? मॉम आप भी ना कहते हुए मयंक ने कॉफ़ी उठाई और बालकनी में पहुँच गया। कॉफ़ी पीते हुए भी मुस्कराहट उसके होठों पर बनी हुई थी। अनुराधा जी ने उसके पास आकर कहा बेटा कल मैं नैना से अंजलि और तुम्हारी बात करने वाली हूँ। मयंक ने ये सुना तो उसके मुँह से कॉफ़ी निकल कर बाहर जा पड़ी। अनुराधा जी ने कहा क्या हुआ बेटा? मॉम आपको इतनी जल्दी क्या है मेरी शादी की अभी मेरा रिजल्ट आ जाए, फिर मैं पापा के बिज़नेस को समझ लूँ। उसके बाद आप शादी की बात करना तो अच्छा भी लगेगा। मॉम अभी मेरी ऐज ही क्या है? अनुराधा जी ने गुस्से में मयंक की तरफ देखा और कहा तुझे नहीं होगी जल्दी लेकिन मुझे है जल्दी। अब मैं तेरी एक नहीं सुनने वाली, समझ गया। मॉम...................मयंक ने बालकनी से नीचे देखते हुए कहा। क्या मॉम????अनुराधा जी ने चिढ़ते हुए कहा। मॉम वो नीचे अंजलि है क्या???? हाँ,....... वैसे तो तुम्हें हर जगह अंजलि दिखाई दे रही है, लेकिन शादी के नाम पर.......... अभी मेरी ऐज ही क्या है मॉम?

मयंक:- मॉम यार कभी तो सीरियस हुआ करो, मैं मजाक नहीं कर रहा वो अंजलि ही है, आप देखो तो सही।

अनुराधा जी:- तू पागल हो गया है बेटा, तेरी शादी जल्दी होनी चाहिए वरना कहीं पागलखाने न भेजना पड़े तुझे? हे भगवान मैं सबको क्या बताऊँगी कि मेरा इकलौता बेटा पागलखाने में है? नहीं ...........बेटा तू प्लीज शादी कर ले। अनुराधा जी बस बोलती जा रही थी।

मयंक:- (चिढ़कर) मॉम मैं खुद ही नीचे जाकर देख लेता हूँ। मयंक वहाँ से नीचे के लिए गया।


तब अनुराधा जी खुद से कह रही थी इसका तो दिमाग चल गया लग रहा है भला इतनी सुबह-सुबह अंजलि यहाँ क्यों आएगी? लेकिन जब उनकी नज़र नीचे खड़ी अंजलि पर पड़ी तो वो अपनी आँखें मसलने लगी थी। इसका मतलब मयंक सच कह रहा था। ये तो सच में अंजलि ही है नीचे। ओये होए अनुराधा तू तो साठ से पहले ही सठिया गयी है। कहती हुई अनुराधा जी भी नीचे चली आई।

मयंक:- गुड मॉर्निंग! अंजलि तुम सुबह-सुबह यहाँ, सब ठीक तो है न???

अंजलि:- मयंक की तरफ देखकर गुड मॉर्निंग। मयंक सॉरी तुम्हें डिस्टर्ब किया लेकिन मैं परेशान थी और तुम्हारी हेल्प चाहिए थी।

मयंक:- हाँ अंजलि बोलो क्या बात है, कैसी हेल्प चाहिए थी? तुम फ़ोन कर देती, मैं खुद तुम्हारे पास आ जाता। तुम बाहर क्यों खड़ी हो चलो घर के अंदर चलो। मयंक सब कुछ एक ही साँस में बोल गया था।

अंजलि:- नहीं मयंक मैं यहीं इंतजार कर रही हूँ। तुम जल्दी से तैयार होकर आ जाओ, फिर बात करते हैं। लेकिन अंजलि ..................मयंक की बात बीच में ही काटकर, अंजलि ने उसे इशारे से जाने को कहा।

मयंक:- ओके कहकर वापिस चला गया और अंजलि वहीं एक पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठकर उसका इंतजार करने लगी। तभी अनुराधा जी वहाँ आई और अंजलि का हाथ पकड़ कर उसे घर के अंदर ले जाने लगी। आंटी मेरी बात तो सुनें, मुझे देर हो रही है और मैं मॉम को बताकर भी नहीं आई हूँ। अगर आपने उन्हें बताया तो वो मुझ पर बहुत गुस्सा होंगी कि मैं बिना बताये वहाँ क्यों गयी थी?

अनुराधा जी:- अंजलि तुम परेशान लग रही हो, प्लीज घर चलो और हाँ तुम्हारे घर पर मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी, ओके?

अंजलि:- जी आंटी ठीक है। अंजलि आज पहली बार मयंक के घर आई थी। उसने देखा घर बहुत सुंदर है। अंजलि मन ही मन कहने लगी वाह मयंक तुम तो सच में प्रिंस हो। तभी अनुराधा जी चाय-नाश्ता लेकर आ गयी। आंटी मैंने नाश्ता कर लिया है आप प्लीज परेशान न हो, अंजलि सीढ़ियों की तरफ देखते हुए कहने लगी।

अनुराधा जी:- (मुस्कुराकर) जब तक तुम नाश्ता करोगी, तब तक मयंक नीचे आ जायेगा। अंजलि ये सुनकर थोड़ा झेंप गयी, और चाय का कप उठाते हुए कहने लगी वो आंटी जी कहीं जल्दी जाना था, बस इसलिए..................अनुराधा जी ने कहा अंजलि बेटा घर पर सब ठीक है ना?

अंजलि:- जी आंटी घर पर सब ठीक है। वो आप सन्डे को आएँगी ना हमारे घर??

अनुराधा जी:- हाँ बेटा, नैना ने बुलाया है तो जाना पड़ेगा वरना बहुत गुस्सा हो जाएगी। अंजलि ने सुना तो हँस पड़ी थी। अनुराधा जी ने कहा बेटा तुम हँसती हुई बहुत प्यारी लगती हो।

अंजलि:- थैंक यू आंटी। आप भी बहुत प्यारी हैं। तभी मयंक सीढ़ियों से उतरता हुआ नीचे आ गया। अंजलि ने देखा मयंक ने ब्लू शर्ट और वाइट जीन्स पहनी थी। उस पर ये ड्रेस कॉम्बिनेशन बहुत ज्यादा ही जँच रहा था। अंजलि मयंक से शायद कुछ कहने को हुई लेकिन उसे ख्याल आया कि मयंक की मॉम वहीं खड़ी हैं तो उसने खुद को कुछ भी कहने से रोंक लिया था।

मयंक:- ओके मॉम मैं चलता हूँ, हमें थोड़ा जरुरी काम है। आप अंजलि से फिर कभी बात कर लेना, वैसे भी सन्डे को तो आप अंजलि के घर ही जाएँगी तो वहीं मिलकर अच्छे से बात कर लेना।

अनुराधा जी:- हाँ बेटा ठीक है, हम सास-बहु.........................कहते-कहते अनुराधा जी रुक गई। उन्होंने देखा अंजलि उन्हें बड़े ध्यान से देख रही है। मयंक बेचारा मन ही मन कह रहा था मॉम आप खुद पर कण्ट्रोल क्यों नहीं कर सकती? अनुराधा जी ने अपनी गलती समझते हुए कहा आप दोनों जाओ बेटा, फिर मिलेंगे तो बात करेंगे। अंजलि बेटा अपना ख्याल रखना और हाँ परेशान मत होना मैं नैना को नहीं बताऊँगी कि तुम यहाँ आई थी।

अंजलि:- आप बहुत अच्छी हैं आंटी। थैंक यू सो मच। अपना ध्यान रखियेंगा। बाये आंटी कहकर अंजलि बाहर की तरफ चल दी।

मयंक भी जाने को हुआ तो अनुराधा जी ने कहा बेटा क्या तू आज प्रपोज करने वाला है जो इतना हीरो बनकर जा रहा है। मयंक ने कहा मॉम यार कभी तो कुछ ढंग की बात किया करो। अब मैं क्या अच्छे से तैयार होकर बाहर भी नहीं जा सकता? मैं जा रहा हूँ वो कुछ परेशान है, आपसे शाम को मिलता हूँ कहकर मयंक ने मॉम को गले लगाया और फिर बाहर पहुँचा जहाँ अंजलि बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी।

मयंक ने बाइक स्टार्ट की और अंजलि को बैठने का इशारा किया। अंजलि बाइक पर बैठती हुई कहती है मयंक आयुष के घर चलो। मयंक ने कहा कुछ हुआ है क्या अंजलि??? आई मीन आयुष ठीक तो है ना? अंजलि ने कहा पता नहीं लेकिन परसों उसकी सगाई है दिव्या से और उसने मुझे कॉल कर के ये बताया तक नहीं है। मयंक ने सुना तो कहने लगा कहीं तुम दोनों की कोई लड़ाई तो नहीं हुई? अंजलि ने कहा नहीं ऐसा तो कुछ नहीं हुआ। लेकिन जब से हम जयपुर से आये हैं वो मुझसे बात ही नहीं कर रहा। न तो मेरा फ़ोन उठाता है और न ही मेसेज का जवाब देता है। मयंक ने कहा कुछ बात तो जरुर होगी, वरना आयुष तुमसे बात न करे ऐसा कैसे हो सकता है?

अंजलि भी परेशान होकर कहती है, वही तो पता करना है। थोड़ी देर बाद ही दोनों आयुष के घर के बाहर थे। मयंक ने कहा अंजलि तुम जाकर देखो, मैं यहीं रुकता हूँ। तुम भी चलो न साथ में, अंजलि ने कहा तो मयंक ने उसे कहा मेरा जाना ठीक नहीं होगा। अंजलि बात को समझते हुए कहती है ओके तुम यहीं रुको, मैं जल्दी वापिस आऊँगी। अंजलि अंदर चली गयी और मयंक बाइक लेकर थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया। अंजलि अंदर पहुँची तो सबसे पहले आयुष की माँ दिखाई दी। अंजलि को देखकर उन्होंने खुश होते हुए उसे गले से लगा लिया। अंजलि ने सबके हाल-चाल पूछे और आयुष और दिव्या के लिए बधाई देते हुए कहा आंटी आयुष है कहाँ? बेटा अपने कमरे में ही होगा, जाकर मिल लो, आयुष की माँ ने कहा। अंजलि आयुष के कमरे की तरफ बढ़ गयी और उसने जैसे ही उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया अंदर से आवाज आई आ जाओ। आयुष एक एल्बम लिए बैठा था, उसने आने वाले की तरफ देखा तक नहीं।


अंजलि उसे ऐसे आराम से बैठे देखकर बहुत गुस्सा हुई और उसने इधर-उधर देखते हुए कहा तुम यहाँ आराम से बैठे हो। अंजलि की आवाज सुनकर आयुष जैसे ही पलटा, अंजलि ने मेज पर रखी किताब उठाकर आयुष के सिर पर दे मारी। आह.....करते हुए आयुष ने अपना सिर पकड़ लिया। लेकिन गुस्सैल अंजलि ने तब तक एक मुक्का उसके पेट में जमा दिया। आयुष वहीं बेड पर गिरते हुए कहने लगा अरे प्रिंसेस ये क्या है? रुको तो सही इतना गुस्सा क्यों हो?

अंजलि:- ने आव देखा ना ताव और दोबारा किताब उसके कमर पर बजा दी। मेरा फ़ोन क्यों नहीं उठाया? मेरे मेसेज का जवाब देने का टाइम नहीं है। समझते क्या हो अपने आप को, और परसों तुम्हारी सगाई है और मुझे बताया तक नहीं। अंजलि बोलती जा रही थी और आयुष लगातार पिट रहा था। गुस्से में अंजलि ने देखा ही नहीं कि आयुष के मम्मी-पापा दरवाजे पर खड़े ये सब देख रहे थे। आयुष ने कहा मम्मी यार बचाओ मुझे वरना ये तो मुझे मार ही डालेगी। ये सुनते ही अंजलि रुक गयी और आयुष भागकर अपने मम्मी-पापा के पास खड़ा हो गया। अंजलि अपनी हरकत पर थोड़ा शर्मिंदा होते हुए कहती है सॉरी अंकल, सॉरी आंटी ..................लेकिन इसने मुझे बहुत परेशान किया और तभी मुझे गुस्सा आ गया।


अंजलि मासूम सी शक्ल बनाकर चुपचाप वहीं खड़ी हो गयी और आयुष अब खुद को बड़ा सेफ फील कर रहा था। लेकिन तभी आयुष की मम्मी ने कहा बेटा सब सुना मैंने तू अच्छे से खबर ले इसकी, हम तो जा रहे हैं। आयुष ने सुना तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गयी और अंजलि के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ चुकी थी। जैसे ही अंकल आंटी कमरे से बाहर गए, अंजलि ने वापिस आयुष को मारना शुरू कर दिया था। आयुष सॉरी यार , प्लीज सॉरी............रहम करो प्रिंसेस परसों सगाई है मेरी, कहीं मेरी शक्ल बिगड़ गयी तो दिव्या मुझसे सगाई भी नहीं करेगी। तुम्हारे साथ तो ऐसा ही होना चाहिए, अब क्यों बता रहे हो कि सगाई है, मैं नहीं आने वाली अब, समझे कर लेना सगाई। अंजलि गुस्से में खड़ी आयुष को घूर रही थी और फिर दरवाजे की तरफ चल पड़ी।

आयुष ने अंजलि को आवाज दी लेकिन वो नहीं रुकी तो आयुष ने उसका हाथ पकड़ लिया। अंजलि ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन आयुष उसके सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और मासूम सी शक्ल बनाते हुए कहने लगा मैं आज तुम्हें फ़ोन करने वाला था। क्यों,,,आज क्यों करने वाले थे? अंजलि ने गुस्से के अंदाज़ में ही पूछा। यही बताने के लिए की परसों मेरी सगाई है और तुम शॉपिंग करवा दो मुझे। इस बार आयुष हँस दिया तो अंजलि ने कहा जाकर अपनी दिव्या के साथ शॉपिंग कर लो। फिर सगाई कर लेना और फिर शादी भी। मैं तो अब तुम से बात भी नहीं करने वाली। आयुष ने कहा अच्छा बंदर को कहाँ छोड़ कर आई हो? उसे पता है तुम मेरे पास आई हो? बेचारा जल-भुन रहा होगा। अंजलि ने कहा वो घर के बाहर ही खड़ा है। आर यू मैड, आयुष ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा? उस बेचारे को वहाँ खड़ा करके मुझे पीटने आई थी। हद है यार, तुम रुको मैं जाकर उसे बुलाकर लाता हूँ। जैसे ही आयुष बाहर जाने को हुआ, अंजलि ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया। तुम मयंक की वजह से ही मुझसे दूरियाँ बना रहे हो ना, अंजलि ने आयुष की आँखों में देखते हुए कहा? ये सुनकर आयुष खामोश खड़ा हो गया। अंजलि ने कहा कुछ पूछा है तुमसे मैंने, उसका जवाब दो। आयुष ने कहा ऐसी कोई बात नहीं वो बस मुझे टाइम ही नहीं मिल पाया।


झूठ...............अंजलि ने तुरंत ही कहा। मेरी आँखों में देखकर कहो कि तुम्हारे पास अपनी दोस्त के लिए टाइम नहीं था। जिससे तुम अपनी हर छोटी-छोटी बात शेयर किया करते थे, आज उसको किसी और से पता लगा कि परसों तुम्हारी सगाई है।

तुम गलत समझ रही हो अंजलि, ऐसा कुछ नहीं है....आयुष ने फिर एक बार अपनी बात कहने की कोशिश की। अंजलि कुछ देर तक खामोश खड़ी रही और फिर कहने लगी तो तुम अब मुझसे झूठ भी बोलने लगे हो। लगता है तुम्हें अब इस दोस्ती की जरुरत नहीं रही शायद। ठीक है मैं चलती हूँ, और हाँ सोचना भी मत कि मैं तुम्हारी सगाई या फिर शादी में शामिल भी होने वाली हूँ। आयुष इस बात से कमज़ोर पड़ गया और उसने कहा रुको अंजलि.........लेकिन अंजलि कहाँ रुकने वाली थी। वो गुस्से में बाहर जा रही थी।

आयुष की मॉम ने उसे रोका और कहा बेटा अमृता की सारी रस्में तुम्हें ही करनी है तो तुम टाइम से आ जाना। अंजलि के कदम वहीं थम से गए थे और एक बार फिर वो अपने अतीत की यादों में जा पहुँची थी। यार अमृता आयुष की शादी में हम दोनों साड़ी पहनेंगे, और वो भी बिलकुल सेम कलर की। अमृता की हँसी अंजलि के कानों में गूँज रही थी। एक पल के लिए उसके होठों पर मुस्कान आई थी लेकिन अगले ही पल उसे एहसास हो गया कि ये सपना तो सपना ही रह गया। आयुष की शादी में ना तो अमृता होगी और ना ही अंजलि.....................अंजलि ने पलट कर कहा आंटी जी मुझे माफ़ करना लेकिन मैं शायद इस शादी में नहीं आ पाऊँगी। मॉम-डैड आयेंगे, आप प्लीज मुझे माफ़ करना। आँसुओ से भरी आँखों के साथ अंजलि घर के बाहर जा पहुँची थी।

आयुष वहीं खड़ा उसे दुखी और जाते हुए देखता रहा। अंजलि की आँखों में आये आँसुओं की वजह वो जानता था लेकिन वो ये भी जानता था कि उसके आँसू पोछने वाला अब उसकी ज़िन्दगी में आ चुका है और शायद इसीलिए खुद चुपचाप वहीं खड़ा रहा। अंजलि के जाने के बाद आयुष की माँ ने आयुष को बहुत डांट लगायी और कहा उसके घर जाकर उसे मना और तूने जो भी गलती की है उसकी माफ़ी माँग, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। आयुष ने कहा ठीक है माँ शाम को जाकर मिल लूँगा, आप परेशान मत हो।

क्रमशः



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