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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

वो तुम हो (पार्ट-24)

वो तुम हो (पार्ट-24)

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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि और आयुष की लड़ाई ख़तम हो चुकी है। दूसरी तरफ मयंक भी अंजलि और आयुष की दोस्ती को समझने की पूरी कोशिश कर रहा है। अंजलि आयुष को उसकी सगाई के लिए शॉपिंग करवाती है। मयंक और अंजलि फ़ोन पर बात करते हैं जिसमें वो आयुष की सगाई में कौन-कौन से दोस्त आने वाले हैं, ये पूछती है। मयंक उसे बताता है कि शुभम को छोड़कर बाकी सभी दोस्त आयुष की सगाई में आयेंगे। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-

अंजलि कपड़ों की तह बनाकर उन्हें अलमारी में रखते हुए ये सोच रही थी कि मॉम-डैड के बाद आयुष और मयंक ही अंजलि की ज़िन्दगी में बहुत ज्यादा मायने रखते हैं। वो खुश थी कि आयुष और मयंक एक-दूसरे को समझ रहे हैं। तभी नैना जी उसके पास आई और उससे कहने लगी बेटा अब जल्दी से सो जाओ ताकि नींद पूरी हो जाये और तुम फ्रेश फील करो। अंजलि ने कहा ओके मॉम, गुड नाईट! जैसे ही नैना जी अंजलि के कमरे की लाइट बंद कर जाने लगी, तभी अंजलि ने कहा मॉम मैं कल के लिए बहुत एक्साइटेड हूँ। सबसे ज्यादा ये सोचकर कि कल मैं क्या पहनने वाली हूँ। नैना जी मुस्कुराई और कहने लगी बेटा मक्खन लगाने की जरुरत नहीं है क्योंकि मैं तुम्हें कल ही बताऊंगी कि तुम सगाई में क्या पहनने वाली हो। गुड नाईट, नैना जी ने कहा। अंजलि ने दुखी चेहरा बनाते हुए कहा- मॉम प्लीज, इतना सस्पेंस क्यों है? लेकिन तब तक नैना जी कमरे से बाहर जा चुकी थी।


अंजलि ने खुद से ही कहा यार ऐसा भी कहीं होता है कि किसी को कपड़ों के लिए सस्पेंस में रखा जाए। अंजलि खुद से बातें कर रही थी तभी उसके फ़ोन पर एक मेसेज आया। अंजलि ने फ़ोन उठाया और मेसेज पढ़कर उसके क्यूट से फेस पर एक प्यारी सी स्माइल आ गयी थी। मेसेज मयंक का था जिसमें लिखा था:-

तेरे इश्क का असर कुछ इस कदर हुआ है,

आईने में भी नज़र आता मुझे चेहरा तेरा हैं।

जिसकी साँसों की खुशबू मेरी साँसों में गुम हो,

करता हूँ जिसकी इबादत सुनो वो तुम हो।

अंजलि ने मेसेज पढ़ा और उसके रिप्लाई में लिखा:-

रूह में जो उतरा मेरी वो एहसास तुम हो,

जन्मों से है शायद अधूरी वो तलाश तुम हो,

मेरे लिए सबसे अजीज़ बेहद ख़ास तुम हो,

रूह को कर दे कायल हर वो अंदाज़ तुम हो।

मयंक ने अंजलि का मेसेज पढ़ा और फिर से टाइप किया टक्कर गजब की है......अंजलि ने पढ़ा तो लिखा किसकी टक्कर हो गयी?? मयंक ने रिप्लाई किया हम दोनों शायरों की। इस बार अंजलि ने पढ़ा तो हँस पड़ी थी। उसने लिखा मैं तो शायर नहीं हूँ। मयंक ने कहा अच्छा सब जानता हूँ मैं। बस कभी-कभी सोचने लग जाता हूँ कि झाँसी की रानी और शायरी का क्या मेल है? अंजलि मुस्कुराई और कहने लगी ओये बंदर चुपचाप सो जाओ, ज्यादा दिमाग ना लगाओ। मयंक ने पढ़ा और लिखना शुरू किया ओके मेरी नकचढ़ी बिल्ली गुड नाईट! अंजलि ने पढ़ा तो टेढ़े-मेढे मुँह वाले इमोजी भेज दिए।


दूसरी तरफ आयुष फ़ोन पर दिव्या से बात कर रहा था। उसने दिव्या को बताया कैसे अंजलि ने उस पर गुस्सा किया। फिर कैसे आयुष ने उसे मनाया और उसके बाद अंजलि ने कैसे और कितनी देर में उसकी शॉपिंग करवाई। दिव्या ख़ामोशी से सब कुछ सुन रही थी। काफी देर बाद आयुष ने कहा दिव्या क्या तुम मेरे और अंजलि के रिश्ते को समझती हो। मेरा मतलब तुम कभी हमारी दोस्ती को गलत नज़र से तो नहीं देखती हो? दिव्या ने कहा नहीं आयुष मैं ऐसा कुछ नहीं सोचती। अंजलि ने मुझे जयपुर वाले ट्रिप पर ही इस बारे में समझाया था। लेकिन आयुष कभी-कभी जाने क्यों सोचने लगती हूँ कि तुम दोनों इतने अच्छे दोस्त रहे हो। एक-दूसरे को इतने अच्छे से जानते और समझते हो। फिर तुम दोनों को एक-दूसरे से प्यार कैसे नहीं हुआ? आयुष खामोश था और दिव्या आगे बोलती जा रही थी। उसे लगा आयुष कुछ जवाब क्यों नहीं दे रहा? आयुष तुम सुन रहे हो दिव्या ने बड़े ही आराम से कहा? दूसरी तरफ दिव्या के सवाल पर आयुष अपने अतीत के बारे में सोचने लगा था। दिव्या ने कहा आयुष तुम सुन रहे हो ना, उसकी आवाज सुनकर आयुष अपनी सोच से बाहर आया।


आयुष ने कहा दिव्या तुम्हें एक बात बताता हूँ लेकिन तुम उसका कोई गलत मतलब मत निकलना प्लीज क्योंकि सच ये है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ। दिव्या ने कहा आयुष तुम ठीक हो ना? आयुष ने आगे जो कहा उसे सुनकर एक पल के लिए दिव्या खामोश हो गयी थी। कुछ साल पहले मुझे लगा था कि मुझे अंजलि से प्यार हो गया है। मैं उससे मिलने और उससे बातें करने के बहाने ढूँढने लगा था। और एक दिन तो मैंने उसे प्रपोज करने की ठान ली थी। इस वक़्त दिव्या का हाल किसी हारे हुए खिलाड़ी जैसा था। उसने बुझे मन से कहा फिर क्या हुआ था? क्या अंजलि ने तुम्हें हाँ नहीं कहा था, क्या उसने तुम्हारे प्रपोजल को ठुकरा दिया था, बोलो ना आयुष? उसने मुझे एक झन्नाटेदार थप्पड़ रख दिया था, आयुष ने दबी-सी आवाज में कहा।


दिव्या ये सुनकर और भी हैरान हुई और कहने लगी इसका मतलब वो तुमसे प्यार नहीं करती थी, बल्कि सिर्फ तुम ही उसे चाहते थे। आयुष ने कहा नहीं दिव्या प्यार तो मैं भी उससे नहीं करता था लेकिन उसे पसंद करने लगा था। जब अंजलि ने मुझे थप्पड़ मारा और मेरा प्यार ठुकरा दिया तो मुझे बहुत बुरा लगा था। मैं अंजलि को उस वक़्त गुस्से में घूर रहा था और उस वक़्त उसने जो कहा था, उसके वो शब्द मुझे भीतर तक झकझोड़ गए थे।


दिव्या ने कहा ऐसा क्या कहा था अंजलि ने? उसने कहा था जाओ और जाकर एसिड ले आओ क्योंकि प्यार नहीं करती मैं तुमसे, तुम्हें सिर्फ और सिर्फ अपना अच्छा दोस्त मानती हूँ। उस लड़के की तरह तुम भी लाकर एसिड डाल दो मेरे चेहरे पर, क्योंकि इसी चेहरे से तो प्यार हुआ है तुम्हें? उस दिन अमृता इस प्यार का शिकार हुई थी और आज शायद मेरी बारी है। अमृता का नाम सुनते ही मैं कांपने लगा था, मुझे लगा कि अगर अंजलि ने मुझे मना कर दिया तो मुझे गुस्सा नहीं आना चाहिए था। उस समय अमृता और अंजलि बस दो ही चेहरे मेरे ज़ेहन में आ-जा रहे थे। मैं बुत बनकर वहीं जमीन पर बैठ गया था और अंजलि मेरे सामने खड़ी लगातार बस रोये जा रही थी। मुझमें हिम्मत नहीं थी कि उसे चुप करवा सकूँ। मुझे ऐसा लग रहा था कि प्यार किसी को दर्द नहीं दे सकता और मेरा प्यार तो बिलकुल भी नहीं। मैं डरा हुआ बैठा था और तब अंजलि मेरे बगल में आकर बैठ गयी थी। मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि नज़र उठाकर उसकी तरफ देख सकूँ।


आयुष ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा दिव्या उस दिन अंजलि ने जो कहा उसे मैं कभी भूल नहीं पाया। उसने मुझसे कहा था कि तुम मेरे चेहरे से प्यार करते हो, मेरी खूबसूरती से प्यार करते हो। लेकिन मुझे ऐसे प्यार की जरूरत नहीं है। इस बात पर मैंने उसकी तरफ देखकर कहा नहीं अंजलि ऐसा नहीं है मैं तो तुमसे प्यार करता हूँ। अंजलि ने कहा क्या तुम जानते हो आयुष कि प्यार क्या होता है? मैंने कहा जब किसी के बिना जीना मुश्किल हो जाए तो इसका मतलब हमें उससे प्यार है। मेरी इस बात पर रोती हुई अंजलि जोर-जोर से हँसने लगी थी। मैंने कहा अच्छा तुम्हें हँसी क्यों आ रही है? ऐसा करो तुम ही बताओ कि अगर मेरा प्यार, तुम्हारी नज़र में प्यार नहीं है तो फिर क्या है? अंजलि ने मुझसे कहा – इसे आकर्षण कहते हैं मेरे दोस्त। तुम मुझे पसंद करते हो लेकिन प्यार नहीं करते। मैं सुनकर बड़ा हैरान हुआ और मैंने कहा लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?


उसने मुझसे कहा अभी बताती हूँ। अंजलि ने इधर-उधर देखा और मुझे कहा वो देखो सामने कितना सुंदर गुलाब का फूल है। क्या तुम उसे मेरे लिए ला सकते हो? मैंने कहा हाँ क्यों नहीं और मैं वो गुलाब का फूल लेने उस तरफ चल पड़ा था। अंजलि भी मेरे साथ-साथ चलने लगी थी। मैं उस गुलाब के फूल के बिलकुल नज़दीक था लेकिन जैसे ही उसे तोड़ने के लिए मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया, अंजलि ने मेरा हाथ पकड़ लिया। उसने कहा मैं फूलों से प्यार करती हूँ इसलिए उन्हें तोड़ नहीं सकती। अगर तुम मुझसे प्यार करते तो मेरे मना करने पर मुझे घूरते नहीं बल्कि मेरे फैसले को समझते और मुझे भी।


आयुष की बात सुनकर दिव्या ने कहा फिर क्या हुआ था? कुछ नहीं उसके बाद हम करीब एक महीने तक एक-दूसरे से मिले ही नहीं। अगर गलती से कभी सामने पड़ जाते तो एक-दूसरे को इगनोर करके गुज़र जाया करते थे। लेकिन क्योंकि हमारी फैमिली एक-दूसरे को जानती थी तो ये बात छुपना आसान नहीं था। एक दिन अंजलि के पापा ने मुझसे पूछा बेटा क्या आपका और अंजलि का कोई झगड़ा हुआ है? मैं पहले तो खामोश रहा लेकिन उनके बार-बार पूछने पर मैंने उन्हें सब कुछ सच-सच बता दिया। अंजलि के पापा ने मुझे बहुत ध्यान से सुना और कहा बेटा अंजलि ने आप से बिलकुल सच कहा है। आपको अंजलि से प्यार नहीं हुआ है। उनका कहना बिलकुल सही था क्योंकि अंजलि के बात नहीं करने पर मैंने उससे कोई माफ़ी नहीं माँगी थी, उससे मिला भी नहीं। बल्कि अपनी ही दुनिया और अपने दोस्तों में मस्त रहता था।


अंजलि के पापा ने उस दिन कहा तुमने अपनी दोस्त को जन्मदिन भी विश नहीं किया। मैंने सुना तो बड़ा अजीब लगा क्योंकि जब से मैं अंजलि को जानता था ये पहली बार था कि मैं उसका बर्थडे भूल गया था। मैंने कहा अंकल क्या मैं अंजलि से बात कर सकता हूँ? अंजलि के पापा ने मुझे इज़ाज़त दे दी और मैं अंजलि से बात करने उसके पास गया। मैंने उसे जैसे ही हेलो कहा उसने अपनी मॉम से कहा इसे किसने बुलाया है यहाँ, इसे कहो चला जाए यहाँ से। मुझे सुनकर बुरा लगा लेकिन क्या करता आखिर गलती भी तो मेरी ही थी। मैंने उसे जैसे ही कहा हैप्पी बर्थडे अंजलि, उसने एक बार फिर एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ दिया और कहने लगी मेरा बर्थडे कल था। मैंने कहा आई एम् सॉरी प्रिंसेस, आई एम् सॉरी फॉर माय आल मिस्टेक्स! बहुत दिल दुखाया है तुम्हारा, मुझे माफ़ कर दो प्लीज। मैं हमेशा के लिए तुम्हारा दोस्त बनना चाहता हूँ। मैं तुम्हें सबसे अच्छा फ्रेंड बनकर दिखाऊंगा, प्लीज माफ़ कर दो। उस पल अंजलि ने मुझसे कोई बात नहीं की, लेकिन उसने मुझे हमारे बचपन का एक फोटो लाकर दिखाया जिसमें मैं, अंजलि और मेरी बहन अमृता थे। उस फोटो में हम सब 10 – 12 साल के होंगे और उस फोटो के ऊपर लिखा था बेस्ट फ्रेंड्स फॉरएवर! उस फोटो पर कभी मैंने ही लिखा था ये, जिसे अंजलि ने बहुत संभाल कर रखा हुआ था। मेरी आँखों से आँसू बह चले थे। अंजलि ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा फ्रेंड्स???? मैंने अपने आँसू पोंछे और मुस्कुराते हुए कहा बेस्ट फ्रेंड्स फॉरएवर !

एक तरफ आयुष अपनी बात बताते हुए भावुक हो गया था। वहीं दूसरी तरफ दिव्या ये सब सुनकर रो पड़ी थी। उसने कहा तुम दोनों की दोस्ती सच में बेमिसाल है। मुझे तुम्हारी दोस्ती से कोई शिकायत नहीं है। ऐसे दोस्त खुशकिस्मत लोगों के होते हैं। वैसे भी अंजलि न होती तो शायद हम दोनों कभी एक-दूसरे से अपने दिल की बात नहीं कह पाते। कल हमारी सगाई है आयुष, और इस सबका क्रेडिट अंजलि को ही जाता है। शी इज सच अ स्वीटहार्ट! आयुष ने सुना तो कहा हम्म...कुछ बात तो है उसमें सबको इम्प्रेस कर लेती है। दोनों ने गुड नाईट कहकर अपने फ़ोन रख दिए और कल के सुनहरे सपनों में खो गए थे।


अगली शाम आयुष बार-बार अंजलि का फ़ोन मिला रहा था और अंजलि बार-बार उसका फ़ोन काट देती। परेशान होकर आयुष ने मयंक को फ़ोन किया। मयंक ने फ़ोन उठाकर कहा हाँ बोलो आयुष। अंजलि कहाँ है वो मेरा फ़ोन क्यों काट रही है। मयंक ने कहा अंजलि दिव्या के साथ है, तुम्हें शायद पता नहीं। आयुष ने सुना तो उसे थोड़ा अजीब लगा कि वो दिव्या के पास क्यों है, और मेरा फ़ोन क्यों काट रही है? मयंक ने कहा घबराओ मत तुम्हारे लिए कुछ सरप्राइज है। तुम बस अच्छे से तैयार होकर पहुँचो वेन्यू पर, हम सब भी बस पहुँचने ही वाले हैं। आयुष ने कहा ठीक है। उसने मयंक को बाय कहकर फ़ोन काट दिया और अब वो दिव्या का फ़ोन मिलाने लगा। चूंकि दिव्या अंजलि के साथ ही बिजी थी तो वो भी आयुष का फ़ोन नहीं उठा पायी थी। अब बेचारा आयुष अपनी सगाई वाले दिन भी मुँह फुलाकर बैठ गया था क्योंकि उसकी दोस्त और उसकी होने वाली वाइफ कोई भी उसका फ़ोन नहीं उठा रहे थे।

आयुष वेन्यू पर बड़ी ही बेसब्री से दिव्या का इंतजार कर रहा था। मयंक, राघव, नितिन, रागिनी, रिया और नाज़िया सभी एक साथ आकर आयुष से मिले। उन्हें देखकर आयुष थोड़ी देर के लिए अपनी नाराजगी भूल गया था। सभी दोस्त मिलकर आयुष के साथ सेल्फी और फोटोज लेने में लगे थे। तभी एक अनाउंसमेंट हुई और सब उधर देखने लगे थे। डांस फ्लोर पर अंजलि आ चुकी थी। अंजलि ने आज साड़ी पहनी थी। रेड एंड ब्लैक कलर के कॉम्बिनेशन की इस खूबसूरत सी साड़ी में अंजलि आज बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसे देखते ही रागिनी और रिया ने एक साथ ही कहा वाओ ये कितनी प्यारी लग रही है! मयंक अंजलि को साड़ी में देख बस देखता ही रह गया था। उसे तो अंजलि हर ड्रेस में खूबसूरत लगती थी। लेकिन आज उसकी खूबसूरती मयंक की आँखों को भी चकाचौंध कर गयी थी। उसने आयुष के कंधे पर अपना हाथ टिकाते हुए कहा यार आयुष ये अंजलि ही है ना, उसने साड़ी पहनी है। कहीं मैं ख्वाब में तो नहीं हूँ। आयुष ने भी एक जोरदार चिकोटी उसके हाथ पर भरते हुए कहा कितनी सुंदर हैं मेरी प्रिंसेस। मयंक ने अपना हाथ सहलाते हुए कहा वो मेरी वाली है, तुम अपनी वाली के बारे में सोचो! उसकी इस बात पर दोनों साथ में ही हँस पड़े थे।

अंजलि स्टेज पर माइक थामे खड़ी थी लेकिन हमारी झाँसी की रानी आज बहुत नर्वस थी। ये साड़ी पहनाने का आईडिया नैना जी का था। उन्होंने जान-बूझकर अंजलि को नहीं बताया था कि कल वो उसे साड़ी पहनाने वाली हैं। अंजलि को जब पता लगा तो उसने बहुत ना-नुकर की लेकिन नैना जी के सामने बेचारी अंजलि की एक भी नहीं चली। आखिरकार उसे वो साड़ी पहननी पड़ी थी। लेकिन हमेशा जीन्स-टीशर्ट में घूमने वाली अंजलि साड़ी पहन कर बहुत घबराई हुई थी। अंजलि ने एक नज़र नैना जी को देखा जो अनुराधा जी के साथ खड़ी बातें करने में व्यस्त थी। अनुराधा जी ने ब्यूटीफुल का साइन बनाते हुए दूर से अंजलि की तारीफ की तो वो मुस्कुरा दी थी। अंजलि ने आखिरकार बोलना शुरू किया और कहा ब्यूटीफुल लेडीज एंड आल हैंड्सम जेंटलमैन जैसा की आप सभी जानते हैं कि आज मेरे बेस्ट फ्रेंड की सगाई है तो इस फंक्शन को थोड़ा और जानदार बनाने के लिए एक छोटी सी कोशिश की है। उम्मीद करती हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।

अंजलि ने आयुष की तरफ देखा और उसे अपने पास बुलाया। आयुष को कुछ समझ नहीं आया और वो चुपचाप आकर अंजलि के सामने खड़ा हो गया। सभी लोग अंजलि और आयुष को ही देख रहे थे। अंजलि ने आयुष को अपनी आँखें बंद करने को कहा और उसके आँखें बंद करते ही वो दिव्या को वहाँ लेकर आ गयी थी। लाइट्स को हल्का मद्धम किया गया और फिर एक प्यारा सा सॉंग प्ले हुआ और दिव्या उस पर परफॉर्म करने लगी......

कहते हैं खुदा ने इस जहां में सभी के लिए

किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए

तेरा मिलना है उस रब का इशारा

मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए

कहते हैं खुदा ने इस जहां में सभी के लिए

किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए

तेरा मिलना है उस रब का इशारा

मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए

कुछ तो है तुझसे राबता

कुछ तो है तुझसे राबता

कैसे हम जानें, हमें क्या पता

कुछ तो है तुझसे राबता

तू हमसफ़र है, फिर क्या फिकर है

जीने की वजह यही है, मरना इसी के लिए

कहते हैं खुदा ने इस जहां में सभी के लिए

किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए

मेहरबानी जाते-जाते मुझपे कर गया

गुज़रता सा लम्हां एक दामन भर गया

तेरे नज़ारा मिला,

रोशन सितारा मिला

तकदीर की कश्तियों को

किनारा मिला

सदियों से तरसे हैं, जैसी ज़िन्दगी के लिए

तेरी सोहबत में दुआएं हैं उसी के लिए

तेरा मिलना है उस रब का इशारा

मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए

कहते हैं खुदा ने इस जहां में सभी के लिए

किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए

तेरा मिलना है उस रब का इशारा

मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए

कुछ तो है तुझसे राबता

कुछ तो है तुझसे राबता

कैसे हम जानें, हमें क्या पता

कुछ तो है तुझसे राबता

तू हमसफ़र है, फिर क्या फिकर है

जीने की वजह यही है, मरना इसी के लिए

कहते हैं खुदा ने इस जहां में सभी के लिए

किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए.........................

दिव्या ने इस गाने पर एक बहुत ही खूबसूरत परफॉरमेंस दिया और आयुष बस मुस्कुराता हुआ उसे देखता ही रहा। आज दिव्या जो आयुष का प्यार है, जिसे कभी वो खोने वाला था, वो आज उसके सामने है और सारी दुनिया के सामने आज वो एक बंधन में बंधने वाले हैं, बस यही सब आयुष के दिमाग में चल रहा था। जैसे ही गाना ख़त्म हुआ, आयुष ने दिव्या का हाथ थामा और उसे गले से लगा लिया। सभी उन्हें ऐसे साथ देखकर बहुत खुश थे। आयुष और दिव्या अब स्टेज पर पहुँचे और उन्होंने एक-दूसरे को अँगूठी पहनाई। सभी उनके लिए तालियाँ बजा रहे थे। अंजलि एक साइड खड़ी थी क्योंकि बेचारी साड़ी में ज्यादा हिल-डुल ही नहीं पा रही थी।


रागिनी उसके पास आई और उसकी तारीफें करते हुए कहने लगी यार तू बहुत सुंदर लग रही है, किसी की नज़र ना लगे तुझे। तभी रिया बोल पड़ी, बेटा नज़र तो इसे जरूर लगेगी। रागिनी ने कहा क्यों? रिया ने उसे कहा वो देखो इसका आशिक इसे ही कब से आँखें फाड़े देख रहा है। अंजलि ने सुना तो शर्म से उसके गाल लाल हो गये थे। उसे ऐसे शरमाते देखा नाज़िया ने भी उसे छेड़ना शुरू कर दिया। उसने कहा यार ये झाँसी की रानी शर्माने कब से लगी, हाय मैं मर जावां। अंजलि ने कहा अब बस भी करो यार ये सब मॉम ने किया है, मुझे नहीं पसंद ये साड़ी पहनना। ऐसा लग रहा है किसी ने मुझे बांध रखा है, ऊपर से ये हील वाले सैंडल, तौबा है कैसे पहनती है लड़कियां इतनी हील??? उसकी बातें सुनकर सभी हँसने लगी थी, उन्हें ऐसे हँसते देख खुद अंजलि भी हँस पड़ी थी। सब कुछ ठीक था लेकिन अंजलि बस ये सोचने में लगी थी कि ये मयंक क्यों अब तक उसकी तारीफ करने उसके पास नहीं पहुँचा? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं उसे साड़ी में अच्छी ही नहीं लग रही हूँ?


अंजलि अभी ये सोच ही रही थी कि तभी राघव वहाँ आया और उसने अंजलि से कहा कि मयंक उससे कुछ बात करने के लिए उसे बुला रहा है। अंजलि ने कहा ठीक है आती हूँ। टाइम हो चुका था और रागिनी और रिया को उनके घर पहुँचने में टाइम लग जायेगा। इसलिए वो दोनों सब को बाय कहकर चली गयी थी। राघव और नितिन उन्हें बस स्टैंड तक छोड़ने उनके साथ चले गए थे। उन्होंने नाज़िया को भी साथ ले लिया था ताकि वो भी टाइम से घर पहुँच जाये। अंजलि धीमे-धीमे क़दमों से उस तरफ चल पड़ी थी जहाँ मयंक उसका इंतजार कर रहा था। अंजलि ने देखा वहाँ कोई नहीं था, उसने मयंक को आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब ना पाकर वो वापिस जाने लगी। तभी किसी ने पीछे से उसका हाथ पकड़ उसे रोक लिया। अंजलि ने पलट कर देखा तो मयंक को देख मुस्कुरा दी। मयंक ने उसके करीब आते हुए कहा आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। जी कर रहा है आज बस तुम्हें देखता ही रहूँ। अंजलि ने थोड़ा पीछे हटते हुए कहा तुम्हें तो कुछ जरूरी बात करनी थी ना?

मयंक ने कहा हाँ बात तो करनी थी। अंजलि ने कहा तो कहो। मयंक ने कहा हम्म........पीछे मुड़ जाओ। अंजलि ने कहा क्या मतलब? मयंक ने अंजलि के करीब आते हुए उसके कान में कहा तुम्हारे ब्लाउज की डोरी खुल गयी है। अंजलि ने ये सुना तो वापिस मयंक की तरफ घूम कर खड़ी हो गयी। इस वक़्त अंजलि बस जमीन को ताक रही थी। मयंक ने कहा अंजलि अगर तुम्हें ठीक लगे तो मैं........................अंजलि एक बार फिर से बिना कुछ कहे मयंक की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी थी। मयंक ने अंजलि के बालों को एक साइड किया और कहा वैसे तुम्हारे बाल इतने लम्बे हैं कि जल्दी से किसी को ये नज़र नहीं आने वाला था कि तुम्हारी डोरी खुली हुई है। मैंने भी तब देखा जब तुम रागिनी और रिया के साथ खड़ी बातें कर रही थी और तुमने अपने बाल आगे कर लिए थे। मयंक की ऊँगलियों की छुअन से अंजलि जैसे जम-सी गयी थी। मयंक ने काँपते हाथों से अंजलि के ब्लाउज की डोरी को बांधा। इस बीच वो बातें करता रहा जैसे ये डोरी लगवाने की क्या जरुरत है? उसने कहा ये साड़ी किसकी है? मेरी मॉम की अंजलि ने थोड़ा सहज होते हुए कहा। मयंक ने देखा अंजलि अब भी उसकी तरफ नहीं देख रही थी। मयंक ने अब अंजलि को नार्मल करने के लिए कहा वैसे अंजलि तुम शरमाते हुए और भी खूबसूरत लगती हो। अंजलि ने ये सुना तो तुरंत मयंक की तरफ देखने लगी। उसने कहा मैं.............मैं कहाँ शरमा रही हूँ।

अंजली ने देखा इस वक़्त मयंक के चेहरे पर एक शरारती स्माइल थी। उसकी आँखें देख अंजलि खुद से कह रही थी यार ये इसकी आँखें इतनी प्यारी क्यों हैं? मयंक ने कहा मेरी आँखों की तारीफ कभी मेरे सामने भी कर दिया करो कभी। अंजलि ने सुना तो चौंकते हुए कहा क्या मैंने इतनी तेज़ तो नहीं बोला तुमने कैसे सुन लिया? मयंक ने अंजलि की लटों को उसके कानों के पीछे करते हुए कहा आपके दिल में रहते हैं हम, तो वहाँ कब क्या चल रहा है इसकी सारी खबर रखते हैं।

अंजलि ने कहा अच्छा बस-बस ठीक है, चलो आयुष और दिव्या के पास चलते हैं। मयंक ने कहा क्यों क्या मुझसे डर लग रहा है। थोड़ी देर और रुको ना, मुझे तुम्हें ठीक से देखना है। अंजलि ने कहा इतनी देर से क्या कर रहे थे? मयंक ने कहा वो तो तुम्हारी डोरी बांध रहा था। अंजलि ने सुना तो अपना सिर पीट लिया और मन ही मन कहने लगी मैंने ये साड़ी पहनी ही क्यों? मयंक ने कहा अच्छा किया जो पहन ली साड़ी, तुम सच में आज बला की खूबसूरत लग रही हो। अंजलि ने एक बार फिर मयंक की तरफ देखा और कमर पर हाथ रख कहने लगी तुम क्या अंतर्यामी हो, जो भी मैं सोचती हूँ तुम्हें कैसे पता लग जाता है? मयंक ने कहा अभी तो बताया दिल में रहता हूँ इसलिए सारी खबर रखता हूँ। अंजलि फिर कुछ कहने को हुई तो मयंक ने उसके होठों पर अपनी उँगली रखते हुए कहा श्ह्ह्ह.......कुछ देर कुछ मत कहो प्लीज। मयंक ने आगे कहा :-

शब्दों में तुम्हें बाँधता मैं कैसे,

खूबसूरत एक एहसास हो तुम,

खुद को कभी देखना गौर से,

आईना भी तुम में हो जायेगा गुम।


क्रमश:



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