वो तुम हो (भाग-25)
वो तुम हो (भाग-25)
अभी तक आपने पढ़ा कि आयुष, मयंक और अंजलि सभी अपने रिश्तों को अपनी समझ से आगे बढ़ा रहे हैं। दिव्या आयुष से पूछती है कि अंजलि और आयुष को एक-दूसरे से प्यार कैसे नहीं हुआ? आयुष दिव्या के सवाल पर उसे अपना और अंजलि का अतीत बताता है, जब उसे अंजलि ने ही असली प्यार के मायने समझाए थे। वहीं शाम को जहाँ आयुष और दिव्या एक-दूसरे के रिश्ते को आगे बढ़ाकर खुश हैं। अंजलि और मयंक भी एक एहसास को महसूस कर रहे हैं। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-
कहते हैं इश्क बेहद, बेहिसाब होता है, हर शय में लाजवाब होता है। ऐसा ही कुछ मयंक और अंजलि महसूस कर रहे थे। मयंक अंजलि के होठों पर ऊँगली रख उसे चुप रहने का इशारा करता है। अंजलि जो एक बोल्ड गर्ल की शख्सियत रखती है वो आज मयंक की नज़रों का ही सामना नहीं कर पा रही थी । आज जब मयंक ने कहा अंजलि मुझे तुम्हें देखना है, तो हमारी झाँसी की रानी जैसे शर्म से खुद में ही सिमट रही थी। मयंक ने देखा अंजलि काफी नर्वस लग रही थी तो उसने कहा अंजलि अगर तुम्हें मेरे साथ खड़े रहने में सही नहीं लग रहा तो चलो चलते हैं। अंजलि ने सुना तो बिना मयंक की तरफ देखे ही कहा मेरे पैर में दर्द हो रहा है। ये हील वाले सैंडल................दरअसल मुझे ऐसी चीजें पहनने की आदत नहीं है ना। मयंक अंजलि की बात सुन मुस्कुराये बिना नहीं रह पाया। अंजलि ने देखा मयंक अपने गाल पर हाथ रखे अंजलि को देख मुस्कुराये जा रहा था। ये देख उसे गुस्सा आया और उसने कहा हाँ हँसी आ रही है, कभी खुद पहन कर देखो तब पता लगेगा कितना बड़ा काम है ये हील वाले सैंडल और ये साड़ी पहनना।
अंजलि को ऐसे गुस्सा करते देख, मयंक को और भी तेज से हँसी आ गयी। अंजलि बड़ी आँखें करते हुए कहने लगी मयंक मैं जा रही हूँ। जैसे ही अंजलि जाने को मुड़ी , मयंक ने उसका हाथ पकड़ उसे अपने पास खींच लिया। अब क्या होना था बेचारी अंजलि एक तो हील वाले सैंडल में वैसे ही परेशान थी। मयंक के इस तरह अचानक खींचने से अंजलि का बैलेंस बिगड़ गया और वो सीधे मयंक पर आकर गिरी। सीन कुछ यूँ था कि मयंक जमीन पर और अंजलि मयंक के सीने पर डर से अपनी आँखें बंद किये गिर पड़ी थी। मयंक की आवाज से जब अंजलि ने अपनी आँखें खोली तो हडबडाकर उठने लगी। लेकिन मयंक तो इस वक़्त फुल शरारत के मूड में था। उसने अंजलि को एक बार फिर अपने करीब खींच लिया। इस वक़्त दोनों एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। फर्क ये था कि मयंक तो प्यार से देख रहा था लेकिन अंजलि गुस्से में। मयंक ने कहा अंजलि तुम यार दिखती तो नहीं हो लेकिन भारी हो। ये सुनते ही अंजलि का गुस्सा और भी बढ़ गया। उसने उठते हुए कहा किसने कहा था मुझे खुद पर गिराने को? मयंक ने कहा यार अंजलि तुम तो गुस्सा हो गयी, मैं तो बस मजाक कर रहा था। अंजलि और भी गुस्से में ये मजाक करने की जगह है यार फिर मजाक का टाइम है?
मयंक को समझ आ गया था कि अंजलि शायद पैरों में दर्द की वजह से परेशान हो रही है उसने कहा अंजलि...................इधर आओ इधर बैठो। पास ही एक कुर्सी थी जिसे मयंक ने लाकर उसके सामने रखा और अंजलि को उस पर बैठने का इशारा किया। अंजलि चुपचाप बैठ गयी लेकिन वो अब भी गुस्से में थी या फिर शायद दर्द में। मयंक उसके पैरों के पास बैठ गया। अंजलि जब तक कुछ समझ पाती, तब तक मयंक ने उसके पैरों से उसकी सैंडल निकाल दी थी। मयंक उसके पैरों को थोड़ा सहलाने लगा, तो अंजलि ने कहा तुम ये क्या कर रहे हो? मयंक ने कहा तुम्हारा दर्द दूर करने की एक छोटी सी कोशिश। अंजलि ने मयंक के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेते हुए कहा तुम इतने स्वीट क्यों हो, जी करता है तुम्हें खा जाऊँ। मयंक हँस पड़ा और आँख मारते हुए कहने लगा मैं रेडी हूँ तुम अपना डिनर शुरू कर सकती हो। अंजलि ने सुना तो कहा तुम सच में पूरे बंदर ही हो। मयंक ने कहा और तुम पूरी नकचढ़ी बिल्ली हो। दोनों एक साथ ही हँस पड़े थे।
मयंक ने फिर कहा अंजलि तुम्हें पता है तुम सच में बहुत खूबसूरत हो। इस साड़ी में तो एक अलग ही अंजलि से मिला हूँ आज मैं, जो शरमाती भी है। ये सुनकर अंजलि फिर शरमा गयी थी और मयंक के सीने पर सिर रख मुस्कुरा रही थी। मयंक ने अंजलि को अपनी बाँहों की गिरफ्त में लिया और उसके माथे पर किस किया। अंजलि ने कहा मयंक अब चलें, लेकिन मयंक ने कहा बिलकुल नहीं। अंजलि ने उसके सीने से अलग हटते हुए कहा क्या मतलब? मयंक ने इधर-उधर देखा और अंजलि के कान में कहा मैंने तुम्हारी डोरी बांधी थी, तो मेमसाब कुछ उपहार तो मिलना चाहिए। अंजलि ये सुनकर मयंक को देखने लगी तो मयंक ने अपनी ऊँगलियों से अपने होठों की तरफ इशारा किया। ये देख अंजलि ने अपने आस-पास देखा और उसे एक छोटा-सा डंडा वहाँ दिखाई दिया। अंजलि ने जैसे ही जाकर वो डंडा उठाया, मयंक ने पीछे हटते हुए कहा अरे झाँसी की रानी....... मैं तो बस............मजाक कर रहा था। अंजलि मयंक को ऐसे देख मन ही मन हँस रही थी। अपनी हँसी दबाते हुए अंजलि ने कहा ओह्ह तो तुम मजाक कर रहे थे। और नहीं तो क्या मयंक ने सीरियस होते हुए कहा, यार तुम तो हर बात पर सीरियस हो जाती हो।
अंजलि ने कहा हम्म............मजाक था तो फिर ठीक है। अंजलि ने डंडा साइड में रखा और खुद अपने सैंडल पहनने लगी। मयंक उसके पास बैठते हुए, लाओ कुछ मदद कर दूँ तुम्हारी? अंजलि ने कहा नहीं बस हो गया। अंजलि जैसे ही खड़ी हुई मयंक ने कहा अंजलि वो देखो दिव्या इधर ही आ रही है। अंजलि ने जैसे ही मुड़कर देखा मयंक ने तुरंत अंजलि के गोरे गालों पर एक किस किया और वहाँ से बाय कहकर भाग गया। अंजलि अपनी कमर पर हाथ रखे बस मयंक को देखे ही जा रही थी। मयंक के जाते ही अंजलि खुद से ही कहने लगी थी एकदम पागल है ये लड़का। मयंक की इस शरारत पर अंजलि खुद ही मुस्कुरा उठी थी। अपने गालों को सहलाते हुए अंजलि किसी खुशनुमा एहसास से गुज़र रही थी। कितना अच्छा लगता है जब कोई आपको इतना प्यार करता हो और उस पर भी बेमिसाल उसका अंदाज़-ए-बयां हो जाता है। अंजलि जैसे किसी स्वप्नलोक से वापिस आई और बाहर जहाँ पार्टी थी वहाँ पहुँच गयी।
पार्टी में पहुँच कर अंजलि की आँखें बस मयंक को ही ढूँढ रही थी। लेकिन वो उसे कहीं दिखाई नहीं दिया। नैना जी के पूछने पर अंजलि ने बताया कि वो वाशरूम गयी थी। तभी अंजलि की नज़र दिव्या पर पड़ी जो उसे ही बुला रही थी। अंजलि अब उसके पास पहुँची तो दिव्या ने उसे गले लगाते हुए कहा थैंक यू सो मच सब बहुत अच्छा था। आयुष को भी मेरा परफॉरमेंस बहुत पसंद आया। इस सब के लिए एक बार फिर से थैंक यू। अंजलि ने सुना तो मुस्कुराते हुए कहा बस यार कितना थैंक यू कहोगी? एन्जॉय योर डे एंड दिस फीलिंग। दिव्या आयुष से कहने लगी यार तुम्हारी दोस्त सच में बहुत स्वीट है। दिव्या और आयुष अंजलि की ही बात कर रहे थे और अंजलि का सारा ध्यान बस मयंक को ढूँढने पर था। दिव्या अपनी माँ की सहेलियों से मिल रही थी। आयुष अंजलि को ही नोटिस कर रहा था। उसे ऐसे बेचैन देख आयुष ने कहा हेलो प्रिंसेस किसे ढूँढ रही हो? अंजलि ने उसे इगनोर करते हुए कहा वो मैं........तब तक आयुष ही बोल पड़ा आप शायद अपने प्रिंस को ढूँढ रही हैं।
ये सुनकर अंजलि थोड़ा झेंप गयी और मन ही मन खुद को कोसने लगी। आयुष ने कोई जवाब ना पाकर कहा वैसे प्रिंसेस यार ये अच्छी बात नहीं है तुम दोनों मेरी सगाई में छुप-छुप के मिल रहे हो। ये सुनते ही अंजलि के चेहरे का रंग उड़ गया। ये क्या बकवास है.......ऐसा तो कुछ नहीं है, अंजलि ने थोड़ा कॉंफिडेंट होते हुए कहा लेकिन तब तक आयुष उसका चेहरा पढ़ चुका था। आयुष मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि उसका तुक्का बिलकुल सटीक बैठा था। असल में वो नहीं जानता था कि अंजलि और मयंक एक-दूसरे के साथ थे। उसने तो बस ऐसे ही अँधेरे में तीर चलाया था जो बिलकुल निशाने पर जा लगा। आयुष ने नकली नाराज़गी जताते हुए कहा ये अच्छी बात नहीं प्रिंसेस दोस्त से सीक्रेट रखने लगी हो आप। अंजलि ने सुना तो मन ही मन कहने लगी कहाँ फंस गयी यार, इसे सच नहीं बताया तो ये ऐसे ताने मार-मारकर मेरी जान ही ले लेगा। आयुष ने अपने चेहरे पर इतनी मायूसी फैला ली कि अंजलि ने कहा हाँ ठीक है मैं मयंक के साथ ही थी। उसे कुछ जरुरी बात करनी थी तो इसलिए उसने बुलाया था। बस बात करके हम तुरंत ही वापिस आ गए थे। मुश्किल से 10 मिनट ही बात की होगी। अंजलि फटाफट से सब बोल गयी। अंजलि की इस हालत पर आयुष को बहुत हँसी आ रही थी। लेकिन अपनी हँसी को दबाये हुए वो अपने चेहरे पर झूठा गुस्सा दिखा रहा था।
अंजलि ने देखा आयुष अब भी मुँह फुलाकर खड़ा है तो उसने कहा अब क्या है बता तो दिया। ये अपनी सड़ी-सी शक्ल ठीक कर ले वरना दिव्या क्या सोचेगी कि तू उससे सगाई कर के खुश नहीं है। अंजलि के मुँह से ये बात सुनकर आयुष ने झट से उधर देखा जहाँ दिव्या अपनी माँ और उनकी कुछ सहेलियों के साथ खड़ी बातें कर रही थी। आयुष ने एक गहरी साँस ली और अंजलि से कहने लगा प्रिंसेस मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि तुम मुझसे अब सीक्रेट रखने लगी हो। मैंने खुद पूछा तो तुमने मुझे सच बताया और वो भी अधूरा। मुझे पूरी बात बताओ वरना मैं ऐसे ही सड़ी शक्ल बनाऊँगा फिर तुम खुद ही बताना मेरी इस शक्ल का राज़ दिव्या को और बाकी सबको भी। अंजलि जानती थी कि आयुष को जब तक वो पूरी बात नहीं बताएगी तब तक वो उसका पीछा नहीं छोड़ेगा। अंजलि ने कहा कुछ पर्सनल बात थी। आयुष ने सुना तो कहा ओह्ह मैं तो भूल ही गया अब तो तुम्हारी पर्सनल बात होगी। अंजलि ने चिढ़कर कहा सुन ले तू सारी बात ..................मेरे ब्लाउज की डोरी खुल गयी थी और वो मयंक ने नोटिस कर लिया था। वही बाँधने के लिए उसने मुझे साइड में बुलाया था। डोरी बाँधने के बाद उसने मुझे गाल पर किस किया और वो चला गया। अब ठीक है, अब खुश है। आयुष ये सुनते ही मुस्कुरा दिया और अंजलि का चेहरा एक बार फिर से शर्म से गुलाबी हो चुका था।
आयुष ने इधर-उधर देखा और मौका देख कर अंजलि के कंधे से अपना कन्धा टकराते हुए कहने लगा ओह्ह तो मैडम की रोमांटिक डेट्स शुरू हो गयी है। क्या बात है ब्लाउज की डोरी.....................किस........ह्म्म्म...............सही है प्रिंसेस, सही है। अंजलि ने गुस्से में कहा चुपकर वरना तेरा सिर फोड़ दूँगी। मगर आयुष तो बहुत खुश हो रहा था। उसने कहा अंजलि वैसे एक बात तो बताना ये मयंक बंदा कितना रोमांटिक है? क्या मतलब, अंजलि ने उसे घूरते हुए कहा। मेरा मतलब तुझसे ज्यादा रोमांटिक है या तुझसे कम? अंजलि बड़ा ही सीरियस होकर सोचने लगी, लेकिन अगले ही पल उसे मयंक की वो किस वाली हरकत याद आई तो उसके चेहरे पर मुस्कान अपने आप ही आ चुकी थी। आयुष ने कहा हम्म..............ये स्माइल.......इसका मतलब बंदा तेरी कविताओं से भी ज्यादा रोमांटिक है। अंजलि ने कहा हाँ है तो सही यार, ही इस सो क्यूट...तुम्हें पता है इन हील वाले सैंडल की वजह से मेरे पैर में बहुत दर्द हो रहा था तो उसने................आयुष ने हैरान होते हुए अब ये मत कहना कि उसने तुम्हारे पैर भी दबाये हैं। अंजलि ने अपने निचले होठ को अपने दाँतों से दबाते हुए अपने कंधे उचका दिए। आयुष ने खुश होते हुए कहा यार प्रिंसेस यू आर सो लकी, वो सच में तुम्हें बहुत चाहता है। अंजलि आयुष की बात सुन खुद ही कह उठी जानती हूँ। मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ अंजलि, आयुष ने थोड़ा भावुक होते हुए कहा। तभी दिव्या वहाँ आ गयी और कहने लगी मैंने तुम दोनों दोस्तों को डिस्टर्ब तो नहीं किया?
दिव्या की बात सुनकर अंजलि और आयुष दोनों ही हँस पड़े। अंजलि ने कहा अच्छा हुआ दिव्या तुम आ गयी, मुझे तो पका दिया इसने। तुम पता नहीं पूरी ज़िन्दगी इसे कैसे झेलने वाली हो। दिव्या ने सुना तो मुस्कुराते हुए आयुष के काँधे पर अपना सिर टिकाते हुए कहने लगी मैं क्यों झेलूंगी, झेलेगा तो तुम्हारा दोस्त मुझे। ये कहकर दिव्या ने अंजलि को ताली दी और दोनों एक साथ ही हँस पड़ी थी। दिव्या के मुँह से ये सुनकर आयुष पहले तो हैरान हुआ और फिर दिव्या का मजाक समझ खुद भी हँस पड़ा। अंजलि ने कहा तुम दोनों बातें करो मैं मॉम के पास जा रही हूँ। अब और देर इस साड़ी और सैंडल में रही तो कहीं गिरकर पक्का बेहोश ही हो जाऊँगी। दिव्या एक बार फिर अंजलि को ताली देकर हँस पड़ी थी। अंजलि जाते-जाते मुड़ी और कहने लगी दिव्या मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ। हमेशा एक-दूसरे के साथ ऐसे ही खुश रहना। अंजलि वहाँ से अपनी मॉम के पास पहुँची, जहाँ अनुराधा जी भी खड़ी थी।
अंजलि को देखते ही उन्होंने अपनी आँख से काजल लेकर उसके कान के पीछे लगा दिया और कहने लगी बहुत प्यारी लग रही हो बेटा। अंजलि ने मुस्कुरा कर उन्हें थैंक यू कहा। तभी उसकी नज़र थोड़ी दूर खड़े मयंक पर गयी जो हाथ बाँधे अंजलि को ही देख रहा था। जैसे ही दोनों की नज़रें मिली तो मयंक ने उसे फ्लाइंग किस दी। अंजलि मयंक की इस हरकत से घबराकर इधर-उधर देखने लगी कि उसे ऐसा करते किसी ने देखा तो नहीं। अंजलि ने एक बार फिर हिम्मत कर सामने देखा तो मयंक अब भी वहाँ खड़ा था और अंजलि के देखते ही उसने दोबारा वही हरकत की। अंजलि को मन ही मन हँसी भी आ रही थी और मयंक की ऐसी हरकत पर गुस्सा भी। उसे डर था कि अगर किसी ने नोटिस कर लिया तो कितना गलत लगेगा। अनुराधा जी अंजलि से कहने लगी बेटा आयुष और दिव्या कितने प्यारे लग रहे हैं एक साथ, दे आर मेड फॉर इच अदर! अंजलि ने कहा आंटी आप बिलकुल सही कह रहे हो। अंजलि इधर-उधर देख रही थी ताकि उसकी नज़र मयंक पर अब ना पड़े लेकिन अनुराधा जी ने उसे ऐसा करते देखा तो पूछ ही लिया बेटा तुम किसी को ढूँढ रही हो क्या? ये सुनते ही अंजलि ने नहीं में गर्दन घुमाई और एक बार फिर से मयंक पर उसकी नज़र पड़ी तो उसने अपनी आँखें ही बंद कर ली। उसे ऐसे देख अनुराधा जी ने कहा क्या हुआ अंजलि बेटा कुछ आँख में चला गया है क्या? अंजलि ने हाँ कहा और अनुराधा जी सीधा उसकी आँख में फूंक मारने लगी। तभी अंजलि को एक आईडिया आया और वो अनुराधा जी से बात करते हुए घूमकर मयंक की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी।
मयंक ने उसे ऐसा करते देखा तो उसे और भी शरारत सूझी। उसने पॉकेट से अपना फ़ोन निकाला और अंजलि को मेसेज करना शुरू कर दिया। अंजलि के फ़ोन पर मेसेज आया तो उसने अपना फ़ोन चेक किया। ये अच्छी बात नहीं है, माना तुम बहुत सुंदर लग रही हो लेकिन क्या तुम मुझे तुम्हारा दीदार भी नहीं करने दोगी? अंजलि ने पढ़ा और मेसेज टाइप करके भेज दिया। मयंक ने रिप्लाई आया देखा झट से मेसेज पढ़ा जिसमें लिखा था- इतना दीदार करोगे तो तुम्हारी आँखें ख़राब हो जाएँगी, मुझे घूरना बंद करो। मयंक ने लिखा तुम्हें कौन घूर रहा है मैं तो बस तुम्हारे लम्बे – काले नागिन जैसे बालों को देख रहा था। अंजलि ने मेसेज पढ़ा तो उसने अपने बाल समेट कर आगे की तरफ कर लिए। मयंक अंजलि की सारी हरकत देख रहा था, उसे बहुत हँसी आ रही थी। उसने फिर एक मेसेज टाइप किया और अंजलि के नंबर पर सेंड कर दिया। यार तुम्हारी ब्लाउज की डोरी फिर से बाँधने का मन कर रहा है? ये मेसेज पढ़ते ही अंजलि ने अपने बाल वापिस पीछे की तरफ कर दिए और एक लम्बी-गहरी साँस ली।
अनुराधा जी नैना जी से बात करते हुए अंजलि को ही नोटिस कर रही थी। अंजलि के चेहरे पर आते-जाते भावों को पढ़ने की उनकी पूरी कोशिश जारी थी। आखिरकार उन्होंने अंजलि से पूछ ही लिया बेटा तुम कुछ परेशान दिख रही हो, क्या हुआ है? नैना जी भी ये सुनकर अंजलि की तरफ देख कर कहने लगी क्या हुआ अंजलि? बेचारी अंजलि अब उन्हें क्या बताये? उसने कुछ सोचकर कहा मॉम मैं थक गयी हूँ, घर कब चलेंगे?
तभी अमिताभ जी भी वहाँ आ गए और कहने लगे, अरे भाई काफी टाइम हो गया है घर नहीं चलना है क्या? अंजलि ने तुरंत ही कहा पापा प्लीज वरना मैं यहीं गिरकर बेहोश हो जाऊँगी। अंजलि की बात सुनकर अमिताभ जी के साथ अनुराधा जी और नैना जी भी हँस पड़ी थी। अमिताभ जी ने कहा तो बेटा जल्दी से अपने दोस्तों को बाय कहकर आओ और फिर घर चलते हैं, मैं भी काफी थक गया हूँ। ओके डैड कहकर अंजलि जल्दी से आयुष और दिव्या के पास गयी और उन्हें बाय कहकर जल्दी-जल्दी वापिस आने लगी थी। तभी अंजलि लडखडाई और किसी ने आकर उसे थाम लिया था। अंजलि ने जब पलकें उठाकर देखा तो सामने मयंक था जिसने उसे एक बार फिर गिरने से बचा लिया था। अंजलि की धड़कने रफ़्तार पर थी और ऐसा ही कुछ हाल मयंक का भी था। इस वक़्त दोनों एक-दूसरे के इतने करीब थे कि एक-दूजे के दिल की धड़कनों को साफ -साफ़ सुन पा रहे थे। मयंक ने अंजलि को छेड़ते हुए कहा ये तुम सच में गिर जाती हो या फिर मुझे देख कर जान-बूझकर गिरती हो ताकि मेरी बाँहों में आ सको? अंजलि ने सुना तो मन ही मन कहने लगी दिल तो कर रहा है ये सैंडल तुम्हें पहनाऊं और फिर जब तुम लड़खड़ा कर गिरो तब मैं तुम्हें बाँहों में भी न थामूँ। हम्म..............जानता हूँ तुम जालिम तो हो ही, यही चाहोगी कि मैं गिरूँ और मेरी हड्डी-पसली टूट जाये, आयुष ने अपनी भौंहें चढ़ाते हुए कहा। अंजलि ने एक बार फिर मयंक की बात सुनकर अपना सिर पीट लिया और मन ही मन कहने लगी ये कितना खतरनाक है यार मैं तो खुद से भी कुछ बात नहीं कर सकती। इसे तो सब पता लग जाता है। मयंक ने कहा अरे इतना परेशान क्यों हो रही हो, तुम्हें बताया तो था कि तुम्हारे इस दिल में अब मैं हूँ तो वहाँ की सारी ख़बरें अपने आप ही मुझ तक पहुँच जाती हैं।
नैना जी और अनुराधा जी भी अंजलि और मयंक के पास आये। उन्हें देखकर दोनों एक-दूसरे से अलग और सतर्क खड़े हो गए। नैना जी और अनुराधा जी तो बस इन दोनों के एक साथ होने के सपने सजा रही थी तो उन्होंने उन्हें कुछ नहीं कहा। नैना जी ने अनुराधा जी से अलविदा कहा और जल्दी ही मिलने का कहकर अंजलि का हाथ थाम वहाँ से चली गयी। मयंक अंजलि को जाते हुए देख रहा था और अनुराधा जी मयंक के चेहरे पर एक बेचैनी देख रही थी। उन्होंने कहा बेटा एक बात पूछनी थी। हाँ मॉम पूछिए ना, मयंक ने खोये हुए अंदाज़ में कहा। बेटा तूने अंजलि से अपने दिल की बात कही या नहीं? ये सुनकर मयंक को झटका लगा। उसने अनजान बनते हुए कहा क्या कह रही हो आप मॉम? अनुराधा जी ने कहा देख ज्यादा नाटक मत कर मुझे अंजलि ही अपनी बहु के रूप में चाहिए। अगर तूने जल्दी से कुछ नहीं किया और किसी और ने उसे प्रपोज कर दिया तो तू पूरी ज़िन्दगी कुंवारा ही रहेगा। मयंक ने सुना तो कहा मॉम आप भी ना बस करें, चले घर टाइम ज्यादा हो गया है। दोनों माँ-बेटे ऐसे ही तकरार करते हुए घर पहुँच गये थे।
घर पहुँच कर मयंक गुड नाईट कहकर सीधे अपने कमरे में जा पहुँचा और उसने कुछ सोचा फिर फ़ोन उठाकर एक मेसेज टाइप किया और सेंड कर दिया। उधर अंजलि भी अपने कमरे में थी, उसने अपने कपड़े चेंज किये बिस्तर पर अपने पैरों को पकड़ बैठी थी। उसे आज की शाम का एक-एक पल याद आ रहा था। मयंक का उसे बुलाना, वो डोरी बांधना, उसके पैरों को सहलाना, उसकी वो किस, उसकी आज की सारी शरारते अंजलि के दिल को गुदगुदा रही थी। एक खूबसूरत सा एहसास उसके दिल की धड़कनों की रफ़्तार को बढ़ा रहा था।
अंजलि ने अपना फ़ोन उठाया और मेसेज देख कर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ चुकी थी। क्या तुम ठीक हो? मयंक ने ये पूछा था मेसेज में। अंजलि ने लिखा हाँ मैं ठीक हूँ लेकिन आज तुम ठीक नहीं थे, ये क्या कर रहे थे तुम वहाँ? अगर तुम्हें ऐसा करते कोई देख लेता तो? अंजलि के मेसेज पढ़कर मयंक ने लिखा देख लेता तो देख लेता, हम कौन-सा किसी से डरते हैं? अंजलि ने ये मेसेज पढ़ा तो हँसती हुई बिस्तर पर लेट गयी और मेसेज टाइप करने लगी। तुम पूरे पागल हो? मयंक ने पढ़ा और लिखा हाँ लेकिन तुम्हारे प्यार में। अंजलि ने मेसेज पढ़ा और लिखा गुड नाईट, मुझे बहुत तेज नींद आ रही है। मयंक ने कहा ओके स्वीटहार्ट सो जाओ तुम, मुझे तो आज नींद नहीं आने वाली। अंजलि ने मेसेज पढ़ा तो लिखा क्यों? मयंक ने कहा क्योंकि मेरी मॉम ने मेरे लिए एक लड़की देख ली है और वो मेरी शादी उसी से करवाना चाहती हैं। अंजलि ने लिखा ओह्ह तो ऐसा है बाय द वे कौन है वो लड़की? मयंक ने जान बूझकर कहा यार मॉम ने पसंद की है तो मुझे कैसे पता होगा? वैसे मॉम बहुत सीरियस थी यहाँ तक कि उन्होंने ये भी कहा है कि अगर मैंने मना किया तो मेरी शादी ही नहीं होने देंगी। मुझे फिर कुंवारा ही रहना पड़ेगा।
अंजलि ने कहा आर यू सीरियस? हम्म.......और नहीं तो क्या ये कोई मजाक की बात है क्या?, मयंक ने थोड़ा सीरियस होकर कहा। अंजलि ने कहा तुमने कुछ नहीं कहा आंटी से? मयंक ने कहा क्या कहता, मुझे कुछ समझ ही नहीं आया। अंजलि ने कहा यार उनसे पूछते तो सही कि लड़की कौन है? मयंक ने कहा मैं जानता हूँ उसे, मॉम की एक फ्रेंड की बेटी है। अच्छा..........अंजलि ने थोड़ा सीरियस होकर कहा। मयंक को अब फिर एक नई शरारत सूझ चुकी थी। उसने कहा वैसे अंजलि मुझे क्या करना इस बात से लेकिन वो लड़की है बहुत खूबसूरत! अंजलि ने सुना तो कहने लगी अच्छा होगी मुझे क्या? मयंक ने फिर कहा तुम्हें पता है बहुत घने, लम्बे और काले बाल हैं उसके, जैसे बलखाती नागिन हो। और उसकी आँखें तो इतनी सुंदर हैं जैसे उन जैसी आँखें मैंने कभी देखी ही नहीं हो। अंजलि ये सब सुन चुपचाप थी लेकिन उसे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। मयंक ने आगे अपनी बात जारी रखते हुए कहा तुम्हें पता है अंजलि वो किसी हिरोइन से कम नहीं दिखती। उसका रंग भी एक दम गोरा है..............वो कहते हैं ना दूध की तरह उजला। जो उसे एक बार देखे बस देखता ही रह जाये। अंजलि का सब्र अब जवाब दे चुका था।
उसने चिढ़ते हुए कहा अगर वो इतनी सुंदर है तो उसी से कर लो शादी। मयंक ने कहा ऐसे कैसे वो मुझे थोड़े ही पसंद है वो तो मॉम को पसंद है। मैं तो बस तुम्हें बता रहा था। एक बात तो बताना मैं भूल ही गया, तुम्हें पता है उसके लिप्स इतने पिंक है.........................ये सुनना था कि अंजलि ने गुस्से में फ़ोन ही काट दिया। अब अब जाकर मयंक को अंदाज़ा हुआ कि उसने मजे-मजे में क्या कांड कर दिया है। उसने कई बार अंजलि को फ़ोन मिलाया लेकिन अंजलि तो गुस्से में फ़ोन काटती रही और आखिर में फ़ोन को साइलेंट पर लगाकर सो गयी। उधर मयंक अपने कमरे में बेचैन होकर घूम रहा था और ये सोच रहा था कि अब क्या करे, अंजलि तो बहुत ज्यादा नाराज़ हो गयी है।
राघव ने रागिनी को उसके घर से थोड़ी दूर छोड़ा और वापिस आने के लिए मुड़ा ही था कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। राघव ने मुड़कर देखा तो उस आदमी ने कहा कौन हो तुम और रागिनी के साथ क्या कर रहे थे? ये सुनकर राघव थोड़ा घबराया लेकिन थोड़ी हिम्मत कर आखिर पूछ बैठा कि आप कौन? मैं रागिनी का बड़ा भाई हूँ, सामने खड़े आदमी ने जवाब दिया। इतना सुनना था कि बेचारा राघव पसीने से तर-बतर हो चुका था। दोबारा पूछने पर राघव ने हिम्मत करके कहा वो पार्टी में देरी हो जाने की वजह से मैं और मेरा एक दोस्त नितिन रिया और रागिनी को सही सलामत घर तक छोड़ने आये थे। वो कुछ और ना पूछ बैठे ये सोचकर राघव ने जल्दी से रागिनी के भाई से हाथ मिलाते हुए कहा आपसे मिलकर अच्छा लगा, मैं चलता हूँ काफी देर हो गयी है। राघव झट से वहाँ से मुड़ा और चीते की स्पीड से वहाँ से निकल गया।
नितिन जैसे ही रिया को उसके घर के बाहर छोड़ कर लौटने को हुआ तभी रिया ने उसे रोकते हुए कहा नितिन थैंक यू! नितिन ने कहा रिया थैंक यू की जरुरत नहीं है, जाओ आराम करो कल कॉलेज में मिलते हैं। हम्म......कहकर रिया घर के अंदर चली गयी और नितिन भी राघव के पास पहुँचने के लिए चल पड़ा। तभी उसका फ़ोन बजने लगा, उसने देखा तो फ़ोन राघव का ही था। नितिन ने फ़ोन उठाकर कहा बस 2 मिनट दे पहुँच रहा हूँ। जल्दी आ भाई कहकर राघव ने फ़ोन काट दिया। नितिन ने फ़ोन अपनी जेब में रखना चाहा तो उसे महसूस हुआ कि उसकी जेब में एक और फोन है। ओह्ह नो............ये तो रिया का फ़ोन है, ये तो उसे वापिस जाकर देना पड़ेगा।
नितिन जल्दी-जल्दी रिया के घर पहुँचा। घर के अंदर जाऊँ या नहीं जाऊँ, कहीं कोई प्रॉब्लम हो गयी तो मेरे घर में जाने से। लेकिन फ़ोन तो उसे देना ही पड़ेगा सोचकर आखिरकार नितिन रिया के घर के अंदर चला गया। वहाँ घुसते ही उसे कुछ लोगों के चिल्लाने की आवाजें आने लगी थी। उसने देखा सभी रिया को बुरा-भला कह रहे थे और रिया एक कोने में खड़ी रोये जा रही थी। ये देखकर नितिन को बहुत बुरा लगा, उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे? उसे लगा अगर उसे किसी ने देख लिया तो हो सकता है रिया के लिए और भी प्रॉब्लम हो जाये। नितिन ने एक नज़र रिया को देखा और वापिस घर से बाहर चला आया। उसका फोन फिर से बज उठा था उसने फ़ोन उठाकर कहा राघव आ रहा हूँ। नितिन के दिमाग में बस रिया का रोता चेहरा घूम रहा था।
क्रमश:

