वो तुम हो (पार्ट-19)
वो तुम हो (पार्ट-19)
प्यारे रीडर्स,
अभी तक आपने पढ़ा कि आयुष के खुराफाती दिमाग चलाया और अंजलि और मयंक को एक-साथ बस में ही छोड़ दिया था। अंजलि जब नींद से उठती हैं तो मयंक से गुस्से में उसकी बहस हो जाती हैं। उसी बहस में मयंक अंजलि से अपने दिल की बात कह देता है। मयंक के दिल की बात जानकर अंजलि भी उससे अपने प्यार का इजहार कर देती हैं। लेकिन बातों-बातों में जब अंजलि को आयुष की खुराफात का पता लगता है तो वो गुस्से में उसे ढूँढने चली जाती है। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-
अंजलि फ़ोन पर आयुष से कहती है तुम बहुत पिटोगे मिलो जरा मुझे, फिर बताती हूँ। आयुष कहता है लव यू प्रिंसेस! अपने प्रिंस चार्मिंग के साथ एन्जॉय करो और फ़ोन काट देता है। अंजलि फ़ोन पर कहती है, आयुष, कहाँ हो तुम? लेकिन फोन कट चुका होता है। अंजलि को गुस्से में देख रागिनी कहती है तू इतने गुस्से में क्यों है आखिर हुआ क्या है? अंजलि मयंक की तरफ देखती है जो कि चुपचाप मुस्कुरा रहा होता है। अंजलि के देखते ही वो सीरियस हो जाता है और रागिनी से कहता है कुछ नहीं यार वो आयुष ने अंजलि को थोड़ा परेशान कर दिया बस इसीलिए ये उस पर गुस्सा हो रही है। रागिनी ने सुना तो कहने लगी जाने दे यार अपना मूड ठीक कर। अब यहाँ घूमने आई है या फिर उस आयुष से लड़ने। राघव भी बोल पड़ा हाँ ठीक है अंजलि दोस्तों में थोड़ा हँसी-मजाक तो चलता रहता है। अंजलि ने कहा हम्म चलो चलते हैं। थोड़ी दूर जाते ही उन्हें आयुष-दिव्या सेल्फी लेते हुए दिखाई देते हैं। अंजलि मयंक से कहती है अब तुम देखना इसका क्या हाल करती हूँ अभी?
अंजलि जैसे ही जाने को हुई मयंक ने मजबूती से उसका एक हाथ पकड़ लिया। अंजलि ने देखा तो मयंक ने उसे ना जाने का इशारा किया। अंजलि चुपचाप मयंक के साथ ही चलने लगी थी।
उधर दिव्या ने मयंक, अंजलि, राघव और रिया को आते देखा तो भागकर उनके पास आ गयी। दिव्या ने कहा हे अंजलि कैसा फील कर रही हो? दिव्या के इस सवाल से अंजलि ने उसे गुस्से में देखा तो दिव्या ने मयंक की तरफ देख कर अपनी भौंहे उचकायी। शायद वो जानना चाहती थी कि आयुष की खुराफात ने कुछ कमाल किया या नहीं? मयंक ने उसे इशारे करते हुए चुप रहने को कहा लेकिन दिव्या को कुछ समझ नहीं आया और उसने अपना सवाल दोहराते हुए कहा बताओ ना मयंक कुछ बात बनी या नहीं? तुमने अंजलि को अपने दिल की बात बताई या नहीं? ये सुनकर अंजलि को और भी तेज़ गुस्सा आ गया। उसे लगा कि इन सबको पता था कि मयंक ऐसा कुछ करने वाला है। इन सबने मिलकर ये सब किया है। इसी तरह के कई विचार उसके दिमाग में आये और उसने मयंक से कहा तुम्हें समझने में मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। तुम वो नहीं हो जिसे मैं प्यार करुँगी। आइन्दा मुझसे दूर रहना समझे। ये कहकर अंजलि गुस्से में वहाँ से जाने लगी। आयुष ने उसे रोकना चाहा लेकिन अंजलि ने गुस्से में कहा मेरे पीछे मत आना वरना बहुत बुरा होगा और वहाँ से चली गयी। मयंक के लिए सब एकदम अजीब था। अंजलि ने जो अभी कहा वो सुनकर मयंक को बहुत तेज़ गुस्सा आ गया था। आयुष ने मयंक को अंजलि के पीछे जाने को कहा लेकिन मयंक में भी गुस्सा कम कहाँ था। जो बात अंजलि ने कही थी उसकी वजह से मयंक का दिल दुखा था। उसे लगा अंजलि तो उसे समझती ही नहीं है। उसने ऐसा कैसे सोच लिया मेरे बारे में, क्या उसे मुझ पर इतना भी विश्वास नहीं है। मैंने क्या किया और मैं तो आज उसे कोई प्रपोज भी नहीं करने वाला था। वो तो बस बातों-बातों में दिल की बात उसकी जुबां पर आ गयी थी। आयुष के कई बार कहने पर भी मयंक अंजलि के पास जाने को तैयार नहीं हुआ तो आयुष खुद ही अंजलि से बात करने चला गया। इधर दिव्या को लगा ये सब उसकी वजह से हुआ है तो वो मयंक से अपने किये की माफ़ी मांगने लगी थी।
अंजलि गुस्से में काफी दूर तक चली गयी थी। अंजलि एक जगह रुकी तो वहाँ कुछ औरतें एक साथ लोकनृत्य कर रही थी। अंजलि वहीं रखी एक बेंच पर बैठ कर उन्हें नाचते हुए देखने लगी। लेकिन ऐसा करने के बाद भी मयंक पर जो गुस्सा था वो शांत नहीं हुआ। अंजलि बस यही सोच रही थी कि मयंक ऐसा कैसे कर सकता है? उसने सबको पहले ही बताया हुआ था कि वो ऐसा कुछ करने वाला है। सब क्या सोच रहे होंगे कि अंजलि कितनी बड़ी बेवकूफ है? एक पल के लिए उसकी आँखों के आगे वो एक-एक पल घूम गया था जब वो दोनों बस में लड़ रहे थे। जब मयंक ने उससे कहा कि वो अंजलि से प्यार करता है। जब अंजलि ने खुद मयंक को किस किया। अंजलि अभी अपनी सोच में ही गुम थी की उसे ढूँढता हुआ आयुष उसके पास पहुँच गया था। अंजलि को बेंच पर बैठा देख आयुष चुपचाप आकर उसकी साइड में बैठ गया।
आयुष अंजलि के कंधे पर हाथ रखते हुए कहने लगा तो हमारी प्रिंसेस नाराज हैं? अंजलि ने पलट कर आयुष की तरफ देखा और वहाँ से उठकर जाने लगी। आयुष ने लपक कर उसका हाथ पकड़कर वापिस बिठा लिया। अंजलि बात तो सुनो मेरी आखिर इतना गुस्सा क्यों कर रही हो? आखिर हुआ क्या है तुम्हें? अंजलि ने आयुष से कहा क्या तुम्हें नहीं पता जो मुझसे पूछ रहे हो? आयुष ने कहा अंजलि पहले शांत हो जाओ प्लीज और मुझे आराम से बताओ आखिर हुआ क्या है? क्या मयंक ने कुछ गलत कहा या गलत किया तुम्हारे साथ? अंजलि ने गुस्से में कहा किसी की हिम्मत नहीं है इतनी कि मुझसे कुछ गलत कहे या गलत करने की कोशिश करे। आयुष मुस्कुराया और कहने लगा प्रिंसेस इसीलिए तो पूछ रहा हूँ क्या बात है? अंजलि ने कहा तुम सबको पता था कि मयंक ने जान-बूझकर मुझे नहीं जगाया और तुम सबके जाने के बाद मुझे प्रपोज किया। मैं भी कितनी बेवकूफ थी उसकी बातों पर विश्वास कर लिया और उसे किस भी कर दिया। बातों-बातों और गुस्से में अंजलि को समझ ही नहीं आया कि वो क्या बोल गयी थी? आयुष ने खुश होकर कहा क्या तुमने उसे किस किया? सच में प्रिंसेस.....मैंने सही सुना ना???? अंजलि थोड़ा झेंप गयी और दूसरी तरफ देखने लगी।
आयुष ने कहा हाय मेरी प्रिंसेस ने बेचारे बंदर को कुछ करने ही नहीं दिया बल्कि खुद ही उस पर टूट पड़ी। अंजलि ने आयुष के कंधे पर एक मुक्का मारते हुए कहा पहले ही दिमाग ख़राब है मेरा, और दिमाग ख़राब मत करो। अच्छा........सुनो प्रिंसेस! तुमने बेचारे को जाने क्या-क्या कह दिया? अंजलि ने मुंह बनाते हुए कहा...हम्म...बेचारा! आयुष ने कहा सुनो तो सही प्रिंसेस। मयंक ने कुछ नहीं किया, उसे बस में रुकने को और तुम्हें ना उठाने के लिए मैंने ही उसे फ़ोर्स किया था। क्या मतलब???? अंजलि ने आयुष को घूरते हुए कहा। समझाता हूँ ध्यान से सुनो। आयुष ने जो हुआ और जो उसने किया वो सब कुछ अंजलि को बता दिया। अंजलि ने कहा और सबको कैसे पता लगा???? आयुष ने कहा यार मैंने दिव्या को बताया था फिर शुभम को पता लगा कि तुम बस में सो गयी हो तो वो तुम्हें उठाने के लिए आने लगा। उसे रोकने के लिए मैंने उसे भी बता दिया। उस वक़्त रिया और नितिन भी वहीं थे इसलिए उन्हें भी पता लग गया। मयंक ने कुछ नहीं किया वो तो.......... मैं चाहता था कि तुम दोनों को एक साथ टाइम बिताने का मौका मिले। बस इसलिए ये सब किया था। तुम पता नहीं बेचारे को क्या-क्या सुना कर आ गयी।
अंजलि सब कुछ सुनकर अब चुपचाप बैठी हुई थी। आयुष ने कहा अब क्या सोच रही हो? अंजलि ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा यार मैंने तो उसे कितना गलत समझ लिया। गुस्से में जाने क्या-क्या बोल दिया। पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा? आयुष ने कहा ओह्ह तो आपको अपनी गलती का पछतावा हो रहा है? हम्म......अंजलि ने धीमे स्वर में कहा। अब क्या करूँ अंजलि ने उदास होकर कहा ???? जवाब में आयुष ने कहा कुछ खास नहीं करना बस आपको जाकर माफ़ी मांगनी होगी अपने बंदर से। आयुष ने कहा वैसे प्रिंसेस........जरा ये तो बताओ तुमने उसे किस गाल पर किया था या फिर होठों पर? अंजलि ने कहा बकवास बंद करो अपनी और ये बताओ तुमने जो रायता फैलाया है उसे कैसे समेटना है? आयुष ने कहा ओह्ह तो आपके हिसाब से ये रायता मैंने फैलाया है। हद है यार............भलाई का तो जमाना ही नहीं रह गया है। अंजलि ने चिढ़कर कहा चुप रहो और ये बताओ अब मैं क्या करूँ? उसे बहुत बुरा लगा होगा। मैंने उसे गुस्से में ना जाने क्या-क्या कह दिया था। आयुष ने कहा अरे बस प्रिंसेस इतना परेशान क्यों हो रही हो? तुम जाकर उससे एक बार बात तो करो, वो मान जाएगा। अंजलि गुस्से में हम्म...वो मान जायेगा, तुम्हें बड़ा पता है ना उस बंदर के बारे में। मैं अच्छे से जानती हूँ कितना गुस्सैल है वो आसानी से नहीं मानेगा। अच्छा...........तुम तो बड़े अच्छे से जानती हो उसे प्रिंसेस, आयुष ने हलके से अपना कन्धा अंजलि के कंधे से टकराते हुए कहा।अंजलि ने उसे घूरते हुए कहा आयुष चुप करो अब, वरना...............
तभी आयुष की नज़र अंजलि के पीछे खड़े मयंक पर पड़ी जो कि गुस्से में उसे ही घूर रहा था। आयुष ने कुछ कहना चाहा तभी अंजलि ने कहा तुम्हें नहीं पता वो बस दिखने में ही क्यूट है, वैसे बहुत गुस्सैल है। आयुष ने उसे चुप रहने का इशारा किया तो अंजलि गुस्से में कहने लगी अब ये क्या है, ये क्या इशारे का रहे हो? साफ़-साफ़ बताओ क्या कहना चाहते हो, मैं वैसे ही गुस्से में हूँ। मुझे और गुस्सा मत दिलाओ वरना तुम्हारा मुँह तोड़ दूँगी। एक तो उस बंदर के मुँह में क्या दही जमी हुई थी, वो बता नहीं सकता था मुझे कि उसने कुछ नहीं किया? ये सब किया धरा तुम्हारा है। अब बैठा होगा कहीं मुँह फुलाकर, अब भी बताने नहीं आएगा कि उसने कुछ नहीं किया? आयुष ने देखा मयंक का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था। दरअसल मयंक दिव्या के कहने पर अंजलि से बात करने ही आया था लेकिन यहाँ अंजलि की बातें सुनकर उसका गुस्सा और भी बढ़ गया था। आयुष ने जब देखा कि अंजलि उसके इशारे नहीं समझ रही और फ़िज़ूल बोलती जा रही है तो उसने कहा प्रिंसेस जरा एक बार अपने पीछे देखो।
अंजलि ने अपने पीछे देखा तो उसके होश उड़ गए थे। उसने कहा मयंक तुम यहाँ.......वो मयंक मैं कह रही थी कि..........................सुना मैंने तुम क्या कह रही थी? मयंक ने अंजलि को बीच में ही टोकते हुए कहा। अंजलि कुछ कह पाती उससे पहले ही मयंक वहाँ से चला गया था। अंजलि अब अपने सिर पर हाथ रखकर बैठ गई। आयुष ने देखा तो कहा अंजलि सुनो यार उसके पीछे जाओ, उससे बात करो। क्या बात करूँ, अंजलि ने गुस्से में कहा? आयुष ने कहा शांत हो जाओ यार ठन्डे दिमाग से काम लो। एक तो वैसे ही तुमने उसे नाराज़ कर दिया है। अंजलि ने कहा हाँ सारी गलती मेरी ही तो है ना? आयुष ने कहा अच्छा यार ठीक है सारी गलती मेरी है, ऐसा करो अब जो मैं कहूँगा वही करो। अंजलि ने कहा क्या करूँ? आयुष ने कहा उठो तो यहाँ से, तुम चलो मैं बताता हूँ। अंजलि ने कहा पहले तुम मुझे बताओ, कहीं फिर से कोई गड़बड़ ना हो जाये?
आयुष ने कहा अच्छा तो फिर कान इधर लाओ और ध्यान से मेरी बात सुनो। आयुष का प्लान सुनकर अंजलि ने कहा आर यू श्योर कि ये प्लान काम करेगा? आयुष ने कहा हाँ बिलकुल अब तुम ये ब्लूटूथ अपने कान पर लगाओ और इसे अपने बालों से ढक लो। ओके फिर ठीक है, अंजलि ने वैसा ही किया जैसे आयुष ने उसे समझाया था। अंजलि ने कहा ठीक है फिर मैं मयंक के पास जाती हूँ। आयुष ने कहा अंजलि सुनो............हाँ बोलो अंजलि ने मुड़कर कहा............गुड लक प्रिंसेस! थैंक यू कहकर अंजलि मयंक को ढूँढने चली गई। आयुष उसी बेंच पर बैठ गया, दोनों फ़ोन पर एक-दूसरे से कनेक्टेड थे। हेलो, अंजलि क्या मयंक दिखा तुम्हें? हाँ सामने ही खड़ा है। ओके तो फिर उसके पास जाओ और उससे माफ़ी मांगो, आयुष ने कहा। हम्म....ठीक है कहकर अंजलि मयंक के पास जा पहुँची थी।
मयंक............अंजलि ने उसे आवाज दी तो मयंक ने अंजलि की तरफ देखा और कहा अंजलि प्लीज तुम यहाँ से चली जाओ, मुझे इस वक़्त तुमसे कोई बात नहीं करनी। मैं नहीं जाऊँगी, अंजलि ने बड़े प्यार से कहा। मयंक ने कहा ठीक है मत जाओ, मैं ही यहाँ से चला जाता हूँ। मयंक जाने लगा तो आयुष ने फ़ोन पर कहा अंजलि रोको उसे। अंजलि जाकर मयंक के आगे खड़ी हो गयी और कहने लगी मयंक मैं तुम्हें नहीं जाने दूँगी। मयंक ने कहा अंजलि मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आ रहा है, तुम प्लीज जाओ यहाँ से और मुझे अकेला छोड़ दो। अंजलि बोलो कुछ........आयुष ने फ़ोन पर कहा। मैं नहीं जा सकती तुम्हें छोड़कर, अंजलि ने कहा। क्यों, क्यों नहीं जा सकती तुम, मयंक ने गुस्से में कहा। क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ। मयंक ने एक पल को अंजलि की तरफ देखा लेकिन अगले ही पल उसने कहा अंजलि प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो। मयंक आई एम सॉरी, तुम मेरी बात तो सुन लो। उधर आयुष ने कहा, प्रिंसेस, गो एंड किस हिम?? व्हाट??? अंजलि ने कहा तुम पागल तो नहीं हो? अंजलि ने ये आयुष से कहा था लेकिन मयंक को लगा कि अंजलि उसे पागल कह रही है। हाँ, मैं पागल हूँ। ठीक है पागल हूँ, मयंक ने गुस्से में कहा। तब तक आयुष फ़ोन पर कहता है अंजलि बातें करना बंद करो प्लीज एंड किस हिम यार! ओके कहकर अंजलि आगे बढती हैं और मयंक के होठों पर अपने होठ रख देती है। उस लम्हें में दोनों ही एक-दूसरे में खो जाते हैं। आयुष कहता है अंजलि, अंजलि जवाब तो दो।
आयुष की आवाज से अंजलि होश में आती है और मयंक से दूर हटकर खड़ी होती है। मयंक जो थोड़ी देर पहले इतने ज्यादा गुस्से में था। उसका गुस्सा अंजलि की इस हरकत से गायब हो चुका था। वो अंजलि को बड़े प्यार से देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। आयुष ने कहा प्रिंसेस तुम सुन रही हो ना मुझे, हो गया.....अंजलि ने गहरी साँस लेते हुए कहा। ओके तो वो ठीक है अब, आयुष ने कहा? हाँ लग तो रहा है, अंजलि ने मयंक की तरफ देखते हुए कहा। मयंक जो अब तक अंजलि को बड़े प्यार से देख रहा था। उसने अंजलि से कहा तुम ये क्या बोलती जा रही हो? क्या हुआ है तुम्हें, क्या तुम किसी से बात कर रही हो? अंजलि ने बिना सोचे-समझे बोल दिया हाँ वो आयुष है फोन पर। इधर आयुष ने अंजलि की इस हरकत पर अपना सिर पीट लिया था और दूसरी तरफ मयंक का पारा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था। तुम ऐसा कैसे कर सकती हो अंजलि? हद है यार मतलब तुम जो कुछ भी कह रही हो, जो कुछ कर रही हो उसके लिए तुम्हें आयुष गाइड कर रहा है। आर यू इन योर सेंसेंस? दिमाग ख़राब तो नहीं हो गया है तुम्हारा?
अंजलि चुपचाप मयंक की डांट सुन रही थी और आयुष भी दूसरी तरफ अंजलि की हालत से वाकिफ था। उसने कहा अंजलि यार तुम भी ना, मनाओ उसे जाकर। अंजलि ने कहा तुम फोन रखो, बकवास बंद करो अपनी। मैं अपने आप हैंडल कर लूँगी। अंजलि ने गुस्से में आयुष का फोन काट दिया। मयंक वहाँ से चला गया था और अंजलि उसे ढूँढने लगी।
आयुष बेचारा चुपचाप वहीं बैठा हुआ था तभी दिव्या और बाकी सब उसे ढूँढते हुए वहाँ पहुँच गए थे। आयुष को ऐसे चुपचाप बैठा देख दिव्या ने कहा क्या हुआ अंजलि नहीं मिली क्या? तुम टेंशन मत लो वो मिल जाएगी। वो यहीं कहीं होगी, मयंक भी उसे ढूँढने गया है। आयुष ने जब नज़र उठाकर सबकी तरफ देखा तो वो सभी एक साथ ही बोल पड़े कुछ हुआ है क्या? हम्म.....कहकर आयुष ने उन्हें सब बता दिया। आयुष की बात सुनकर दिव्या कहने लगी तुम्हारा दिमाग तो ठीक है, ये क्या घटिया प्लान बनाया था तुमने, अब तो मयंक और भी नाराज़ हो गया होगा। आयुष ने कहा अरे ऐसी कोई बात नहीं अंजलि उसे मना लेगी। सभी आयुष के पास बैठकर अंजलि और मयंक का इंतजार करने लगे थे।
दूसरी तरफ अंजलि आखिरकार मयंक के पास पहुँची तो उसने देखा मयंक किसी बच्चे के साथ खेल रहा था। अंजलि ने कहा मयंक ये बच्चा कौन है? मयंक ने बिना उसकी तरफ देखे ही कहा तुम्हें क्या? तुम जाओ अपने उस इंटेलीजेंट दोस्त के पास। एक मिनट कहीं वो अब भी तुम्हें फ़ोन पर गाइड तो नहीं कर रहा कि मयंक को कैसे मनाना है? अंजली ने सुना तो कहा ये लो मेरा फ़ोन, ये ब्लूटूथ। मयंक ने कहा मैं क्या करूँ इसका, तुम्ही रखो। वरना तुम्हें दिक्कत हो जाएगी। तभी मयंक के साथ खेल रहे बच्चे ने कहा ये आपकी गर्लफ्रेंड है क्या? उसकी बात सुनकर अंजलि और मयंक दोनों एक-दूसरे की तरफ देखने लगे थे। बच्चे ने फिर कहा लगता है आप अपनी गर्लफ्रेंड से नाराज हो? मयंक का मुँह खुला हुआ था इतने छोटे-से बच्चे के मुँह से ये सब सुनकर लेकिन अंजलि वो तो बस मुस्कुरा रही थी। उसने उस बच्चे से कहा इधर आओ बेटा! उस बच्चे ने कहा मुझे बेटा मत कहो, बेटा तो मुझे सिर्फ मेरी मम्मा ही बुला सकती हैं। अंजलि ने कहा ओके तो आपकी मम्मा हैं कहाँ? मेरी मम्मा मुझे ढूँढ रही होंगी, तो मैं चलता हूँ। अंजलि ने कहा एक मिनट रुको बेटा, मैंने कहा ना आपको बेटा मत कहो मुझे, बच्चे ने तुनककर कहा। सॉरी बेटा..............आई मीन सॉरी ऐसा करो तुम मुझे अपना नाम बता दो ताकि मैं तुम्हें तुम्हारे नाम से बुला सकूँ। बच्चे ने अंजलि को लगभग घूरते हुए कहा मेरा नाम.................. मयंक है। मयंक...... अंजलि ने चौंकते हुए थोड़ा तेज़ आवाज में कहा तो मयंक पलट कर अंजलि की तरफ देखने लगा था। ओके मयंक आप बहुत क्यूट हो, आपको चॉकलेट खाना पसंद है, अंजलि ने पूछा? बच्चे ने खुश होकर कहा यस आई लव चॉकलेट। अंजलि ने अपनी पर्स से एक चॉकलेट उस बच्चे को देते हुए कहा ओके तो मयंक ये तुम्हारे लिए। अब चलो जल्दी से अपनी मम्मा के पास जाओ, वो आपको ढूँढ रही होंगी। तभी एक औरत वहाँ उस बच्चे को ढूँढते हुए आ गई और उस पर गुस्सा होती हुई उसे अपने साथ लेकर चली गई थी।
अंजलि अब आकर मयंक के पास खड़ी हुई। मयंक ने कहा अंजलि क्या आयुष तुम्हारी ज़िन्दगी में इतना इम्पोर्टेन्ट है कि तुम उससे सब कुछ शेयर कर सकती हो। अंजलि ने कहा मयंक तुम इसलिए नाराज हो क्या? नहीं तो मैं क्यों नाराज होने लगा, मयंक ने धीरे से कहा। अंजलि ने कहा मयंक आराम से बैठो और मेरी बात ध्यान से सुनो। मयंक चुपचाप वहीं रखी एक बेंच पर बैठ गया। अंजलि भी उसके साथ बैठ गई। थोड़ी देर चुप रहने के बाद अंजलि ने मयंक का हाथ अपने हाथ में लिया तो मयंक का दिल जोरों से धड़क उठा। अंजलि ने कहा मयंक आयुष मेरा दोस्त है और हम एक-दूसरे से अपने दिल की हर बात शेयर करते हैं। अमृता के जाने का दुःख हम दोनों के लिए एक ही जैसा था। शायद उसी वजह से हम एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे। लेकिन उसके बाद मुझे जब भी कोई प्रॉब्लम होती थी वो हमेशा मेरा साथ देता आया है। लेकिन हम सिर्फ और सिर्फ अच्छे दोस्त हैं क्योंकि आयुष दिव्या को चाहता है और मैं........................मयंक और अंजलि एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे और अंजलि ने मुस्कुरा कर कहा तुम सुन रहे हो न मयंक........ और मेरी ये बात हमेशा ध्यान रखना मैं.............तुम्हें चाहती हूँ मयंक..... सिर्फ तुम्हें। मयंक ने सुना तो उसने अंजलि से कहा तुम सच कह रही हो ना? अंजलि ने कहा हम्म...एकदम सच कह रही हूँ।
मयंक ने कहा तुम्हें पता है अंजलि मैंने कभी किसी लड़की को अपना दोस्त भी नहीं बनाया है। तुम्हारे सिवा मेरी ज़िन्दगी में और कोई इम्पोर्टेन्ट नहीं है। अंजलि ने कहा मैं ये जानती हूँ। अंजलि और मयंक दोनों एक साथ बैठे हुए एक-दूसरे में ही गुम थे।
"आँखों ही आँखों में उस पल, हो रही थी कुछ बातें,
वक़्त का कहाँ होश था, थी दो दिलों की मुलाकातें।"
उधर दिव्या और बाकी सब काफी देर इंतजार करने के बाद आखिरकार अंजली और मयंक को ढूँढने निकले और जल्दी ही उन्होंने ढूँढ भी लिया था। आयुष उनकी तरफ बढ़ा ही था कि दिव्या ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया था। आयुष ने कहा यार दिव्या तुम्हें क्या हुआ अब, ये कोई टाइम है रोमांटिक होने का। दिव्या आयुष को घूरने लगी थी और बाकी सब आयुष की बात पर हँस पड़े थे। शुभम ने कहा यार आयुष उन दोनों का तो पैचअप हो गया लग रहा है लेकिन तुम संभालो कहीं तुम्हारा ब्रेकअप ना हो जाए। रागिनी ने कहा चलो हम लोग चौकी ढानी घूमते हैं। इन दोनों को एक साथ रहने दो। शुभम ने कहा उन्हें बता तो देते हैं। रिया ने भी उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा हाँ ठीक है उन्हें कह देते हैं कि हम घूमने जा रहे हैं। अगर उन दोनों को साथ आना होगा तो वो आ जायेंगे और अगर नहीं आना होगा तो वापसी के समय सीधा बस में ही आ जायेंगे। राघव ने कहा मैं जाकर मयंक से कहकर आता हूँ। लेकिन रागिनी ने कहा वापिस चलो फ़ोन पर ही कह देते हैं। हाँ ये आईडिया सही रहेगा, दिव्या ने कहा और शुभम ने उसे फ़ोन किया। मयंक ने फ़ोन उठाया और कहा हाँ शुभम क्या हुआ?
शुभम ने कहा यार मयंक तू भाभी के साथ है? हाँ अंजलि मेरे साथ ही है, क्या हुआ मयंक ने कहा? कुछ नहीं बस ये बताने के लिए फ़ोन किया है कि हमने देख लिया तुम दोनों कैसे एक-दूसरे के प्यार में खोये हुए बैठे हो। बस इसलिए तुम्हें डिस्टर्ब नहीं कर रहे। हम घूमने जा रहे हैं, आप भाभी के साथ एन्जॉय करें और हाँ आज भाभी को बता देना कि "वो तुम हो" का क्या मतलब है? और अपनी सारी शायरियां और कवितायें भाभी को सुनाकर उन्हें खुश कर देना। वापिस जाकर मैं कोशिश करूँगा तुम दोनों की शादी करवा दूँ। मयंक ने सुना तो हँसने लगा था और दूसरी तरफ भी सब शुभम की बातों को सुन हँस रहे थे। मयंक ने कहा ठीक है भाई मैं फ़ोन रखता हूँ। मयंक के फ़ोन रखते ही अंजलि ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा कि क्या हुआ है? मयंक ने उसे शुभम की कही हुई बातें बताई तो अंजलि भी मुस्कुराने लगी थी।
अंजलि ने कहा अच्छा मयंक "वो तुम हो" जो तुम अक्सर कहा करते थे और मेरे पूछने पर इगनोर किया करते थे, उसका क्या मतलब है? मयंक ने कहा अंजलि ये बस मेरे दिल का एक एहसास है जो मुझे तुमसे मिलने के बाद समझ आया। अंजलि ने कहा अच्छा तो फिर आज कोई कविता सुनाओ। क्या अभी सुनाऊं........ मयंक ने पूछा? हम्म...अंजलि ने उसके कंधे पर अपना सिर रखते हुए कहा। मयंक मुस्कुराया और बुन बैठा एक कविता अपनी "वो तुम हो" के लिए। तो आइये हम भी सुनते हैं कि आखिर मयंक ने अपनी "वो तुम हो" के लिए क्या बुना था?
राज़ था वो चेहरा, इक ख्वाब था वो चेहरा,
जिसे देखने से होता था हर दिन मेरा सुनहरा,
आती थी मेरे ख्वाब में वो बनकर इक कहानी,
मैं हुआ था दीवाना वो लड़की भी थी दीवानी,
सोचा नहीं था मेरे ख्वाब की कभी ताबीर होगी,
जो बसती है मेरी रूह में वो मेरी तकदीर होगी।
तुम रूबरू हुई जब चली थी इश्क की हवायें,
दीवानगी का था मौसम, कुछ सर्द थी फिजायें,
दीदार कर तुम्हारा फिर मैं होश में कहाँ था,
दिल की धड़कनों को मिला इक नया जहाँ था,
बेबाक अदा उसकी मेरे दिल को छू गयी थी,
ख्वाब सच हुआ तो ये दुनिया ही हुई नई थी।
वो बैठे हुए हैं इस पल थामकर के मेरी बाँहें,
वो हँसी है इतने तो हम क्यों ना उन्हें चाहें,
उनके होठो की छुअन से मैं मोम हो जाता हूँ,
उनकी बाँहों के हो घेरे फिर न होश में आता हूँ,
वो पूछते हैं मुझसे क्या तुम मेरी चाहतों में गुम हो?
मैं कहता हूँ उससे जिसे चाहा मैंने "वो तुम हो"।
मयंक कहते-कहते अचानक चुप हो गया तो अंजलि ने कहा मयंक चुप मत हो प्लीज ऐसे ही कहते रहो। मेरा दिल करता है तुम हमेशा मुझे यूँ ही कविताएँ सुनाते रहो और मैं बस हमेशा यूँ ही तुम्हें सुनती रहूँ। मयंक ने कहा क्या सच में? अंजलि ने मयंक के सीने से लगते हुए कहा हम्म....सच में। वो दोनों यूँ ही एक-दूसरे की आगोश में बैठे हुए तब तक बातें करते रहे जब तक कि उन्हें वापिस जाने के लिए फ़ोन नहीं आ गया।
मयंक ने देखा फ़ोन शुभम का ही था। उसने फ़ोन उठाया और कहा हाँ शुभम बोल। शुभम ने कहा यार मयंक बस कर जन्मों की मोहब्बत क्या एक ही दिन में लुटा देगा? मयंक मुस्कुराया, अंजलि ने इशारे से उससे पूछा क्या हुआ? मयंक ने कहा ठीक है कहाँ हो तुम लोग? बस में हैं हम सब और सिर्फ तुम दोनों का ही इंतजार कर रहे हैं। ठीक है फिर आते हैं हम, कहकर मयंक ने फ़ोन रख दिया। अंजलि ने कहा कहाँ है वो लोग? मयंक ने अंजलि को मुस्कुराकर देखा और उसके होठों पर अपनी ऊँगली रखते हुए कहा- श्ह.............मेरी बात सुनो अंजलि। मयंक ने अंजलि के चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके माथे पर किस किया और कहा अंजलि तुम मेरे लिए बहुत स्पेशल हो। अंजलि ने कहा सिर्फ स्पेशल.......ह्म्म्म???? मयंक ने कहा नहीं बहुत स्पेशल हो तुम। अंजलि ने कहा… नहीं कुछ मजा नहीं आया, कुछ और ट्राई करो। थोड़ी देर सोचने के बाद मयंक ने अपने पास ही एक क्यारी में से अलग-अलग किस्म के लगे फूलों को तोड़ लिया और अंजलि को खड़े होने को कहा। अंजली खड़ी हुई तो मयंक खुद उसके सामने घुटनों पर बैठ गया। अंजलि मयंक को इस तरह देख मुस्कुरा उठी थी।
मयंक ने कहा अंजलि..................... मेरी मोहब्बत, मेरा इश्क, मेरी दीवानगी हो तुम एंड आई लव यू..........आई लव यू मोर देन माय लाइफ। अंजलि खुद भी मयंक के सामने अपने घुटनों पर बैठ गयी और उसने कहा लव यू टू बंदर। मयंक ने कहा यार कब तक तुम ये बंदर कहकर बुलाओगी मुझे? बचपन का कुछ भी याद नहीं तुम्हें लेकिन ये बंदर कहना नहीं भूली, पूछ सकता हूँ क्यों?
अंजलि ने कहा उठो चलो चलते हुए बताती हूँ। अंजलि ने कहा मुझे तो ये भी याद नहीं था। तुम्हें याद है जिस दिन हम तुम्हारे डैड की पार्टी में मिले थे। उस रात घर पर मेरे मॉम-डैड बात कर रहे थे तभी उन्होंने बताया था कि मैं बचपन में तुम्हें बंदर कहकर बुलाया करती थी। मयंक ने सुना तो कहने लगा उफ्फ ये अंकल-आंटी को भी बस यही याद रहा। उन्हें ये नहीं याद रहा कि तुम मुझसे कितना लड़ती थी और कितना परेशान किया करती थी? अंजलि ने कहा वाकई...क्या याद है तुम्हें? मयंक ने कहा ज्यादा कुछ तो नहीं लेकिन कुछ-कुछ बातें याद हैं, तुम्हें कभी फुर्सत में बताऊंगा। अभी चलो, वरना शुभम का फ़ोन फिर से आ जायेगा। अंजलि और मयंक ने एक-दूसरे का हाथ थामा और चलने लगे। जल्दी ही वो दोनों बस तक पहुँच गए। बस वापसी के लिए बिलकुल तैयार खड़ी थी। जैसे ही मयंक और अंजलि बस में चढ़े तो बस चल पड़ी। जल्दी में अंजलि आयुष के पास बैठ गयी और मयंक ने देखा आगे ड्राईवर के पास सीट खाली है तो वो खुद वहाँ जाकर बैठ गया था।
क्रमश:

