वो तस्वीर और बूढ़ा आदमी
वो तस्वीर और बूढ़ा आदमी


आकाश को ऑफिस से किसी साइट पे काम के लिए भेजा गया। आकाश उस मकान में एक महीने पहले ही शिफ्ट हुआ था। काम देर रात तक करता था तो काफी चाय की चुस्कियां हो जाती थीं। एक दिन जब आकाश को काम करते हुए काफी देर हो गयी तो वो थोड़ा सुस्ताने के लिए खिड़की से बाहर देखने लगा।
चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। रात काफी गहरा चुकी थी। हवा साएं साएं करके जैसे कानो में कुछ कह रही थी।अचानक आकाश की नज़र उसके घर से थोड़ी दूर पर एक मकान की खिड़की पर पड़ी। उस मकान में से बहुत तेज़ चमकती हुई रौशनी आ रही थी। उस रौशनी में एक अजीब सी चमक थी। आकाश बहुत बेचैन हो उठा। अचानक उसके कदम अपने आप तेज़ी से उस मकान से आ रही रौशनी की ओर बढ़ चले। रात गहरा चुकी थी। पर आकाश तो जैसे अपने होश ही खो बैठा हो और किसी मंत्रवश उस रौशनी की तरफ खींचा चला जा रहा हो।
अचानक मकान पे पहुंच के उसके कदम रुक गए। और सहसा ही उसके मुँह से निकला "ओह ! यह क्या मैं यहाँ कैसे आ गया।" आकाश ने उस मकान के दरवाज़े की घंटी दबाई। मकान से कोई आवाज़ न आयी। आकाश ने ऐसे करके बहुत बार घंटी दबाई पर कोई न निकल के आया।
थक हार के जैसे ही आकाश जाने को पीछे मुड़ा तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी और उसने जैसे ही देखा की कौन है तो वह डर गया। मकान से एक बूढ़ा आदमी निकल के आया, उसके चेहरे पर हज़ारों रेखाएं थी, दाढ़ी बढ़ी हुई थी, बाल बिखरे हुए थे, कपडे भी मैले कुचैले से लग रहे थे।
आकाश घबरा तो बहुत गया था फिर भी सँभलते हुए बोला "मैं यही पास में ही रहता---" , आकाश की बात पूरी भी न हो पायी थी की बूढ़ा आदमी बिना कुछ बोले अंदर चला गया। आकाश जैसे सु
ध बुध खो उसके पीछे चलता चला गया। बहुत देर तक ख़ामोशी छाई रही। ऐसा लग रहा था मानो वहां बरसों से कोई रहता ही न हो। पर यह बूढ़ा आदमी यहाँ क्या करता है। आकाश सोच रहा था। एक अजीब सा सन्नाटा था उस मकान में। बहुत देर बाद बूढ़ा आदमी बोला "बताओ क्या चाहते हो ? क्यों आए हो यहाँ ?"
आकाश जैसे नींद से जगा हो। "मुझे नहीं पता मैं यहाँ कैसे आया पर आपके कमरे की रौशनी मेरे कमरे की खिड़की पर पड़ती है, मैं पूछना चाहता हूँ की वह क्या चीज़ हैं जो बहुत तेज़ चमकती हुई आपके मकान से दिखती है।" आकाश ने कहा
बूढ़ा आदमी मुस्कुराया और एक तस्वीर ले के आया और बोला "इस तस्वीर को ध्यान से देखो और बताओ की तुमने क्या देखा।"आकाश ने उस तस्वीर को देखा तो देखता ही रह गया, इतनी गहरी तस्वीर आज तक उसने नहीं देखी थी। अजीब सी खिचन थी उस तस्वीर में। अचानक आकाश के चेहरे पे पसीने की बूंदे गिरने लगती हैं और थोड़ी ही देर में आकाश पसीने पसीने हो जाता है। आकाश बहुत घबरा जाता है और हड़बड़ा कर वहां से भाग जाता है। उस मकान का दरवाज़ा आकाश जैसे ही बाहर निकलता है अपने आप बंद हो जाता है। आकाश बहुत बीमार पढ़ जाता है। जैसे उसने उस तस्वीर में "डर" देख लिया हो।
आकाश भूल नहीं पता उस बूढ़े आदमी को और कुछ दिन बाद आकाश फिर उस जगह पर जाता है और वो घर को देखता है सुबह के समय तो वहां ऐसा लगता है जैसे सालों से कोई रहा न हो। आकाश वहां के आस पास के लोगों से पूछता है की "यहाँ जो एक बूढ़ा आदमी रहता है वह कहाँ है।" लोग कहते हैं "यहाँ जो बूढ़ा आदमी रहता था उसको तो मरे हुए २ साल हो गए और ये मकान पिछले दो सालों से वीरान पड़ा है।"