वो सुबह तो कभी आएगी
वो सुबह तो कभी आएगी
"फेयर एंड लवली तो अब ग्लो एंड लवली हो गयी है। ये सेनेटरी पैड्स के विज्ञापन वाले न जाने कब अपने विज्ञापन में बदलाव लाएंगे ?",टीवी देखते हुए मेरी किशोर बेटी निहारिका ने अपनी दोस्त सोनी से कहा।
मैं भी वहीँ बैठकर लंच के लिए सब्जियाँ साफ़ कर रही थी। बेटी की सहेली आज कुछ प्रोजेक्ट का काम करने आयी हुई थी।दोनों सुबह से ही अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगी हुई थी। अभी कोई 10 मिनट पहले ही दोनों बाहर हॉल में आयी थी और टीवी देखने लगी थी। मेरी बेटी बिलकुल मुझ पर गयी थी। मैं भी दकियानूसी बातों का विरोध करती थी और हर बात पर बहस करती थी।
"क्यों भई ? क्या हुआ ?",बेटी की दोस्त सोनी ने पूछा।
"ये कब तक ब्लड को लाल की जगह नीला दिखाते रहेंगे ?आखिर हमारी स्कर्ट के पीछे लगे लाल धब्बों को इतना छिपाने की क्या जरूरत है ?",मेरी बेटी ने कहा।
"बात तो सही है। पीरियड्स एक प्राकृतिक घटना है। उसको लेकर इतना दुराव और छिपाव क्यों ?",सोनी ने कहा।
"बेटा ,आज तो तुम दोनों मेरे सामने बैठकर यह विषय डिस्कस तो कर पा रही हो ;नहीं तो जब मैं तुम्हारी उम्र की थी ,हम इस पर बात तक नहीं कर सकते थे।बस इतना सोचती थी कि 'वो सुबह तो कभी आएगी ',जब 'ये लाल रंग ' हमें छिपाना नहीं पड़ेगा । ",उनकी बातों को सुनकर मैं अपने आपको रोक नहीं सकी थी। मैं उन्हें बस यह बताना चाहती थी कि जो अब तक महिलायें हासिल कर पायी हैं ;वे दोनों उन उपलब्धियों के मूल्य को समझे और उसकी कद्र एवं हिफ़ाजत करे।
"अच्छा आंटी। ",सोनी ने कहा।
"हाँ बेटा ,मैं जब छोटी थी तो टीवी पर carefree का एक विज्ञापन आता था। एक दोस्त ,दूसरी दोस्त को आकर बोलती है कि 'चुप-चुप बैठे हो जरूर कोई बात है'। दूसरी दोस्त उसक कान में कुछ कहती है। मुझे तब समझ नहीं आता था कि ये दोनों क्या बातें कर रहे हैं। विज्ञापन में भी बहुत ही ज़्यादा प्रतीकों के इस्तेमाल से दर्शाया भर गया था। ",मैंने कहा।
"ओह्ह माय गॉड मम्मा। ",मेरी बेटी ने कहा।
"फिर बेटा ,मैं थोड़ी बड़ी हुई तो अपने ननिहाल गयी थी। वहाँ विज्ञापन देखकर मैंने अपनी मामी से पूछा था कि मामी यह क्या काम आता है।तब मेरी मामी हँसने लग गयी थी और उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। तब मैंने सोचा था कि यह शायद फेस क्लीन करने के काम आता है। ",मैंने कहा।
"हा हा हा ;आंटी फिर आपको कब और कैसे पता चला ?",सोनी ने हँसते हुए पूछा।
"बेटा ,शायद 8 वीं कक्षा में थी। तब मेरी क्लासमेट ने बताया था कि उसकी दीदी को अपनी पैंटी पर ब्लड दिखा था।फिर उसकी दीदी ने माँ को बताया और उसके बाद पता नहीं दोनों में की बात हुई कि माँ और उसकी दीदी दोनों रोने लग गयी। उसन जब पूछा तो बस इतना कहा कि तेरी दीदी अब औरत बन गयी है। फिर उसी क्लासमेट ने कहा था कि ऐसा होने के बाद सभी लडकियां रोती हैं। ",मैंने कहा।
"रोती हैं ? यह कोई दुःखद घटना थोड़ी न है ?",मेरी बेटी ने पूछा।
"मैंने भी यही कहा था। लेकिन मेरी बात सुनकर उसने मुझे ऐसे देखा कि मानो मैंने कोई गुनाह कर दिया हो। ",मैंने कहा।
"फिर आप भी रोये थे क्या मम्मा ?",मेरी बेटी ने हँसते हुए पूछा।
"नहीं बेटा। लेकिन कई दिनों तक मुझे अपने ऊपर बड़ी ग्लानि हुई थी कि जिस बात से सारी लड़कियां इतनी विचलित होती हैं;उससे मुझे कोई फर्क ही नहीं पड़ा। ",मैंने हँसते हुए कहा।
"आंटी ,पहले कितने सारे सोशल टैबू थे। ",बेटी की दोस्त न कहा।
"हाँ बेटा ,आज तो हम विज्ञापन में अक्षय कुमार को बोलते हुए सुन सकते हैं कि पैड्स खरीद जिससे पत्नी को माहवारी में कोई तकलीफ न हो। पहले तो विज्ञापनों में 'उन मुश्किल दिनों में' जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता था। ",मैंने कहा।
"हाँ आंटी ,अब तो जोमाटो ने पीरियड्स लीव देकर इस विषय को मुख्यधारा में चर्चा का विषय बना दिया है। अब तक जो हासिल किया है,वह भी कोई कम नहीं। ",बेटी की दोस्त ने कहा।
"हां बेटा। एकदम सही कहा। 'चुप चुप बैठी हो' से ,पत्नी की माहवारी की तकलीफ कम करने के लिए पैड्स खरीदो, तक का लम्बा सफर किया है हम लोगों ने। "मैंने सब्जियाँ उठाकर किचेन में जाते हुए कहा।
