भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

4.0  

भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

वो और मैं- 9

वो और मैं- 9

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वो- "तुम इतना कड़वा कैसे लिख लेती हो?"

मैं-"क्योंकि कड़वी हूँ ।"

वो- "बनाओ मत, जानता नहीं क्या तुम्हे ? तुम मिठास लिखना ही नहीं चाहतीं।"

मैं-"ऐसा तो नहीं है.. पर मिठास है कहाँ, मुझे तो न दिखती न मिलती।"

वो-"ये कहो कि तुम देखना या लेना ही नहीं चाहतीं।"

मैं-"मुझे हर किसी से नहीं चाहिए।"

वो-"वाकई बहुत कड़वी हो तुम।"

मैं-"वही तो कहा था शुरू में।"

वो-"तुम....तुम्हारा क्या करूँ मैं!!

मैं-"कुछ नहीं।"



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