भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

4.5  

भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

वो और मैं - 8

वो और मैं - 8

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वो- तुम्हारा मिज़ाज़ आज उखड़ा उखड़ा क्यों लग रहा ?

मैं- यार ..समझ नहीं आता, क्या इतनी आसान लगती हूँ।

वो- लगती तो हो..पर हो नहीं।

मैं- पर मैं लगना भी नहीं चाहती।

वो- ये तो यार बड़ा ही मुश्किल है।

मैं- क्यों ?

वो-तुम्हारे साथ बैठो तो तुम्हारी खामोशी में भी सुकून है।

मैं-अरे यार..तुम फिर शुरू हो गये।

वो- क्या शुरू...अब जो है सो है।

मैं-ऐसा है कि अब दुबारा बात करने मत चले आना, गुड बाय।

वो- अरे!

मैं-(ब्लॉक)


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