भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

3.5  

भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

वो और मैं - 10

वो और मैं - 10

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वो- सो रहीं थी क्या?

मैं-नहीं... घास छील रही थी।

वो-सॉरी, आदत हो गयी है बात करने की तो..।

मैं-कुछ समय बाद ये नहीं रहेगी....।

वो-अरे! तुम मुझे हमेशा उल्टे जवाब क्यों देती हो।

मैं-ख़ैर... कैसे फोन किया? लैंडिंग हो गयी तुम्हारी?

वो-हां, काश तुम साथ आ पातीं, बेहद खूबसूरत जगह 

  है, तुम्हारी प्रेम कविताओं जैसी।

मैं-फोन रखो यार , यहां सुबह के 4 बज रहे है!!

वो-सुनो...रियली..मिला नहीं कभी तुमसे, पर ...लौटते ही

  मिलना चाहूंगा।

मैं- अब फोन रख भी दो भाई, सोने दो।

वो- ओह सॉररी..ओके स्वीटहार्ट ,स्वीट ड्रीम्स।

मैं-ओके इडियट, एन्जॉय ।


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