वो और मैं - 10
वो और मैं - 10
वो- सो रहीं थी क्या?
मैं-नहीं... घास छील रही थी।
वो-सॉरी, आदत हो गयी है बात करने की तो..।
मैं-कुछ समय बाद ये नहीं रहेगी....।
वो-अरे! तुम मुझे हमेशा उल्टे जवाब क्यों देती हो।
मैं-ख़ैर... कैसे फोन किया? लैंडिंग हो गयी तुम्हारी?
वो-हां, काश तुम साथ आ पातीं, बेहद खूबसूरत जगह
है, तुम्हारी प्रेम कविताओं जैसी।
मैं-फोन रखो यार , यहां सुबह के 4 बज रहे है!!
वो-सुनो...रियली..मिला नहीं कभी तुमसे, पर ...लौटते ही
मिलना चाहूंगा।
मैं- अब फोन रख भी दो भाई, सोने दो।
वो- ओह सॉररी..ओके स्वीटहार्ट ,स्वीट ड्रीम्स।
मैं-ओके इडियट, एन्जॉय ।