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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

वो अजनबी खास हो गया...

वो अजनबी खास हो गया...

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अजनबी की तरह मिले हम दोनो 

पता नही चला कब पहचान हो गया 

आपकी हर बात को

 हमारे लिए वो दास्तान हो गया...... ।।


बातों ही बातों मे हम 

इतना आगे निकल गये की, 

पता ही नही चला तुम कब 

वो अजनबी खास हो गया.........।।


बेनाम रिश्ते का 

ये कैसा एहसास है जो

वो तो एक अजनबी है 

फिर भी न जाने क्यों वो खास गया....!!


कोई अजनबी फिर खास होने लगा , 

लगता है फिर के मुझे उनसे प्यार होने लगा 

कोई अजनबी इतना क्यों खास हो रहा 

लगता है यूं मुझे मोहब्बत का अहसास हो रहा ....।



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