STORYMIRROR

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Romance Others

4  

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Romance Others

तस्वीर खुद की

तस्वीर खुद की

1 min
15

मैं खुद को अब यु ही बदलने लगी हूं ।
ख्वाबों से दूर उठ कर कही अब चलने लगी हूं ।
मैं ज़िन्दगी को अपने ही 
नज़रिए से समझने लगी हूं ।।

अपने ही लफ्जो में 
खुद कहने की अब जरूरत नहीं है,
मैं अपने ही दो तरफा 
उन चेहरों को अब पढ़ने लगी हूं ।।

ये बदलती दुनिया की तस्वीर देख कर,
अब खुद को बदलने लगी हूं ।।
ज़िन्दगी के इस सफ़र में आगे बढ़ने लगी हूँ,
अपने उन जज्बातों को उन्ही शब्दों में बुनने लगी हूं ।।

बेखौफ - बेखबर हो कर 
मै खुद की किस्मत को अब लिखने चली हूं 
दर्द को सुकून में बदल दे 
मैं ऐसी राह को अब चुनने लगी हूं ।।

मैं इस अंधेरी दुनिया से बाहर आ कर
उन उजालों से अब यु बाते करने लगी हूं ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract