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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

मेरी पहली कविता

मेरी पहली कविता

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मेरी पहली कविता की 

ना जाने क्यों याद आ गयी,

आँखों में ना जाने 

खुशियों की आँसू क्यों आ गयी।


लिखने का वैसे 

हमें कोई शौक नहीं था,

पर मेरे हाथों ने वो 

कलम को अपना लिया था।


किसी के यादों में 

बस यूँही कुछ लिख लिया,

दोस्तों के तारीफ ने 

अंदर के लेखक को जगा दिया।


आज जिस मुकाम पर खड़े हैं हम

उसका पूरा श्रेय दोस्तों एवं मेरी जान को ही देते हैं,

उनके बिना मेरे दर्द पन्नों पर 

और मैं खुद से कभी मिल नहीं पाते।


आज लिख रहा हूँ मैं 

अपनी पहली कविता के बारे में,

एक समय था जब 

मेरे दोस्त एवं मेरी जान मेरे थे।


उन्हीं के लिए तो लिखा था 

मैंने कविता प्यार से,

तारीफ करके उन्होंने

 मिलवा दिया मुझे अपने अंदर के लेखक से।


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