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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Children Stories Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Children Stories Inspirational

सुकून आँचल का

सुकून आँचल का

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एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा

मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा


बाबू बाबू कह कर जब मुझे यूं पालना में झुलाती है

स्वर्ग के अप्सरा भी यूं मंद मंद कर वो मुस्कुराती है

मां की गोद में आकर भगवान भी यूं बच्चे बन जाते हैं 

मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं


ईश्वर ने खुद को बनाया है 

एक ख्याल उनके मन में आया है 

अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है 

जिसका नाम माँ बतलाया है 


समंदर से गहरी ममता का होती है 

उठते तूफान को शांत वो करती है 

न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है 

मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है


वक्त बदल जाए हालात बदल जाए 

पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक

उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है

की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यूं खिल जाता है


जब मांँ की आवाज कानों में आती है 

सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है 

घर से निकल कर सर को झुका देते है 

मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं


बचपन में हो या हो बड़े आज भी

मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है

मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है 

मांँ तेरी उस गोद में आ कर 



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