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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Drama Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Drama Inspirational

विद्यालय के चाचा चौधरी और शरलाॅक होम्स

विद्यालय के चाचा चौधरी और शरलाॅक होम्स

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आज विद्यालय में शिक्षक अभिभावक संपर्क दिवस है। बहुत से अभिभावक अपने बच्चों के अध्ययन- अध्यापन एवं शैक्षणिक प्रगति की जानकारी लेने के लिए विद्यालय में आए हुए हैं। यह इस माह का अंतिम कार्य दिवस है और हर महीने के अंतिम कार्य दिवस की भांति आज का दिन भी अध्यापकों और विद्यार्थियों के अभिभावकों का एक दूसरे को आपस में संबंधित बच्चे से जुड़ी हुई छोटी- मोटी या विशेष हर प्रकार की गतिविधियों को एक दूसरे से साझा करने का दिन है। बाकी दिनों में भी अध्यापक और अभिभावकों के बीच मोबाइल के माध्यम से संपर्क होता रहता है। आवश्यकता पड़ने पर अभिभावक विद्यालय द्वारा निर्धारित समयावधि में विद्यालय में आकर अध्यापकों से मिल सकते हैं अथवा यदि अध्यापक को ऐसा लगता है कि किसी विद्यार्थी के अभिभावक से मिलना विद्यार्थी के हित में है तो विशेष परिस्थिति में वह अभिभावक को विद्यालय में आने के लिए सूचना भेजते हैं।


आज जब कई अभिभावक अपने बच्चे के कक्षा अध्यापकों से मिले तो उनमें से सात बच्चों के कक्षा अध्यापकों ने उनके अभिभावकों को बताया कि आपके बच्चे विद्यालय में अनियमित रहते हैं। जब उनके उपस्थिति रजिस्टर से उनके अनुपस्थित रहने के दिनों को देखा गया तो एक बड़ी विशेष बात निकलकर आई कि सात के सात ये बच्चे एक ही दिन अनुपस्थित हुआ करते थे। कुछ बच्चों के अभिभावकों का कहना था कि हाल के जिन दिनों में आपके अनुसार हमारा बच्चा विद्यालय नहीं आया था लेकिन उन दिनों में वह घर से तो सामान्य दिनों की तरह सही समय पर विद्यालय के लिए घर से निकला था और सामान्य रूप से अन्दर दिनों की तरह नियत समय पर विद्यालय से छुट्टी के समय घर पहुंच गया था। ऐसे में वह विद्यालय नहीं आया तो कहां गया? कुछ ऐसी ही आशंका को जानने के क्रम में कई दूसरे अध्यापकों ने भी अपनी कक्षा के अनियमित रहने वाले बच्चों की उपस्थिति चेक की तो पता चला इन सात बच्चों के अतिरिक्त कुछ तीन या चार बच्चे भी इन तिथियों में अनुपस्थित थे। आज उनके अभिभावक शिक्षक अभिभावक संपर्क में नहीं आए थे। संभव है कि ये सभी बच्चे किसी बहकावे में आकर असामाजिक गतिविधियों में लिप्त या किसी आपराधिक गैंग के संपर्क में आने के कारण ये सारे के सारे बच्चे से विद्यालय से एक साथ अनुपस्थित हो जाते हों। यह भी संभव है कि कोई असामाजिक तत्व इन बच्चों को धमकाकर या प्रलोभन देकर किन्हीं गैर कानूनी गतिविधियाें को अंजाम देने में इनकी मदद लेते हों।


विद्यालय के सभागार में इन सभी अभिभावकों, विद्यालय के प्रधानाचार्य जी और अनुशासन अनुशासन समिति के सभी पांच अध्यापकों ने मीटिंग की। इस मीटिंग में तय किया गया कि आज से ही सुबोध सर और और गौरव सर अपने साथ बारहवीं कक्षा के दो- दो छात्रों को लेकर इस मामले की खोजबीन करेंगे। सुबोध सर और गौरव सर दोनों ही खोजी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। इसलिए विद्यालय में इस जोड़ी को चाचा चौधरी और शरलाॅक होम्स का नाम दिया गया था। अभिभावकों से अपने घर पर अपने बच्चों या घर के दूसरे सदस्यों से इस बारे में कोई भी चर्चा न करने का निर्देश दिया गया था।


सुबोध सर और गौरव सर ने आपस में मंत्रणा की और तय किया कि बारहवीं कक्षा के दो छात्र अजय- विजय सुबोध सर के साथ तथा संजीव - राजीव गौरव सर के साथ रहेंगे। अजय चाचा चौधरी के साथ दूसरे ग्रह से आए पात्र साबू की तरह लम्बे चौड़े डील-डौल वाला छात्र था तो विजय कुशाग्र बुद्धि का स्वामी था। विजय को जासूसी उपन्यास पढ़ने का बेहद शौक था। योजना थी कि सुबोध सर अपने इन दोनों सहायक छात्रों के साथ उस क्षेत्र के लोगों से बातचीत करके जानकारी जुटाएंगे जिन क्षेत्रों से यह बच्चे विद्यालय आते हैं। वे इस बारे में भी जानकारी जुटाएंगे कि क्या इन क्षेत्रों में कुछ संदिग्ध गतिविधियों वाले लोग भी नजर आते हैं। गौरव सर ने विद्यालय के आसपास या घरों से विद्यालय के रास्तों में आने वाले पार्कों में जांच पड़ताल करते हुए इस संबंध में जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी ली। इस संबंध में मोबाइल के माध्यम से दोनों लोग आपस में एक दूसरे से जानकारी साझा करते रहेंगे। इस संबंध में पुलिस थाने में भी सूचित कर दिया जाएगा ताकि पुलिस टीम की भी आवश्यकतानुसार सहायता ली जा सके।


सुबोध सर ने उस क्षेत्र के लोगों से संपर्क किया जहां इनके घर थे अर्थात जिस क्षेत्र से ये बच्चे विद्यालय आया करते थे। इन क्षेत्रों की सिगरेट- पान की दुकान, कबाड़ी की दुकान और मोहल्ले की छोटी - मोटी फुटकर परचून की दुकानों पर संपर्क किया। सब जगह छानबीन करने के बाद जो निष्कर्ष निकाला गया उससे पता लगा कि इस क्षेत्र में कुछ पूर्वोत्तर क्षेत्रों के निवासियों से मिलती जुलती शक्ल वाले कुछ लोग आया जाया करते हैं। कुछ नाइजीरियाई हुलिए वाले लोग भी इन क्षेत्रों में आया जाया करते हैं। जो कई बार इस क्षेत्र से विद्यालय की ओर जाने वाले कुछ छात्रों से बातचीत करते हुए देखे गए थे। सुबोध सर ने इन लोगों को अपना परिचय देते हुए इन क्षेत्रों के बच्चों और समाज के कल्याण के लिए इन सब लोगों से ऐसे संदिग्ध लगने वाले लोगों पर पर लगातार नजर बनाए रखने और उसी के अनुसार सूचना देने के लिए कहा गया। उस क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में भी इस संबंध में विद्यालय का संदर्भ देते हुए बात की गई और पुलिस वालों ने भी हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।

गौरव सर ने भी पार्क और उसके आसपास के जूस -कॉर्नर, घूम घूम कर गुब्बारे, पापड़ और दूसरी छोटी मोटी चीजों को बेचने वाले फेरी वाले या दूसरे छोटे- मोटे दुकानदारों से बातचीत की। बड़ी सतर्कता के साथ मामले की छानबीन को अपने साथ विद्यालय से आए दोनों बच्चों के साथ आगे बढ़ाया।


सुबोध सर और उनके साथ सहायता करने वाले छात्र अगले दिन प्राप्त निर्देशों के अनुसार अपने-अपने घरों में परिवार के सदस्यों को सूचित करके विद्यालय की यूनिफॉर्म की बजाय साधारण कपड़ों में आए। अजय - विजय ने देखा कि ये बच्चे विद्यालय में निर्धारित समय से पहुंचने के अनुमानित समय के अनुसार सही समय पर ही अपने-अपने घरों से निकले और डिस्ट्रिक्ट पार्क में अलग-अलग रास्तों से प्रवेश करते हुए पार्क के माली के कमरे में थोड़े-थोड़े अंतराल पर पहुंचे। जहां उन्होंने अपने विद्यालय की यूनिफॉर्म और स्कूल बैग्स को छोड़ दिया। वे उस कमरे से यूनिफार्म के स्थान सामान्य कपड़े पहनकर उस कमरे से निकले। बाहर आकर पार्क की अलग-अलग जगहों पर दो से तीन बच्चों का समूह बना कर बैठ गए। पार्क के अलग-अलग हिस्सों से गौरव सर और उनके साथ आए छात्र राजीव- संजीव भी अजय -विजय की तरह अपने-अपने परिवार में सूचना देकर विद्यालय की यूनिफॉर्म की बजाय घर के ही साधारण कपड़ों में आए थे। राजीव -संजीव इन बच्चों की गतिविधियों पर दूर से ही पैनी नजर रखे हुए थे।


इसके थोड़ी ही देर बाद पार्क में पूर्वोत्तर क्षेत्र और नाइजीरियाई हुलिए वाले कुछ एक युवक आए और अलग-अलग बेंचों पर बैठे हुए इन बच्चों ने बड़ी सावधानी के साथ अलग-अलग जगह पर इन संदिग्ध से लगने वाले युवकों से संपर्क किया। गौरव सर देख रहे थे कि इन बच्चों को उन्होंने सिगरेट पिलाई, खाने के लिए कुछ चॉकलेट दिए। इसके साथ ही उन्होंने इन्हें कुछ पैकेट दिए। इसके बाद यह बच्चे उन पैकेट के साथ पार्क के अलग-अलग रास्तों से बाहर निकल कर अलग-अलग दिशाओं में चले गए।


पार्क से निकलने के बाद कौन सा बच्चा कहां जाता है ? इस बात का ध्यान रखते हुए बड़ी ही सूझबूझ के साथ उसका पीछा किया गया ताकि उसे यह एहसास न हो सके कि कोई उसका पीछा कर रहा है। सावधानी के साथ पीछा करने पर यह पता लगा कि इनमें से हर बच्चा अलग-अलग कुछ दुकानों पर गया वहां उसने दुकान वाले को पैकेट देकर बदले में उससे पैसे लिए और रास्ता बदलकर वे पार्क में पहुंचे। वे बच्चे दुकान वाले को पैकेट देकर जब वापस चले गए उसके कुछ देर के बाद साधारण कपड़ों में तैनात पुलिस के कर्मियों ने उन दुकानदारों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन इसकी भनक पार्क में संदिग्ध गतिविधियों वाले उन लोगों को नहीं लगने दी जिन्होंने यह पैकेट भिजवाए थे। पार्क में जब कोई बच्चा पुनः उस संदिग्ध व्यक्ति से मिलने पहुंचा जिसने उसे पैकेट दिए थे। जैसे ही पैसे देने के लिए वह बच्चा उस व्यक्ति के पास पहुंचा तो सादे कपड़ों में तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे वहीं दबोच लिया और पार्क में उपस्थित किसी दूसरे व्यक्ति को इसका एहसास भी नहीं होने दिया क्योंकि ऐसा होने पर बाकी जो दूसरे लोग थे वह सतर्क हो जाते। इस प्रकार सुबोध और गौरव सर ने उन चार छात्रों और पुलिस की मदद से मादक द्रव्यों की तस्करी में संलिप्त इन संदिग्ध विदेशी युवकों और इनसे जुड़े उन छोटे छोटे-छोटे दुकानदारों को गिरफ्तार कर लिया।


अगले दिन विद्यालय की प्रार्थना सभा में थाने के एस.एच.ओ. अपने कुछ पुलिसकर्मियों के साथ आए उन्होंने मादक द्रव्य की तस्करी से जुड़े लोगों को गिरफ्तार करवाने में कानून की सहायता करने के लिए शुभ अवसर पर गौरव सर के साथ इस कार्य में जुड़े उन छात्रों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की गतिविधियों में विद्यालय के कुछ छात्रों को इन तस्करों द्वारा बहला-फुसलाकर अपने साथ मिलाकर इस अवैध कार्य में संलग्न कर लिया गया था। उन्होंने इन बहकाए गए छात्रों की पहचान को गोपनीय रखा। उन्होंने कहा कि ऐसे विद्यार्थी जो बहकावे में आ गए थे उनकी कुछ मनो चिकित्सकों से और सलाहकारों से काउंसलिंग करवाई जाएगी और उन्हें सुधरने का एक अवसर दिया जाएगा। विद्यालय की प्रार्थना सभा में उपस्थित सभी छात्रों से इस प्रकार की गतिविधियों से बचकर रहने के लिए सदैव सतर्क होने को कहा गया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को सावधान करते हुए यह भी बताया कि यदि कभी आपकी जानकारी में ऐसा कोई व्यक्ति आपकी जानकारी में आता है तो इसकी सूचना आप अपने परिवार के लोगों, विद्यालय के अध्यापकों को या सीधे पुलिस को भी दे सकते हैं ताकि ऐसे असामाजिक तत्वों की गैर कानूनी गतिविधियों से हमारे समाज को बचाया जा सके। मादक द्रव्यों के दुष्प्रभावों का विस्तार सहित वर्तमान करते हुए बताया कि हर प्रकार के मादक द्रव्य हमारे समाज के लिए बहुत ही घातक होते हैं। जो हमारे धन और स्वास्थ्य को बर्बाद करके समाज का बहुत अधिक अहित करते हैं। मादक द्रव्य की यदि किसी को लत लग जाती है तो उसका साथी तो खराब होता ही है अपनी इस लत को पूरा करने के लिए वे विविध असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर चोरी, छीना -झपटी, पाकेटमारी, ठगी जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं। कोई भी व्यक्ति पहले तो शौकिया तौर पर इन द्रव्यों का प्रयोग करता है लेकिन बाद में इनकी लत लग जाने पर इनके जाल में फंस जाता है। नशे के आदी हो जाने पर लोग लालच या ब्लैकमेल किए जाने के डर से इन गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं।


विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने सुबोध सर और गौरव सर को क्रमशः विद्यालय का चाचा चौधरी और शरलॉक होम्स बताते हुए उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस कार्य में सुबोध सर और गौरव सर की सहायता करने के लिए विद्यालय के बारहवीं कक्षा के चारों छात्रों अजय, विजय, राजीव और संजीव की भी प्रशंसा करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। इस कार्य में पुलिस कर्मियों की सहायता उपलब्ध करवाने के लिए थाने के एस. एच. ओ. महोदय का धन्यवाद किया। विद्यालय के सभी छात्रों से अपना ध्यान अपने शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास की ओर लगाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हमें अपने आसपास यदि कुछ असामान्य सा लगता है तो आपके द्वारा इसकी सूचना अपने बड़ों को दी जानी चाहिए। विद्यालय के नवनियुक्त परामर्शदाता श्री प्रवीण सर का परिचय कराते हुए प्रधानाचार्य जी ने बताया हमारे विद्यालय में भी आपकी काउंसलिंग के लिए प्रवीण सर काउंसलर के रुप में उपलब्ध हैं। सभी विद्यार्थियों को यह सलाह दी गई कि वे नियमित रूप से अपने अभिभावकों और अध्यापकों का संपर्क करवाते रहें और माह के अंतिम कार्य दिवस को अपने माता पिता को अध्यापकों से अवश्य मिलवाएं। बीच की समयावधि में भी आवश्यकता के अनुसार मोबाइल फोन के माध्यम से संपर्क बना रहना चाहिए।


आज हमारे समाज को सतर्क और सचेत छात्रों और अभिभावकों की आवश्यकता है। विद्यालय के अध्यापक गण और परामर्शदाता इस पुनीत कार्य में अपना पुनीत कर्तव्य निर्वहन करते रहेंगे तो हमारा समाज इन बुराइयों से निश्चित रूप से मुक्त होकर ही रहेगा। हमारा समाज एक आदर्श समाज बने। हमारा भारत आत्मनिर्भर भारत, एक श्रेष्ठ भारत और सशक्त भारत बने ऐसी हम सबकी कामना होनी चाहिए और इस दिशा में हमें सतर्क और सावधान रहते हुए सार्थक प्रयास करते रहने चाहिए।


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