विदेश यात्रा अंतिम भाग
विदेश यात्रा अंतिम भाग
अवनी स्टाफरूम से निकल कर क्लास लेने जा रही थी कि प्रिंसिपल सर राउंड लेते हुय़े मिल गये , वह गुडमॉर्निंग कह कर जा रही थी कि उसे गहरी नजरों से देखते हुए बोले, “मेरे ऑफिस में आइयेगा , आपसे कुछ बात करनी है ....”…..
उसका जी धक से रह गया था .... क्या आज वह उसको वीसा इंटरव्यू के लिये जाने की बात बताने वाले हैं ...वह मन ही मन सोचती रही ...यहाँ तक कि आज उसका बच्चों को पढाने में भी मन नहीं लग रहा था . अगला पीरियड उसका खाली था .... वह सीधे प्रिंसिपल सर के ऑफिस में पहुँच गई थी ....
सर ने गर्मजोशी के साथ उसका स्वागत् करते हुए कहा ,
“आइये…. आइये… अवनी जी , इस नये हेयर स्टाइल में आप बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं .”
एक क्षण को वह शर्मा कर सिटपिटा उठी थी फिर अपने को संभाल कर बोली , थैंक्यू ...सर “
“एक कॉफी हो जाये .... “
‘’जी, सर वह घबराहट के मारे पसीना पसीना हो उठी ....”
“आप इतनी डरी डरी क्यों रहती हैं.... जर्मनी में तो पूरा हफ्ता साथ साथ ही रहना होगा ....”
“नहीं सर , ऐसी कोई बात नहीं है .....”
वह कॉफी का प्याला उन्हें दे रही थी तभी उनके हाथ से उसका हाथ हल्के से छू गया , वैसे सच तो यह है कि उन्होंने उसका हाथ जान बूझ कर शायद छुआ था ....
“बडी नाजुक अंगुलियाँ हैं आपकी ‘’
“वह घबरा उठी थी , जब उसने अपनी निगाहें उठाई तो उसे लगा कि उनकी निगाहें उसके शरीर के आर पार देख रहीँ थीँ .”
‘आप तो बिल्कुल छुई मुई सी हैं ..... बातों से ही मुरझाई जा रही हैं . ‘
वह खिसियाई सी हँसी हँस दी थी ...
‘इस मामले में नलिनी जी एकदम फ्रेंडली हैं ...’
अवनी का माथा ठनका था ..’ सर मैं जाऊँ ?’
‘हाँ ... हाँ .... जाइये ‘
वह डरी सहमी वहाँ से तेजी से निकल आई . प्रिंसिपल सर का रुख बदल चुका था . अब वह पहले की तरह ही उसकी गल्तियाँ निकालने लगीं थीं .. कभी अनुशासन की शिकायत होती तो कभी बच्चों पर ध्यान नहीं देने की .....
नलिनी जी सर के रूम के आस पास दिखने लगीं . यहाँ तक कि छुट्टी के बाद सर ही अपनी गाड़ी मॆं उनके घर तक छोड़ने जाने लगे थे .
एक दिन हर्ष ने उससे पूछा , “तुम्हारी वीसा इंटरव्यू की डेट अभी तक नहीं आई ?”
वह पति से लिपट कर फूट फूट कर रो पड़ी , फिर बोली , “हर्ष , विदेश यात्रा की य़ात्रा की आड़ में सर शायद मुझसे कुछ और चाह रहे थे , लेकिन मेरे लिये वह संभव नहीं है ... इसलिये अब जहाँ तक उम्मीद है नलिनी मैडम का चयन होगा . “
हर्ष ने उसे समझाते हुए कहा , ‘माई डियर हम दोनों साथ साथ चलेंगें ... अब विदेश यात्रा इतनी बड़ी चीज नहीं है ...’कह कर उन्होंने उसे अपने आगोश में समेट कर उसके आंसू पोछ दिये थे ।..
वह भी निढाल होकर हर्ष की बाहों में समा गई थी ....
अगले दिन जब अवनी स्कूल पहुंची तो प्रिया जी भागती हुई उसके पास आईं बोलीं , ‘अपनी मेल चेक करो , कोई मेल आई है ....’
‘अभी चेक करती हूँ ... ‘
उसने सिर हिला कर से इंकार का इशारा किया था ....
‘तो समझ लो , अब आयेगी भी नहीं ... ‘
‘नलिनी जी के पास आ गई है ... वह 5 को वीसा इंटरव्यू के लिये जा रही हैं ...’
‘अच्छा....’ वह हताश होकर धम्म से कुर्सी पर बैठ गई थी ...
तभी नलिनी जी आईं और उससे बोलीं , ‘अवनी बी प्रैक्टिकल ...... सीधा सीधा गिव ऐंड टेक का जमाना है .... बेबी ... सो सॉरी ... मुझे अपने जाने की तैयारी के लिये शॉपिंग करनी है ... बाहर सर मेरा गाड़ी में इंतजार कर रहे हैं .... ‘
अवनी हैरानी से इस गिव ऐंड टेक के गणित को समझने में उलझ कर रह गई थी .......
विदेश यात्रा का सपना टूटे हुय़े काँच की तरह चूर चूर हो गया था ....