Padma Agrawal

Classics

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Padma Agrawal

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दीपावली से संबंधित कहानियाँ

दीपावली से संबंधित कहानियाँ

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भारत में त्योहारों के बारे में कहा जाता हैकि यहाँ 7वार और 9 त्यौहार मनाये जाते हैं। हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई कहानी या कथा अवश्य जुड़ी होती है। बिना किसी पौराणिक कथा के कोई त्यौहार नहीं मनाया जाता है। जिस तरह होली होलिका दहन पर, राखी इंद्र की जीत पर मनाई जाती है। उसी तरह दीपों का त्यौहार दीपावली भी किसी पौराणिक कथा के आधार पक मनाई जाती है।

दीपावली मनाने के पीछे कई सारे पौराणिक कथायें जुड़ी हुई हैं. सब लोगों का अलग अलग मानना है। सबसे ज्यादा प्रचलित कथा भगवान् राम रेलंका विजय के बाद अयोध्या वापस लौटने के स्वागत् में खुशी मनाने के लिये दीप प्रज्जवलित कर के नगर की सजावट की गई थी।

इसके अतिरिक्त अन्य कथा भी प्रचलित हैं।...

भगवान् राम जब माता कैकेय़ी द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास को पूरा करके रावण का वध और लंका विजय के बाद वापस अयोध्या लौटे थे। तब उनके आने की खुशी में लोगों ने अपने घरों को दीपमालाओं से सजाया था। इसी खुशी को याद करके आज भी दीपावली मनाई जाती है।लकड़हारे की नासमझी---- एक बार एक राजा ने एक लकड़हारे से खुश होकर उसे चंदन की लकड़ी का जंगल भेंट किया परंतु लकड़हारा तो लकड़हारा ही था। उसने जंगल से चंदन की लकड़ियाँ काटी और अपने घर ले जाकर जला कर खाना बनाने का प्रयोग करता था।जब राजा को यह बात अपने गुप्तचरों से पता चली तो उन्हें समझ आया कि पैसा सिर्फ मेहनत से नहीं वरन् बुद्धि से भी हासिल किया जाता है। इसीलिये दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के साथ बुद्धि के देवता गणेश जी की भी पूजा की जाती है। ताकि व्यक्ति को धन के साथ साथ उसे प्रयोग करने के लिये बुद्धि भी हो।

3--लक्ष्मी जी और साहूकार की कथा

एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसकी एक बेटी थी।वह हमेशा पीपल के पेड़ पर जल चढाने जाया करती थी वहाँ पर माँ लक्ष्मी जी का निवास था। एक दिन उसने देखा कि पीपल के पेड़ के पास से एक स्त्री निकल रही है जो अपने शरीर पर अनेकों तरह के जेवर पहनी हुई थी। वह स्त्री साहूकार की बेटी शची से बोली, सखी, मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ क्या तुम मेरी सहेली बनना पसंद करोगी।.. शची ने कहा, मुझे क्षमा करिये . मैं अपने माता पिता से पूछ कर बताऊँगीं।

उसके बाद अपने माता पिता की आज्ञा पाकर वह उनकी सहेली बन गई. वह स्त्री स्वयं महालक्ष्मी जी थी। वह अपनी सहेली से बहुत प्यार करती थी। एक दिन महालक्ष्मी जी ने शची को अपने घर पर भोजन के लिये निमंत्रण दिया। जब शची भोजन के लिये उनके घर पर आई तो महालक्ष्मी जी ने उसका खूब स्वागत् सत्कार किया उसे सोने की चौकी पर बिठा कर बहुमूल्य दुपट्टा उढा कर सोने के बर्तनों में अच्छे से अच्छे स्वादिष्ट व्यंजन परोस कर भोजन करवाया। इसके बाद महालक्ष्मी जी ने कहा कि तुम मुझे अपने घर कब बुलाओगी।

साहूकार की बेटी ने माता लक्ष्मी को अपने घर बुला तो लिया परंतु उसे डर था कि उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वह किस प्रकार से माता लक्ष्मी का स्वागत् सत्कार करेगी। शची ने स्वीकार तो कर लिया और अपने माता पिता को वहाँ का सब हाल कह कर सुनाया। सारी बातें सुन कर उसके माता पिता बहुत प्रसन्न हुय़े परंतु शची उदास हो उठी . जब माता पिता ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि महालक्ष्मी जी का वैभव बहुत बड़ा है। वह बहुत संपन्न हैं। मैं उन्हें कैसे संतुष्ट कर पाऊँगीं। उसके माता पिता ने कहा कि बेटी गोबर मिट्टी से चौका लगाकर साफ सफाई कर दे। चार बत्ती के मुख वाला दिया जला और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा। जैसा रूखा सूखा हमारे पास है, उन्हें श्रद्धा और प्रेम से खिला देना यह बात पिता कह भी नहीं पाये थे कि उसी समय एक चील वहाँ मंडराती हुई आई और किसी रानी का नौलखा हार वहाँ डाल कर उड़ गई। यह सब देख कर शची बहुत प्रसन्न हुई। साहूकार ने उस हार को बेच कर महालक्ष्मी जी के लिये भोजन का इंतजाम किया। उसी समय वहाँ पर गणेश जी और लक्ष्मी जी भी वहाँ आ गये। शची ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने को कहा। इस पर महालक्ष्मी जी और गणेश जी ने प्रेम पूर्वक भोजन किया। लक्ष्मी जी और गणेश जी के आगमन से उनका घर धन संपत्ति से संपन्न हो गया।

हे महालक्ष्मी जी एवं गणेश जी जैसे आपने उस साहूकार के घर को सुख संपत्ति से भर दिया वैसे ही आप सबको सुख संपत्ति और समृद्धि प्रदान करें।

4---एक बार देवताओं के राजा इंद्र से डर कर राक्षस राजा बालि कहीं जाकर छिप गये। राजा इंद्र उन्हें खोजते खोजते एक खाली घर में पहुँचे, वहाँ राजा इंद्र गधे के रूप में छिपे हुय़े थे। दोनों की आपस में बातचीत चल रही थी कि इतने में ही राजा बालि के शरीर से एक स्त्री बाहर निकली।

जब देवताओं के राजा इंद्र ने उससे पूछा तो स्त्री ने कहा , मैं देवी लक्ष्मी हूँ, स्वभाववश एक स्थान पर टिक कर नहीं रह सकती। परंतु मैं उस स्थान पर स्थिर होकर रह सकती हूँ जहाँ सत्य, दान, व्रत, धर्म, पुण्य, पराक्रम, तप आदि रहते हैं।

जो व्यक्ति सत्यवादी होता है, ब्राह्मणों के हितैषी होते हैं, धर्म की मर्यादा का पालन करते हैं, उन्हीं लोगों के यहाँ मैं निवास करती हूँ। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि माता लक्ष्मी केवल वहीं स्थाई रूप से निवास करती हैं जहाँ अच्छे और गुणी व्यक्ति निवास करते हैं।

5 ---भगवान् कृष्ण और नरकासुर की कथा ----कृष्ण भक्तों के अनुसार, इसी दिन भगवान् कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसी खुशी में लोगों ने अपने घरों में दीपक जलाये थे। इसी खुशी के याद में आज भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

6---समुद्र मंथन की कथा—जब भगवान् विष्णु ने नरसिंह रूप धारण करके हिरण्यकश्यप का वध किया था। उसी समय समुद्र मंथन भी हुआ था। समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी और धन्वंतरि प्रकट हुये थे और इसी वजह से भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

दीपावला का त्यौहार मनाने का कारण भले ही कुछ भी हो परंतु इतना निश्चित है कि हर कथा में दीपों का महत्व है। दीपावली का त्यौहार अँधेरे से उजाले, अधर्म से धर्म, पाप से पुण्य का त्यौहार है. दीपावली का त्यौहार सब लोग मिल जुल कर खुशी से मनाते हैं। 

आजकल दीपावली त्यौहार मनाने में कुछ गलत बाते शामिल हो गईं हैं जिसके कारण त्यौहार का स्वरूप विकृत होता जा रहा है। दीपावली पर पटाखे और तरह तरह की आतिशबाजी के कारण हवा प्रदूषित हो जाती है और छोटे बच्चों से लेकर 5ड़े भी प्रदूषित हवा के कारण बीमार हो रहे हैं।

दीपावली के नाम पर ताश और जुआ खेलने का प्रचलन बढ गया जिसमें जीतने वाला तो खुशी मनाता है परंतु हारने वाला जीतने की लालसा में अपना बहुत कुछ खो बैठता है और दीवाली उसका दिवाला निकाल कर गुजर जाती है, जिसका खामियाजा उसका पूरा परिवार झेलने को मजबूर हो जाता है। जीत हार के चक्कर में कई बार अपराध भी हो जाते हैं।

आजकल खुशी मनाने केलिये ड्रिंक का प्रचलन बहुत बढ चुका है। विशेष कर युवा इसके चंगुल में में खूब फँस कर इसके आदी हो रहे हैं। इस त्यौहार पर भी पार्टी के नाम पर खूब शराब परोसी जाती है जिसका परिणाम हर तरह से हानिकारक है।

आप त्यौहार पर खूब दिल खोल खुशी मनाइये, सबके साथ मिलिये जुलिये। खुशी मनाने के बहुत से तरीके हैं लेकिन जुआ, शराब आदि से दूरी बना कर रहिये। घर को दीपों से सजाइये गणेश और लक्ष्मी का पूजन करका पूजन करिये।सब साथ बैठ कर भोजन करिये। अपने अनुभवों को एक दूसरे से साझा करिये। गीत गजल सुनिये सुनाइये आदि आदि बहुत कुछ होता है करने को।.....


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