मेरी प्यारी हिंदी
मेरी प्यारी हिंदी
मानसी डिग्री कॉलेज में हिंदी विषय की अध्यापिका थीं . उनकी प्रधानध्यापिका के अथक प्रयासों से हिंदी दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी के लिये उनका विद्यालय चुना गया था . यह हमारे कॉलेज के लिये गर्व की बात थी . पूरा कॉलेज दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था . देश विदेश से हिंदी प्रेमी विद्वान आने वाले थे . वह भी जोर शोर से तैयारियों में लगी हुई थी . अपने भाषण को वह कई बार में फाइनल कर पाईं थी
चूँकि हेड ऑफ द डिपार्टमेंट मिस रोहिणी थीं इसलिये वह निश्चिंत थीं . आखिर वह दिन भी आ गया जब मेहमानों का आना शुरू हो गया . वह मुश्किल में तब फँस गईं जब उन्हें लंदन से आने वाली मिस मार्ग्रेट को लेने एयरपोर्ट जाने को कह दिया गया . उस समय ऐसी परिस्थिति में वह मना भी नहीं कर सकती थी .
वह गाड़ी में बैठ कर एयरपोर्ट के लिये चल दी परंतु उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रहीं थीं . वह अपने बचपन की यादों में खो गई ... काश उनके मम्मी पापा ने उन्हें इंग्लिश स्कूल में पढाया होता तो आज ऐसी हालत न होती .. वह भी तो कितनी खिलंदड़ी थी बस खेलने में मन लगता ... उनकी आँखों के सामने इंग्लिश टीचर मिस . ज्वेल का चेहरा घूमने लगा था . वह कहतीं थीं मानसी इंग्लिश बोलना सीख लो ... यदि इंग्लिश नहीं पढोगी तो कहीं बाबू बनोगी या हिंदी की बहन जी .... काश वह उस समय उनकी बातों पर ध्यान देती तो आज वह इतनी नर्वस नहीं होती . वह मन ही मन तरह तरह से मिस मार्गरेट का सामना करने के लिये तैयार कर रही थी परंतु घबराहट के कारण पसीना आ रहा था . वह समझ नहीं पा रही थी कि वह मिलने पर उनसे इंग्लिश में कैसे बात करेगी .
तभी एक झटके से गाड़ी रुक गई थी . वह एयरपोर्ट पहुँच चुकी थी . मिस मार्ग्रेट बाहर उनका इंतजार कर रहीं थीं . वह अपनी साड़ी ठीक करते हुये गाड़ी से बाहर आईं और वेलकम मिस का पोस्टर लहरा दिया था . मिस मार्ग्रेट पल भर में ही उनके सामने आ खड़ी हुईं थी. वह घबराये हुये स्वर में बोलीं , हेलो मैडम मार्ग्रेट कहते हुये जुबान लड़खड़ा गई थी .
वह क्षण भर उनको गौर से देखतीं रहीं थीं फिर बोलीं , नमस्कार ... मैं कैंम्ब्रिज में हिंदी की अध्यापिका हूँ . आपकी हिंदी भाषा बहुत सरल और मीठी है , मुझे उससे बहुत प्यार है . आपकी साड़ी बहुत सुंदर है . मुझे भारत से प्यार है. उनकी सारी हिचकिचाहट समाप्त हो गई थी . अपनी हिंदी पर गर्व का अनुभव हो रहा था और वह प्यार से उनके गले लग गईं .