आजादी की लड़ाई में सक्रिय -- दुर्गाभाभी
आजादी की लड़ाई में सक्रिय -- दुर्गाभाभी
देश की आजादी की जंग में महिलाओं ने भी बढ चढ कर हिस्सा लिया था . झांसी की रानी , अहिल्याबाई आदि के साथ दुर्गा भाभी का नाम स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है . भगत सिंह , राजगुरु व चंद्रशेखर आजाद , राम प्रसाद विस्मिल जैसे गरम दल के क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर रही दुर्गा भाभी ने अँग्रेजों की चूलें हिला दी थी . जब क्रांतिकारी अँग्रेजों के जुल्म का जवाब उन्हीं की जुबान में देनें की कोशिश कर रहे थे तो एक महिला होने के बाद भी वह अपने पति के साथ कंधा से कंधा मिला कर उनके साथ सक्रिय रहीं . फिर उनकी मौत के बाद भी क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेती रहीं.
बमतुल बुखारा नाम से चर्चित जिस पिस्तौल से चंद्रशेखर आजाद ने कंपनी बाग में अँग्रेजों के साथ लड़ते हुये अपने प्राणों का बलिदान दिया , वह दुर्गा भाभी ने ही उन्हें उपलब्ध कराया था .
दुर्गा भाभी का नाम देश की आजादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये जाना पहचाना नाम है . उनका जन्म 7 अक्तूबर 1907 को उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में स्थित शहजाद पुर गाँव में पंडित बांके बिहारी के यहाँ हुआ था . इनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में काम करते थे . बचपन में वे लाड़ प्यार से पली बढीं .
उस समय के प्रचलित रिवाज के अनुसार 11वर्ष की छोटी आयु में उनका विवाह लाहौर के भगवती चरण बोहरा के साथ संपन्न परिवार में हो गया . इनके ससुर शिवचरण जी रेलवे में ऊँचे पद पर तैनात थे .उन्होंने संकट के समय काम आने के लिये बड़ी रकम उन्हे और उनके पति को दी थी . जो उन दोनों ने क्रांतिकारी गतिविधियों में खर्च कर दी थी. भगवती चरण बोहरा राय साहब के पुत्र होने के बावजूद देश को अँग्रेजों की दासता से मुक्त करवाना चाहते थे . 1920 में पिता की मृत्यु के बाद भगवती चरण बोहरा खुल कर क्रांति के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे . वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशियेसन के सदस्य बन गये . इस एसोशियेसन के अन्य सदस्य उन्हें दुर्गा भाभी कहते थे .इसलिये वह इसी नाम से वह प्रसिद्ध हो गई . 16 नवंबर 1926 को लाहौर में करतार सिंह सराभी की शहादत की 11वीं वर्षगाँठ मनाने को लेकर दुर्गा भाभी सक्रिय रूप से चर्चा में आईं .
जेम्स स्कॉट को खुद मारना चाहतीं थीं दुर्गा भाभी .....
पति बोहरा बम बनाने में विशेषज्ञ थे . दुर्गा देवी भी बम बनाना और पिस्तौल चलाना जानतीं थीं . 1926 में वोहरा ने भगत सिंह और रामचंद्र कपूर के साथ मिल कर नौजवान भारत सभा की स्थापना की , जिसमें सैकड़ों जवान शामिल हुये थे . 1927 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में हुई बैठक की अध्यक्षता खुद दुर्गा भाभी ने की थी . बैठक में अँग्रेज पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने का फैसला किया गया , जिसका जिम्मा वह खुद लेना चाहतीं थीं , पर साथियों ने उन्हें यह जिम्मेदारी उन्हें नहीं दी और भगत सिंह ने आगे आकर खुद ऐसा करने का फैसला लिया .
मार्च 1926 में भगवती चरण बोहरा और भगत सिंह ने संयुक्त रूप से नौजवान भारत सभा का प्रारूप तैयार किया और राम चंद्र कपूर के साथ मिल कर इसकी स्थापना की . कहा जाता है कि दुर्गा भाभी का काम साथ के क्रांतिकारियों के लिये राजस्थान से पिस्तौल लाना और ले जाना था . चंद्रशेखर आजाद ने अँग्रेजों से लड़ते वक्त जिस पिस्तौल से खुद को गोली मारी थी , वह दुर्गा भाभी ने ही लाकर उनको दी थी .
भगत सिंह से दुर्गा भाभी का रिश्ता .....
दुर्गा भाभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की प्रमुख सहयोगी थीं . लाला लाजपत राय की मौत के बाद जब भगत सिंह ने सॉन्डर्स की हत्या की योजना बनाई थी तब सॉन्डर्स और स्कॉर्ट से बदला लेने के लिये आतुर दुर्गा भाभी ने ही भगत सिंह और उनके साथियों को टीका लगा कर रवाना किया था
दुर्गा भाभी को क्यों बनना पड़ा था भगत सिंह की पत्नी ......भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथी राजगुरु के साथ मिल कर 17 दिसंबर , 1927 को लाहौर में गोरे पुलिस अफसर जे . पी. सांडर्स की हत्या कर दी थी . उसके बाद वे मौके वारदात से फरार हो गये . पंजाब पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिये जगह जगह दबिश मारने लगी . सारे लाहौर को घेर लिया गया था . चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात थी . तब दुर्गा भाभी ने सुनियोजित रणनीति के तहत भगत सिंह के साथियों ने इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी उठाने के लिये प्लान बनाया और फिर तय जगह पर भगत सिंह उनके पति, दुर्गा भाभी उनकी पत्नी और राजगुरु नौकर बन कर वहाँ से सफलता पूर्वक निकल गये .... दुर्गा भाभी की गोद में उनका 3 वर्ष का पुत्र सव्यसाँची भी था .
तब भगत सिंह एंग्लों इण्डियन लुक में दुर्गा भाभी के साथ लाहौर के लिये निकले थे . वे पुलिस की पैनी निगाहों से बचने के लिये विवाहित इंसान बनने की कोशिश में सफल रहे थे . दुर्गा भाभी इस दौरान उनकी पत्नी बनने का रोल कर रही थीं . उनके साथ सुखदेव भी थे . कुछ एक जगहों पर पुलिस ने उन लोगों को रोका भी था , लेकिन फिर परिवार समझ कर जाने दिया . इस प्रकार वह लाहौर रेलवे स्टेशन से निकल गये थे.
इतना ही नहीं सन् 1929 में जब भगत सिंह ने विधान सभा में बम फेंकने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था तो इसके बाद दुर्गा भाभी ने लॉर्ड हैली की हत्या करने का प्रयास किया था . हालाँ कि वह किस्मत से बच गया था . दुर्गाभाभी ने भगत सिंह और उनके साथियों की जमानत करवाने के लिये एक बार अपने गहने तक बेच दिये थे
पति की मौत के बाद भी सक्रिय रहीं ....
भगवती चरण बोहरा ने लॉर्ड इरविन की ट्रेन पर बम फेंकने के बाद भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव समेत सभी क्रातिकारियों को छुड़ाने की योजना बनाई और इसके लिये वह रावी नदी के तट पर लाहौर में बम का परीक्षण कर रहे थे .28 मई 1930 को अपने साथियों के साथ बोहरा बम का परीक्षण करते हुये बम धमाके के हादसे में शहीद हो गये . उनके गुजरने के बाद भी बच्चों की जिम्मेदारी के साथ दुर्गा भाभी ने क्रांतिकारी गतिविधियों से किनारा नहीं किया . इसके बाद अक्तूबर 1930 को उन्होंने गवर्नर हैली पर गोली चला कर हमला किया.
इसमें हैली तो बच गया , लेकिन दूसरा सैन्य अधिकारी टेलर घायल हो गया था. इसके बाद भाभी ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी गोली मारी, जिसके बाद अंग्रेज उनके पीछे पड़ गये , जल्दी ही उन्हें मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया . लेकिन वहाँ से छूटने के बाद भी उन्होंने अपना काम नहीं छोड़ा. उनका काम साथियों को हथियार पहुँचाने का हो गया था .
अंतिम समय में गरीब बच्चों को पढाती रहीं .....
कई साथी क्रांतिकारियों की फाँसी और पति के शहीद होने के बाद दुर्गा भाभी बिल्कुल ही अकेली रह गईं थीं . लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी . कुछ सालों तक अलग – अलग जगह पढाने का काम किया फिर काँग्रेस में शामिल हो गईं . बाद के दिनों में वह गाजियाबाद में गरीब बच्चों को पढाती रहीं और 15 अक्तूबर 1999 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया .
