बोन मैरो
बोन मैरो
स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में टाउन हॉल में निया को एक गीत प्रस्तुत करना था। वह थोड़ी नर्वस थी क्योंकि इतने बड़े मंच पर उसने कभी प्रस्तुतिकरण नहीं किया था। आज शहर के गणमान्या लोग वहाँ एकत्रित होंगें।
शहर की मेयर अभिलाषा जी मुख्य अतिथि थीं। जब वह वहाँ पहुँची तो गाड़ियों की लंबी कतार देख कर उसके हाथ पैर ठंडे होने लगे थे तब माँ पापा ने उसे हिम्मत दिलाई थी।
बेटा घबराने का क्या काम है..... अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर सबको नहीं मिलता। ईश्वर को धन्यवाद दो कि तुम्हें इतना बड़ा मंच मिल रहा है।
मध्यमवर्गीय माता पिता की बेटी निया को भगवान् ने फुर्सत से गढ़ा था. .. गोरा संगमरमरी रंग , तीखे नैन नक्श और हिरणी सी चंचल चितवन , घुँघराले बाल जिनकी लटें उसके माथे पर झूल कर उसके सौंदर्य को द्विगुणित कर रहीं थी। आज वह सफेद साड़ी पहन कर आई थी पूर्णरूपेण सरस्वती की प्रतिमा सी प्रतीत हो रही थी.
जब उसका नाम बोला गया तो हॉल में सन्नाटा छाया हुआ था, क्योंकि वह कोई जाना पहचाना नाम नहीं था. परंतु जब उसने गाना शुरू किया तो पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया और जब समाप्त किया तो पूरा हॉल तालियों के शोर से काफी देर तक गूँजता रहा था।
अभिलाषा जी अपने स्थान से उठ खड़ी हुईं थीं और उसे अपने पास बुला कर पीठ थपथपा कर शाबासी दी थी।
वह खुशी के अतिरेक में झूम उठी थी।
एक हफ्ता भी नहीं बीता था किसी नीरज जी का पापा के पास फोन आया कि अभिलाषा जी को निया अपने बेटे के लिये बहुत पसंद आई है इसलिये वह आपसे मिलना चाहती हैं।
मनोहर जी के लिये सहसा विश्वास करने वाली बात ही नहीं थी। घर में विचार विमर्श चल ही रहा था....। निया की माँ सरला जी बिल्कुल भी इस रिश्ते के लिये राजी नहीं हो रहीं थीं परंतु यह क्या... अभिलाषा जी तो अपने लाव लश्कर के साथ एक दिन उनके घर आ खड़ी हुईं थीं।
मैं अपने बेटे अन्वय के लिये निया बिटिया का हाथ माँगती हूँ। .. उनकी जल्द बाजी देख कर सबके मन में संशय की दीवार खड़ी हो गई थी।
लेकिन फिर भी अन्वय के संग मीटिंग करना तय हुआ था। स्मार्ट गोरा चिट्टा 6फीट लंबा राजकुमार सा अन्वय पहली निगाह में ही निया को भा गया। वह आई आईटी कानपुर से गोल्ड मेडलिस्ट था।
कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली। ..लेन देन वाली बात ही नहीं थी। .. बस बेटी चाहिये थी। .. कहीं कुछ गड़बड़ तो अवश्य है परंतु दिखाई नहीं पड़ रहा है। .अजीब पशोपेश की स्थिति थी।
अन्वय के पापा मनोहर जी ने निया से उसकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी पूछी थी। कोई वंशानुगत बीमारी , दिल , किडनी आदि में कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या तो नहीं। .. उसको पहले तो अटपटा लगा परंतु फिर सोचने लगी कि अच्छा है कि ये लोग स्वास्थ्य के प्रति इतने सचेत हैं।
धूमधाम से सगाई की रस्म हुई। .. होती भी क्यों न... आखिर मेयर के बेटे की सगाई थी। तभी अन्वय की छोटी बहन आस्था आई भइया ठीक तो हो...... थक तो नहीं रहे.....वह स्वर्णिम भविष्य के सपनों में डूबी हुई थी। क्षण भर को मन में प्रश्न चिन्ह तो उठा था... वह भी तो बराबर खड़ी हुई है , पूछना तो उससे चाहिये.. फिर सोचा। ..होगा भाई बहन का प्यार। ..
अन्वय से फोन पर बात होती लेकिन ज्यादा लंबी नहीं। .. अब अभिलाषा जी को जल्दी शादी करनी थी। .. पापा तैयारी के लिये समय चाह रहे थे... लेकिन बड़े आदमी के सामने साधारण लोग और वह भी लड़की वाले...अंततः झुक ही जाते हैं।
वहाँ से आये डायमंड , पन्ने , रूबी के सेट देख सबकी आँखें चौंधिया उठीं थीं। .. साड़ी लँहगे आदि क्या नहीं आया था। . सभी लोग उसके भाग्य से ईर्ष्या कर रहे थे। वह भी अन्वय जैसा पति और प्रतिष्ठित परिवार पाकर अचंभित और गर्वित सी थी।
शादी के तीन दिन ही बाकी थे तभी अभिलाषा जी के एक काफी नजदीकी रिश्तेदार आये और इस शादी के पीछे का मुख्य वजह बताई कि अन्वय को दिल की गंभीर बीमारी है और वह निया की बोन मैरो के द्वारा बेटे का जीवन बचाना चाहती हैं। मैंने आपको लड़के की बीमारी के बारे में आगाह कर दिया है ,आप चाहें तो मेरा नाम भी बता सकते हैं। .. रिश्तों में कड़वाहट ही तो आयेगी। ..
अब आपकी इच्छा। ..जो ठीक समझें। .. कह कर वह चले गये थे।
लेकिन सबकी खुशियों पर तुषारापात हो चुका था। लोगों के चेहरे पर कालिमा छा गई थी। ..माहौल गमगीन और तनावपूर्ण था। मम्मी पापा ने रिश्ता तोड़ देनें का निर्णय कर लिया। माँ पापा और सारे रिश्तेदार अभिलाषा जी की धोखेबाजी से क्रोधित थे।
निया कमरे में बंद हो गई थी। वह ऊहापोह और अनिश्चय की मनः स्थिति में कोई भी निर्णय नहीं कर पा रही थी।
तभी निया ने निर्णय कर लिया था , मैं बोनमैरो तो दूँगी क्योंकि उससे किसी को जीवनदान मिलेगा। ..लेकिन धोखेबाज लोगों के साथ शादी नहीं करूँगीं।